परिवारों की रजामंदी के बगैर शादी करने के सपने देखने वाले जिन लोगों को लगता है कि कोर्ट मैरिज उनके लिए आसान विकल्प है तो वे मुगालते में हैं।
मो. इरफान मुनीम
बरेली। परिवारों की रजामंदी के बगैर शादी करने के सपने देखने वाले जिन लोगों को लगता है कि कोर्ट मैरिज (Court Marriage) उनके लिए आसान विकल्प है तो वे मुगालते में हैं। मैरिज रजिस्ट्रार कार्यालय के आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन करने वालों को दबाव का सामना करना पड़ता है, इस वजह से ज्यादातर रिश्ते जुड़ने से पहले ही बिखर जाते हैं। डेढ़ साल में ऐसे युगलों की संख्या करीब 60 फीसदी तक पहुंच चुकी है जो प्रक्रिया शुरू होने के बाद लौट के ही कोर्ट नहीं आ सके
सुभाषनगर थाने में तैनात महिला दरोगा और बहेड़ी के एक मुस्लिम युवक की ओर से कोर्ट मैरिज के लिए एसडीएम सदर/मैरिज रजिस्ट्रार कार्यालय में आवेदन करने और उसपर दरोगा के भाई की ओर से आपत्ति ठोक देने के बाद मामला चर्चा में है। महिला दरोगा के भाई ने अपनी आपत्ति में उसका ब्रेनवाश कर धर्मांतरण की कोशिश के आरोप लगाकर मामले को कानूनी पेचों में उलझाने की कोशिश की है। कोर्ट मैरिज के ज्यादातर मामले ऐसे ही दबाव से गुजरते हैं। यही वजह है कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत हर साल होने वाले आवेदनों में से काफी आवेदन रद्द हो जाते हैं।
बरेली के मैरिज रजिस्ट्रार कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले डेढ़ साल में कोर्ट मैरिज के लिए 101 युगलों ने आवेदन किया लेकिन जब कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया आगे बढ़ी तो इनमें से 61 युगल कोर्ट में दोबारा लौटकर नहीं आए। स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक 90 दिन तक इंतजार के बाद उनके आवेदनों को निरस्त कर दिया गया।
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साक्ष्यों की कमी से रद्द होने वाले आवेदन भी तमाम
मैरिज रजिस्ट्रार कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक 2022 में कोर्ट मैरिज के लिए 66 जोड़ों ने आवेदन किए थे, इनमें से 48 को साक्ष्याें के अभाव में निरस्त कर दिया गया। सिर्फ 18 युगलों की शादी को कानूनी मान्यता मिल पाई। इसी तरह तीन अक्टूबर 2022 से 12 जून तक 35 आवेदन आए हैं, इनमें से 13 को खारिज कर दिया गया है। 17 आवेदन सुनवाई के बाद स्वीकृत हो गए। पांच मामले विचाराधीन हैं जिनपर कोर्ट सुनवाई के लिए अलग-अलग तारीखें लगा रखीं हैं।
गुपचुप नहीं हो सकती कोर्ट मैरिज, झेलना पड़ता है परिवार का दबाव
एक अधिकारी के मुताबिक कोर्ट मैरिज (Court Marriage) के आवेदन के बाद एक प्रक्रिया के तहत रिपोर्ट मांगी जाती है और नोटिस जारी होते हैं। तो शादी करने जा रहे लोगों के परिवारों तक भी यह बात पहुंच जाती है। अगर परिवार के लोग रिश्ते के खिलाफ होते हैं तो वे आपत्तियां लगाने के साथ लड़के-लड़की पर दबाव डालना भी शुरू कर देते हैं। उनपर बंदिशें लगनी शुरू हो जाती हैं। लोकलाज और परिवार की मान-मर्यादा की दुहाई दी जाती है। इसी कारण ज्यादातर युगल मैरिज कोर्ट में लगने वाली तारीखों पर नहीं पेश हो पाते और उनके आवेदनों को निरस्त कर दिया जाता है।
केस- 1
कर्मचारी नगर में रहने वाले एक युवक और आंध्र प्रदेश के सैनलापननगर नेल्लौट की युवती ने चार नवंबर 2022 को कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन किया था। 90 दिन तक साक्ष्य पेश न कर पाने पर उनका आवेदन निरस्त कर दिया गया।
केस- 2
शहर के बाग ब्रिगटान के विशेष समुदाय के युवक और बहेड़ी के नूरी नगर वार्ड की युवती ने 7 अक्टूबर 2022 को कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन किया था। तारीख पर कोर्ट में पेश न होने पर उनके आवेदन को निरस्त कर दिया गया।
महिला दारोगा के आवेदन पर सुनवाई 4 जुलाई को
सुभाषनगर थाने में तैनात महिला दारोगा और बहेड़ी के युवक के कोर्ट मैरिज (Court Marriage) के आवेदन पर सुनवाई की तारीख 4 जुलाई तय की गई है। शुक्रवार को ही महिला दरोगा के भाई ने उनके आवेदन पर आपत्ति करते हुए एडीजी से शिकायत की थी कि उसकी बहन का ब्रेनवाश उसका धर्मांतरण कराने की कोशिश की जा रही है।
“स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत भारत के हर नागरिक को किसी भी धर्म और जाति में शादी करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है लेकिन कोर्ट मैरिज (Court Marriage) के खिलाफ परिवार के लोग आपत्ति करते हैं। इसके साथ साक्ष्य और परिस्थितियों के आधार पर फैसले हाेते हैं। इसी कारण आवेदन स्वीकृत या निरस्त होते हैं”
शिवकुमार शर्मा, फैमिली कोर्ट के अधिवक्ता