
Pawan Kalyan’s convoy leads to traffic jam in Visakhapatnam causing students to miss JEE exam
विशाखापट्टनम में 30 छात्र JEE परीक्षा से चूक गए। कारण बना आंध्र प्रदेश उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण का काफिला? पुलिस और छात्रों के दावों में कितना है दम? पढ़िए पूरी रिपोर्ट।
विशाखापट्टनम, (Shah Times) । एक हालिया घटना ने राज्य में प्रशासन, परीक्षा प्रबंधन और राजनीतिक शुचिता पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (JEE) के लिए पहुंचे 30 छात्र परीक्षा केंद्र तक नहीं पहुंच सके और उन्हें परीक्षा से वंचित होना पड़ा। सोशल मीडिया और कई रिपोर्ट्स में इसकी वजह आंध्र प्रदेश उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण के काफिले को बताया गया, जिसने कथित तौर पर ट्रैफिक जाम कर दिया था।
लेकिन सच्चाई क्या है? इस घटना के अलग-अलग पक्ष हैं, जिन्हें समझना जरूरी है।
छात्रों का दावा – “भविष्य छिन गया”
छात्रों और उनके परिजनों का कहना है कि पेंडुर्थी स्थित परीक्षा केंद्र की ओर जाने वाले रास्ते पर भारी ट्रैफिक था। यह जाम उपमुख्यमंत्री के काफिले की आवाजाही की वजह से हुआ, जिससे छात्र देर से पहुंचे। गेट से उन्हें लौटा दिया गया और परीक्षा में बैठने का मौका ही नहीं मिला।
एक छात्र की मां बी. कलावती का कहना था, “हम ट्रैफिक में फंस गए थे क्योंकि उपमुख्यमंत्री अराकू जा रहे थे। मेरे बेटे ने सालभर मेहनत की थी और एक प्रशासनिक गलती ने उसका सबकुछ छीन लिया।”
एआईएसएफ और विपक्ष का तीखा सवाल
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (AISF) ने इस स्थिति के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण अवसरों के दौरान ट्रैफिक मैनेजमेंट में चूक नहीं होनी चाहिए। वहीं वाईएसआर कांग्रेस के प्रवक्ता कार्तिक येल्लाप्रगदा ने कहा, “राज्य को ऐसे मंत्री की जरूरत है जो ग्लैमर से नहीं, जिम्मेदारी से काम करे।”
पुलिस का जवाब – “छात्र खुद जिम्मेदार हैं”
पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि परीक्षा में रिपोर्टिंग का समय सुबह 7 बजे था, जबकि उपमुख्यमंत्री का काफिला उस रास्ते से करीब 8:41 बजे गुजरा। इस हिसाब से ट्रैफिक जाम के लिए काफिला जिम्मेदार नहीं है। पुलिस के मुताबिक, छात्रों की देरी का कारण उनकी खुद की लापरवाही है, क्योंकि वे समय से पहले केंद्र नहीं पहुंचे।
सवाल अनुत्तरित हैं
जहां एक ओर प्रशासन खुद को निर्दोष बता रहा है, वहीं छात्रों और उनके परिजनों का दर्द असली है। शिक्षा एक संवेदनशील मुद्दा है और उसके साथ कोई भी असावधानी भविष्य को अंधेरे में डाल सकती है। इस तरह की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि सिर्फ परीक्षा देना काफी नहीं, बल्कि सही समय पर केंद्र पहुंच पाना भी उतना ही महत्वपूर्ण हो गया है – और वह व्यवस्था की जवाबदेही पर निर्भर करता है।
क्या हो आगे का रास्ता?
इस घटना से सीख लेकर राज्य सरकार और प्रशासन को सुनिश्चित करना चाहिए कि परीक्षा के दिनों में ट्रैफिक रूट्स को लेकर स्पष्ट गाइडलाइंस हों, और VIP मूवमेंट को सीमित या वैकल्पिक रूट से डायवर्ट किया जाए। साथ ही, जिन छात्रों का भविष्य दांव पर लगा, उनके लिए कोई पुनर्विचार या पुनर्परीक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए।
इस घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि VIP कल्चर और आम जनता के अधिकारों के बीच टकराव में हमेशा कमजोर पक्ष को ही नुकसान होता है। चाहे गलती किसी की भी हो, छात्रों का नुकसान किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
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