
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा की 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव कदम पीछे खींचने का इरादा किया है शायद यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि गठबंधन के तहत मिली दो सीटों से नाखुश और उसे जीत का भरोसा नहीं है।
लखनऊ ,(Shah Times) । उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस ने प्रत्याशी न उतारने का इरादा बनाया है. इंडिया गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को दो सीटें गाजियाबाद और खैर सीट दी है. लेकिन कांग्रेस दोनों ही सीट पर अपने जीत को लेकर भरोसा नहीं है. लिहाजा अब उसने उपचुनाव से अपने कदम पीछे खींचने का इरादा कर लिया है. वह अब सभी सीटों पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार की हिमायत करेगी. इसका ऐलान कांग्रेस की तरफ से जल्द किया जा सकता है।
दरअसल, कांग्रेस से पांच सीटों की मांग की गई थी. कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से उन सीटों की मांग की थी, जहां बीजेपी 2022 के चुनाव में हारी है. लेकिन जब बात नहीं बनी तो कांग्रेस ने फूलपुर और मंझवा सीट की मांग की. लेकिन अखिलेश यादव ने इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. हालांकि गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी ने गाजियाबाद और अलीगढ़ की खैर सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी. इन दोनों सीटों पर इंडिया गठबंधन के लिए राह आसान नहीं है. यहां बीजेपी काफी मजबूत है. यही वजह है कि कांग्रेस अपने हिस्से की दो सीटें बदलना चाहती थी, लेकिन बात नहीं बनी, जिसके बाद अब कांग्रेस ने इरादा कर लिया है कि वो अपने हिस्से की दोनों सीटें समाजवादी को लौटा देगी।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में 6 सीटें जीतने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला बुलंद हुआ था अब कांग्रेस की नजर 2027 के विधानसभा चुनाव पर है, लिहाजा कांग्रेस गाजियाबाद और खैर सीट पर होने वाले उपचुनाव हारकर कार्यकर्ताओं का हौंसला नहीं तोड़ना चाहती।
दरअसल, कांग्रेस के खाते में जो दो सीटें गई हैं, वहां भी समाजवादी पार्टी के हालत भी ठीक नहीं है। 2022 के विधानसभा चुनाव में गाजियाबाद में भारतीय जनता पार्टी को 61.37 फीसदी वोट मिले थे, समाजवादी को 18.25 फीसदी और कांग्रेस को 4.81 फीसदी वोट मिले थे। लोकसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर बड़े मार्जिन से जीत दर्ज कराई थी। लोकसभा चुनाव में यह सीट गठबंधन के तहत कांग्रेस के खाते में थी।
खैर विधानसभा सीट पर भी यही हाल रहा। 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी को 55 फीसदी से ज्यादा वोट मिले, जबकि रालोद को 16 फीसदी से ज्यादा वोट मिले। यहां सपा और रालोद का ज्वाइंट उम्मीदवार मैदान में था, कांग्रेस को सिर्फ 0.6 फीसदी वोट मिले।
डाटा के मुताबिक समाजवादी पार्टी कांग्रेस गठबंधन के बावजूद पार्टी दोनों सीटों पर कमजोर नजर आ रही है। ऐसे में कांग्रेस नेताओं का मानना है कि चुनाव लड़कर हारने से बेहतर है कि न लड़कर समाजवादी पार्टी का साथ दिया जाए, ताकि सपोर्टर्स का हौसला बना रहे।
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क्या कांग्रेस ने यूपी उपचुनाव से कदम पीछे खींचने का इरादा किया है?
