फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन ( FDC) वे दवाइयां होती हैं जो दो या उससे अधिक दवाओं को एक निश्चित अनुपात में मिलाकर बनाई जाती हैं। इस वक्त ऐसी दवाओं का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है। इनको कॉकटेल दवाइयां भी कहा जाता है।
नई दिल्ली,(Shah Times) । केंद्र सरकार ने बुखार, जुकाम, एलर्जी और दर्द के लिए इस्तेमाल होने वाली 156 फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (FDC) दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये दवाएं अब बाजार में नहीं बिकेंगी।सरकार ने कहा कि ये दवाइयां सेहत के लिए खतरनाक हो सकती हैं।
फिक्स्ड डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) वे दवाइयां होती हैं जो दो या उससे अधिक दवाओं को एक निश्चित अनुपात में मिलाकर बनाई जाती हैं। इस वक्त ऐसी दवाओं का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है। इनको कॉकटेल दवाइयां भी कहा जाता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक सरकार ने फार्मा कंपनियों द्वारा निर्मित दर्द निवारक के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली एसिक्लोफेनाक 50 एमजी + पैरासिटामोल 125 एमजी टैबलेट पर प्रतिबंध लगा दिया है।
प्रतिबंधित एफडीसी में मेफेनामिक एसिड + पैरासिटामोल इंजेक्शन, सेट्रीजीन एचसीएल + पैरासिटामोल + फेनिलफ्रीन एचसीएल, लेवोसेट्रीजीन + फेनिलफ्रीन एचसीएल + पैरासिटामोल, पैरासिटामोल + क्लोरफेनिरामाइन मैलेट + फेनिल प्रोपेनोलामाइन और कैमिलोफिन डाइहाइड्रोक्लोराइड 25 मिलीग्राम + पैरासिटामोल 300 मिलीग्राम भी शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने पैरासिटामोल, ट्रामाडोल, टॉरिन और कैफीन के मिश्रण पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। ट्रामाडोल एक दर्द निवारक दवा है। अधिसूचना के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्रालय ने पाया कि एफडीसी दवाओं का उपयोग स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है, जबकि सुरक्षित विकल्प उपलब्ध हैं। इस मामले की जांच केंद्र द्वारा नियुक्त एक विशेषज्ञ समिति ने की थी।
ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) ने भी इन एफडीसी की जांच की और सिफारिश की कि इन एफडीसी का कोई औचित्य नहीं है।अधिसूचना में कहा गया है कि एफडीसी जोखिम पैदा कर सकते हैं। इसलिए जनहित में इन एफडीसी के निर्माण, बिक्री या वितरण पर प्रतिबंध लगाना जरूरी है। इस सूची में कुछ ऐसी दवाएं भी शामिल हैं, जिनका उत्पादन कई दवा निर्माताओं ने पहले ही बंद कर दिया है।
पिछले साल जून में भी 14 एफडीसी पर प्रतिबंध लगाया गया था। सरकार ने 2016 में 344 एफडीसी के निर्माण, बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। इस फैसले को दवा कंपनियों ने अदालत में चुनौती दी थी।