
Controversy erupts after Mamata Banerjee’s statement on the Waqf Amendment Act. Can a state government refuse to implement a central law?
वक्फ संशोधन अधिनियम पर ममता बनर्जी के बयान से उठा विवाद। जानिए क्या कोई राज्य सरकार केंद्र के कानून को लागू करने से मना कर सकती है?
हैदराबाद/कोलकाता (शाह टाइम्स) वक्फ संशोधन अधिनियम (Waqf Amendment Act) को लेकर देश की राजनीति में नया बवंडर खड़ा हो गया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में एक बयान में कहा कि संशोधित वक्फ कानून को उनके राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। इस बयान के बाद यह सवाल तेजी से उठ रहा है कि क्या कोई राज्य सरकार केंद्र द्वारा पारित कानून को नकार सकती है?
क्या कहता है संविधान?
संविधान के अनुच्छेद 245 और 246 के तहत, संसद को कानून बनाने का स्पष्ट अधिकार है। वक्फ का मामला संविधान की समवर्ती सूची (List III, Entry 28) में आता है, जिसमें केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। लेकिन यदि इस विषय पर केंद्र सरकार कानून बनाती है और वह संसद से पारित होकर राष्ट्रपति की मंजूरी पा चुका हो, तो राज्य सरकारों के पास उसे न लागू करने का कोई विकल्प नहीं होता — जब तक कि संविधान में कोई विशेष प्रावधान न हो या अदालत उस कानून को असंवैधानिक घोषित न कर दे।
केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना
लोकसभा और राज्यसभा से पारित होने के बाद, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर 8 अप्रैल से देशभर में इस कानून को प्रभावी रूप से लागू कर दिया।
भाजपा का जवाब: राज्य सरकारों को लागू करना ही होगा
भाजपा प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने ममता बनर्जी के बयान को गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने कहा, “कोई भी राज्य केंद्र के बनाए कानून को दरकिनार नहीं कर सकता।” त्रिवेदी ने यह भी कहा कि यदि ऐसे बयान दिए जाते रहे, तो संविधान का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। उन्होंने इसे संविधान निर्माता डॉ. बी.आर. आंबेडकर का अपमान बताया।
कई राज्यों से विरोध के स्वर
पश्चिम बंगाल के अलावा, झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन और कर्नाटक के मंत्री बी. ज़ेड. जमीर अहमद खान ने भी वक्फ कानून को राज्य में लागू न करने की बात कही है।
झारखंड मंत्री के बयान — “मेरे लिए शरिया पहले है, संविधान बाद में” — ने विवाद को और भड़का दिया। इसके बाद भाजपा ने ‘इंडिया’ गठबंधन और कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि ये दल संवैधानिक ढांचे का अनादर कर रहे हैं।
राज्यों की सीमित भूमिका
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, राज्यों को वक्फ बोर्ड के प्रशासनिक कामकाज में भूमिका जरूर दी गई है, लेकिन केंद्र के कानून को न मानने की उन्हें अनुमति नहीं है। अगर किसी राज्य का कोई वक्फ कानून केंद्र के कानून से टकराता है, तो केवल राष्ट्रपति की अनुमति से ही राज्य कानून को प्राथमिकता दी जा सकती है।
विरोध प्रदर्शन और हिंसा
इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। रिपोर्ट्स के अनुसार, तीन लोगों की मौत हो गई है। कानून के खिलाफ व्यापक विरोध और ममता बनर्जी के बयान के बाद, राज्य की सियासत में हलचल और तेज हो गई है।
नकारने का नहीं है संवैधानिक अधिकार
किसी भी राज्य सरकार के पास केंद्र द्वारा पारित वक्फ कानून को नकारने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। विरोध के बावजूद, अगर कानून संसद और राष्ट्रपति से मंजूर होकर अधिसूचित हो चुका है, तो उसे देशभर में लागू करना अनिवार्य है। राज्यों के पास सिर्फ अदालत की शरण लेने या राष्ट्रपति से विशेष अनुमति लेने का ही विकल्प शेष रह जाता है।