कैंसर के मरीजों को जायदा भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक समर्थन की जरूरत

राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम
राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम

त्रिशूर । राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम (NCCP) के सलाहकार डॉ. नरेश पुरोहित (Dr. Naresh Purohit) ने कहा, कैंसर रोगियों (Cancer patients) को अधिक भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समर्थन की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि पुरानी स्थिति के किसी भी चरण में रोगी को ठीक करने के लिए परामर्श और सहायता आवश्यक स्तंभ हैं।

प्रशामक देखभाल की उपलब्धता पर अपनी चिंता साझा करते हुए त्रिशूर स्थित केरल यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. पुरोहित (Dr. Purohit) ने राष्ट्रीय कैंसर (National cancer) जागरूकता के अवसर पर सतत चिकित्सा शिक्षा (CME) कार्यक्रम को संबोधित करने के बाद यहां संवाददाताओं से कहा कि आमला इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस त्रिशूर (Amala Institute of Medical Sciences Thrissur) द्वारा आयोजित दिवस में कहा गया कि महानगरों में अच्छी कैंसर उपचार सुविधाओं की पहुंच और उपलब्धता में सुधार के बावजूद, 60 प्रतिशत कैंसर रोगी अंतिम चरण में अस्पतालों में रिपोर्ट करते हैं, जब वे लाइलाज हो जाते हैं। उनके जीवन की गुणवत्ता और जीवित रहने की दर में सुधार करने का एकमात्र तरीका प्रारंभिक चरण में अधिकतम संख्या में रोगियों को उपशामक देखभाल उपलब्ध कराना है।

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एक महामारी विशेषज्ञ ने बताया कि वर्तमान में, लगभग 60 लाख कैंसर रोगियों (Cancer patients) को प्रशामक देखभाल की आवश्यकता है, लेकिन यह केवल दो प्रतिशत रोगियों को ही उपलब्ध है।
डॉ. नरेश पुरोहित (Dr. Naresh Purohit) ने कहा,“इसका कारण वांछित संख्या में प्रशामक देखभाल केंद्रों, प्रशिक्षित प्रशामक देखभाल विशेषज्ञों, नर्सों की अनुपलब्धता और ओपिओइड की अनुपलब्धता है जो केवल तीन प्रतिशत कैंसर रोगियों के लिए उपलब्ध है।”

उन्होंने कहा,“उपशामक देखभाल की आवश्यकता और उपलब्धता के बीच बहुत सारे अंतर हैं। अधिकांश चिकित्सा पेशेवर, चिकित्सा प्रशासक और जनता नहीं जानते कि उपशामक देखभाल क्या है।” कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने कहा कि उपशामक देखभाल शुरू करने का सही समय वह है जब कैंसर के अंतिम चरण का सूक्ष्म निदान किया जाता है।

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