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश विधानसभा की 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव कदम पीछे खींचने का इरादा किया यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि गठबंधन के तहत मिली दो सीटों से नाखुश और उसे जीत का भरोसा नहीं है।
लखनऊ. (Shah Times) । उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस ने प्रत्याशी न उतारने का मन बनाया है. इंडिया गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को दो सीटें गाजियाबाद और खैर सीट दी है. लेकिन कांग्रेस दोनों ही सीट पर अपने जीत को लेकर भरोसा नहीं है. लिहाजा अब उसने उपचुनाव से अपने कदम पीछे खींचने का इरादा कर लिया है. वह अब सभी सीटों पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार की हिमायत करेगी. इसका ऐलान कांग्रेस की तरफ से जल्द किया जा सकता है।
दरअसल, कांग्रेस की तरफ से पांच सीटों की डिमांड की गई थी. कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से उन सीटों की मांग की थी जहां बीजेपी को 2022 के चुनाव में हार मिली थी. लेकिन बात नहीं बन पाई तो कांग्रेस की तरफ से फूलपुर और मंझवा सीट मांगी गई. लेकिन अखिलेश यादव ने इन दोनों ही सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए. हालांकि, गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी ने गाजियाबाद और अलीगढ़ की खैर सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी. इन दोनों ही सीटों पर इंडिया गठबंधन के लिए राह आसान नहीं है. यहां बीजेपी काफी मजबूत है. यही वजह है कि कांग्रेस अपने हिस्से की दो सीटों को बदलवाना चाह रही थी, लेकिन बात नहीं बनी, जिसके बाद अब कांग्रेस ने मन बना लिया है कि वह अपने हिस्से की दोनों सीटों को भी सपा को दे देगी.
दरअसल, कांग्रेस से पांच सीटों की मांग की गई थी. कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से उन सीटों की मांग की थी, जहां बीजेपी 2022 के चुनाव में हारी है. लेकिन जब बात नहीं बनी तो कांग्रेस ने फूलपुर और मंझवा सीट की मांग की. लेकिन अखिलेश यादव ने इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. हालांकि गठबंधन के तहत समाजवादी पार्टी ने गाजियाबाद और अलीगढ़ की खैर सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी. इन दोनों सीटों पर इंडिया गठबंधन के लिए राह आसान नहीं है. यहां बीजेपी काफी मजबूत है. यही वजह है कि कांग्रेस अपने हिस्से की दो सीटें बदलना चाहती थी, लेकिन बात नहीं बनी, जिसके बाद अब कांग्रेस ने इरादा कर लिया है कि वो अपने हिस्से की दोनों सीटें समाजवादी को लौटा देगी।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में 6 सीटें जीतने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला बुलंद हुआ था अब कांग्रेस की नजर 2027 के विधानसभा चुनाव पर है, लिहाजा कांग्रेस गाजियाबाद और खैर सीट पर होने वाले उपचुनाव हारकर कार्यकर्ताओं का हौंसला नहीं तोड़ना चाहती।
दरअसल, कांग्रेस के खाते में जो दो सीटें गई हैं, वहां भी समाजवादी पार्टी के हालत भी ठीक नहीं है। 2022 के विधानसभा चुनाव में गाजियाबाद में भारतीय जनता पार्टी को 61.37 फीसदी वोट मिले थे, समाजवादी को 18.25 फीसदी और कांग्रेस को 4.81 फीसदी वोट मिले थे। लोकसभा चुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर बड़े मार्जिन से जीत दर्ज कराई थी। लोकसभा चुनाव में यह सीट गठबंधन के तहत कांग्रेस के खाते में थी।
खैर विधानसभा सीट पर भी यही हाल रहा। 2022 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी को 55 फीसदी से ज्यादा वोट मिले, जबकि रालोद को 16 फीसदी से ज्यादा वोट मिले। यहां सपा और रालोद का ज्वाइंट उम्मीदवार मैदान में था, कांग्रेस को सिर्फ 0.6 फीसदी वोट मिले।
डाटा के मुताबिक समाजवादी पार्टी कांग्रेस गठबंधन के बावजूद पार्टी दोनों सीटों पर कमजोर नजर आ रही है। ऐसे में कांग्रेस नेताओं का मानना है कि चुनाव लड़कर हारने से बेहतर है कि न लड़कर समाजवादी पार्टी का साथ दिया जाए, ताकि सपोर्टर्स का हौसला बना रहे।