होली का त्यौहार फिर से दस्तक देने को हैं, मौसम में रंगीन बयार बहने लगी है, बच्चे बेसब्री से होली के रंग और पिचकारी का इंतज़ार कर रहे हैं। इन सब बातों के बीच क्या आप जानते हैं कि होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाता है, होलाष्टक किसी भी शुभ काम के लिए निषेध समय होता हैं जिसका अंत होलिका दहन के साथ हो जाता है।
भक्त प्रह्लाद को दिए गए जघन्य कष्ट
दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को हरि नाम से अलग करने के लिए इन आठ दिनों में कठोर यातनाएं दी, उसे हाथी के पैर के नीचे कुचलवाया, पहाड़ से नीचे फिकवाया और अंत में अपनी बहन होलिका की गोद में प्रह्लाद को आग में बैठा दिया परन्तु भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए व होलिका स्वयं भस्म हो गई और होलिका दहन के साथ प्रह्लाद की यातनाओं का अंत हुआ। होलाष्टक के ये आठ दिन प्रह्लाद को दी गयी उत्पीड़न को दर्शाते है इसलिए किसी भी शुभ काम के लिए ये दिन वर्जित होते है।
होलाष्टक आज से, नहीं होंगे शुभ कार्य
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन तक होलाष्टक रहते है, इन आठ दिनों में विवाह, गृह प्रवेश, निर्माण, नए कार्य की शुरुआत, मुंडन व यज्ञोपवित संस्कार समेत सभी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किये जाते है। होलिका दहन का विधान रात्रि में होता है, इस वजह से होलिका दहन 24 मार्च की रात्रि में ही करना श्रेष्ठ होगा। पंचांग अनुसार होलाष्टक फाल्गुन माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 17 मार्च 2024 से फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च 2024 रहेंगे। 24 मार्च को ही होलिका दहन होगा और 25 मार्च को रंग-गुलाल की होली खेली जाएगी.
होलाष्टक के दौरान नहीं करने चाहिए ये काम
होलाष्टक के दौरान किए गए शुभ काम भी अशुभ फल देते हैं। आइए जानते हैं ऐसे कौन से कार्य हैं जो इस दौरान नहीं करने चाहिए।
• इस दौरान नया वाहन आदि की खरीदारी करने से बचना चाहिए।
• होलाष्टक के दौरान जमीन, मकान और किसी अन्य तरह की प्रॉपर्टी का लेन-देन नहीं करना चाहिए।
• होलाष्टक के दौरान सभी शुभ और मांगलिक कार्य जैसे सगाई, शादी, मुंडन, जनेऊ संस्कार और गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
• होलाष्टक के दौरान सोने-चांदी के आभूषणों की खरीदारी करना भी वर्जित माना जाता है।
• इसके अलावा होलाष्टक पर किसी भी तरह का धार्मिक अनुष्ठान नहीं करना चाहिए।
होलाष्टक के समय को मन्त्र जाप और उपासना के लिए शुभ माना जाता है। इस अवधि में भगवान विष्णु व भगवान शिव की उपासना करने से कुंडली के सभी दोषो से छुटकारा पाया जा सकता है। होलाष्टक के आठ दिनों में व्यक्ति को निरंतर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है।
राशि अनुसार होली के रंग, मिलेगा सुख बढ़ेगी समृद्धि
पंचांग अनुसार, फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को होलिका दहन होता है और उसके अगले दिन चैत्र माह की कृष्ण प्रतिपदा के दिन दुलहंडी (रंगो की होली) खेली जाती है। होली के पर्व को खास बनाने के लिए इस वर्ष राशि अनुसार करे रंगो का इस्तेमाल –
मेष और वृश्चिक राशि
ज्योतिष अनुसार मेष और वृश्चिक राशि के जातको का स्वामी ग्रह मंगल हैं इसलिए इनके लिए हल्के रंग शुभ होते है जैसे केसरिया, गुलाबी और हल्का पीला लेकिन लाल, काले और नीले रंग के इस्तेमाल से बचें।
वृषभ और तुला राशि
वृषभ और तुला राशि वाले जातको का स्वामी ग्रह शुक्र हैं और उनकी शुभता पाने के लिए इन राशि वालों को गुलाबी, सिल्वर और मटमैले रंग का इस्तेमाल करना चाहिए। हो सके तो हरे रंग के गुलाल का इस्तेमाल न करें।
मिथुन और कन्या राशि
बुध ग्रह इन दोनों राशियों के स्वामी हैं इसलिए होली पर इन राशि के जातको को हरे रंग का इस्तेमाल करना चाहिए। ये रंग इनके लिए बहुत शुभ माने जाते है लेकिन लाल, नारंगी रंग का उपयोग न करे।
कर्क और सिंह राशि
कर्क और सिंह राशि वाले जातको के स्वामी ग्रह चंद्र हैं इसलिए इनको नारंगी, पीला और सिल्वर रंग का इस्तेमाल करना चाहिए। नीले, काले और भूरे रंग से बच कर रहे।
धनु और मीन राशि
इन राशियों के स्वामी ग्रह गुरु होते हैं इसलिए इस दिन पीले गुलाल से होली खेलना शुभ रहता हैं। आज के दिन गहरे नीले रंग के इस्तेमाल से बचें।
मकर और कुंभ राशि
शनि ग्रह इन राशियों के स्वामी हैं इसलिए होली के दिन काला, नीला, एवं ग्रे रंग का इस्तेमाल करना आपके लिए शुभदायी होगा।