
यूसीसी लागू करने में कौन मारेगा बाजी
समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार
लॉ कमीशन ने शुरू की परामर्श प्रक्रिया
उत्तराखंड में 2 लाख लोगों से सुझाव के बाद तैयार है ड्राफ्ट
(रिपोर्ट- मौ. शाहनजर)
देहरादून । उत्तराखण्ड (Uttarakhand) की भाजपा सरकार (BJP Government) के समान नागरिक संहिता (uniform civil code) पर कदम बढ़ाने के बाद केंद्रीय लॉ कमीशन (Central Law Commission) ने भी यूसीसी पर नई कंसल्टेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इससे पहले 21वें विधि आयोग ने भी समान नागरिक संहिता का अध्ययन किया था। वहीं, उत्तराखण्ड सरकार की और से बनाई गई विशेषज्ञ समिति ने यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, 30 जून तक कमेटी ड्राफ्ट सरकार को सौंप सकती है। सूत्रों से मिली खबरों के मुताबिक केंद्रीय लॉ कमीशन व उत्तराखण्ड सरकार में यूसीसी लागू करने की होड़ लग गई है।
लॉ कमीशन ने फिर से यूनिफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code) पर कंसल्टेशन (परामर्श) प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए सार्वजनिक और धार्मिक संगठनों से राय मांगी गई है। आयोग ने बीते 14 जून को एक बयान जारी कर कहा कि 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के बारे में मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के विचारों को जानने के लिए फिर से निर्णय लिया। आयोग ने विचार प्रस्तुत करने के लिए 30 दिन का समय दिया है। कर्नाटक हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाले 22वें लॉ कमीशन ने इच्छुक लोगों से 30 दिन में अपने विचार अपने वेबसाइट या ईमेल पर देने के लिए कहा है। अब देखना यह होगा कि उत्तराखंड सरकार पहले यूसीसी लागू करती है, या केंद्र सरकार।
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देश का पहला राज्य बनने जा रहा उत्तराखण्ड
उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जो सबसे पहले यूसीसी कानून लाने जा रहा है। 30 जून से तक इसका ड्राफ्ट सरकार को सौंपा जाना है। हालांकि यूसीसी के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने प्रदेश की परिस्थितियों के अनुरूप ब्लूप्रिंट तैयार किया है। साथ ही कमेटी ने ड्राफ्ट तैयार करने के लिए करीब 2 लाख 30 हजार लोगों से सुझाव लिए थे, उन सुझावों पर कमेटी ने अंतिम मुहर लगा दी है। माना जा रहा है कि 30 जून तक सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता वाली कमेटी इसका पूरा ड्राफ्ट सरकार को सौंप देगी। सीएम धामी का कहना है कि राज्य सरकार का संकल्प है कि उत्तराखंड में यूसीसी को लागू किया जाए।
पहले भी हो चुका है अध्ययन
देहरादून। इससे पहले 21वें केंद्रीय लॉ कमीशन ने भी इस विषय पर अध्ययन किया था। तब आयोग ने इस पर और चर्चा की जरूरत बताई थी। इस बात को 3 साल से अधिक समय बीत चुका है। अब नए सिरे से प्रक्रिया शुरू की जा रही है। 22वें विधि आयोग को हाल में तीन साल का कार्य विस्तार दिया गया है, इसने कानून एवं न्याय मंत्रालय की ओर से एक पत्र भेजे जाने के बाद समान नागरिक संहिता से जुड़े विषयों की पड़ताल शुरू कर दी है।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब?
देहरादून। यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है कि सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, गोद लेने, विरासत और उत्तराधिकार जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों के एक सामान्य सेट तैयार किया जाए चाहे नागरिक किसी भी धर्म का हो। वर्तमान में, विभिन्न कानून विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के लिए इन पहलुओं को विनियमित करते हैं।