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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भाषा हिंसक तत्वों को उकसाने वाली, न्यायपालिका को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए
लखनऊ,(Shah Times) । अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ के सदन के अंदर मथुरा और बनारस पर दिये गए विवादित भाषण को न्यायपालिका पर दबाव डालने की अनैतिक कोशिश बताया है। जिसका उद्देश्य पूजा स्थल अधिनियम 1991 को बदलने का माहौल बनाना है।
शाहनवाज़ आलम ने जारी बयान में कहा कि यह संयोग नहीं है कि एक दिन पहले ही राज्यसभा में भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पूजा स्थल अधिनियम को खत्म करने की मांग की और दूसरे ही दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में बोलते हुए इसकी तुलना कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध से करके इसे हिंसक मोड़ देने की धमकी दी। क्या योगी वोट के लिए देशवासियों के बीच महाभारत जैसी हिंसा कराना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शायद भूल गए हैं कि लोकतांत्रिक देश संविधान और क़ानून से चलते हैं। पूजा स्थल अधिनियम 1991 वो क़ानून है जो स्पष्ट करता है कि 15 अगस्त 1947 के दिन तक धार्मिक स्थलों का जो भी चरित्र था उसमें कोई भी बदलाव नहीं हो सकता। यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे मौलिक ढांचे को सशक्त करने वाला क़ानून बताया है और संविधान के मौलिक ढांचे में संसद भी बदलाव नहीं कर सकती।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि न्यायपालिका को योगी जी के संविधान विरोधी टिप्पणी पर स्वतः संज्ञान लेकर उन्हें नोटिस भेजना चाहिए। क्योंकि उनकी भाषा बाबरी मस्जिद के विध्वंस जैसी और घटनाओं को दोहराने के लिए अराजक तत्वों को उकसाने वाली है।