राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार रालोद को राजग में शामिल करने का अपेक्षित लाभ पश्चिम उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को नहीं मिला।
मथुरा,(Shah Times) । लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल होने का फायदा कांग्रेस प्रत्याशी को मिल गया ।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार रालोद को राजग में शामिल करने का अपेक्षित लाभ पश्चिम उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को नहीं मिला। मथुरा में जयन्त चौधरी के इस निर्णय से जाट नाराज हो गए और भाजपा में पहले से आए जाटों को छोड़कर बाकी जाटों ने मजबूरी में कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश धनगर को वोट दिया। जाटों ने यह निर्णय जयंत को सबक सिखाने के लिए लिया।
मांट विधानसभा क्षेत्र के कद्दावर नेता रामबाबू कटेलिया ने कहा कि जयंत के इस प्रकार भाजपा में जाने से जाट नाराज हो गया तथा उसने अधिकतर वोट कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश धनगर को दिया। कुछ जाटों ने तो अपना वोट बसपा के सुरेश सिंह को भी दिया या फिर घर में ही बैठे रहे, जबकि जाट चुनाव में बढ़चढ़कर हिस्सा लेता है ।केवल कुछ जाटों ने ही भाजपा को वोट दिया। मथुरा में जाटों की संख्या लगभग चार लाख है तथा जाटों की नाराजगी का नुकसान भाजपा को झेलना पड़ा अन्यथा हेमामालिनी की जीत चार लाख से अधिक मतों से हो सकती थी।
गोवर्धन विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष एवं आरएसएस कार्यकर्ता बालकृष्ण अग्रवाल का कहना था कि जयंत के भाजपा में आने का लाभ भाजपा को न तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मिला और ना ही मथुरा में मिला । यदि जयंत के भाजपा से गठबंधन करने का लाभ पार्टी को मिलता, तो हेमामालिनी साढ़े चार लाख से अधिक मतों से विजयी होती ।
गोवर्धन विस के खुटैल पट्टी क्षेत्र में जाटों को बसपा प्रत्याशी सुरेश सिंह के रूप में विकल्प मिल गया, इसलिए इस जयंत से नाराज इस क्षेत्र के जाटों ने उन्हें वोट दे दिया, लेकिन मथुरा, मांट, बल्देव विस क्षेत्र में कोई विकल्प न मिलने के कारण रालोद से नाराज वहां के जाटों ने कांग्रेस को वोट दिया। भाजपा नेता मेडूकांत पाण्डे ने कहा कि पीएम मोदी ने तो यह सोंचकर रालोद को एनडीए में मिलाया था कि इसका लाभ भाजपा प्रत्याशी हेमामालिनी को मिलेगा पर उसका असर उल्टा इसलिए पड़ा कि जयंत ने चुनाव से पहले आकर मथुरा के जाटों को विश्वास में लेने की कोशिश नहीं की ।