
Elon Musk announces America Party to challenge Donald Trump and US political system – Shah Times Editorial
अमेरिकी राजनीति में तीसरी ताकत की दस्तक, एलन मस्क की नई पार्टी का एलान
एलन मस्क बनाम डोनाल्ड ट्रंप: सत्ता, सब्सिडी और अब सियासत की सीधी लड़ाई
एलन मस्क ने ‘अमेरिका पार्टी’ के नाम से एक नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा कर अमेरिकी राजनीति में हलचल मचा दी है। ट्रंप से टकराव और दो-दलीय व्यवस्था को चुनौती देने वाली यह पार्टी क्या बदलाव ला पाएगी?
अमेरिका की सियासत में भूचाल आ गया है। डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क—दो ऐसे नाम जो हाल तक राजनीतिक और कारोबारी रिश्तों में बंधे थे, अब आमने-सामने खड़े हैं। एलन मस्क ने ‘अमेरिका पार्टी’ के नाम से एक नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा कर दी है, जो अमेरिका की पारंपरिक दो-दलीय व्यवस्था—डेमोक्रेट और रिपब्लिकन—को चुनौती देने का दावा करती है।
यह महज एक राजनीतिक घोषणा नहीं, बल्कि अमेरिकी राजनीति में उथल-पुथल की दस्तक है।
🇺🇸 ट्रंप बनाम मस्क: दोस्ती से दुश्मनी तक
2024 के चुनावों में एलन मस्क ने डोनाल्ड ट्रंप का खुलकर समर्थन किया। भारी-भरकम डोनेशन से लेकर प्रचार रैलियों तक, मस्क की भूमिका बेहद अहम रही। ट्रंप की जीत के बाद उन्हें “डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी” यानी DOGE का प्रमुख नियुक्त किया गया। लेकिन जैसे ही ट्रंप ने विवादित “बिग ब्यूटीफुल बिल” पास किया, मस्क खुलकर विरोध में उतर आए। उन्होंने इसे “भ्रष्टाचार और बर्बादी का प्रतीक” कहा। जवाब में ट्रंप ने टेस्ला और स्पेसएक्स को मिलने वाली सब्सिडी खत्म करने और मस्क को “देश से निकालने” तक की धमकी दे डाली।


⚡ मस्क की ‘अमेरिका पार्टी’ क्या है?
एलन मस्क की नई पार्टी “America Party” एक तीसरे विकल्प के रूप में सामने आई है। मस्क का कहना है कि 80% अमेरिकी मतदाता रिपब्लिकन और डेमोक्रेट से असंतुष्ट हैं और उन्हें एक नई दिशा की आवश्यकता है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोल भी चलाया जिसमें लाखों यूजर्स ने नई पार्टी की मांग की।
हालांकि अब तक फेडरल इलेक्शन कमीशन (FEC) में इस पार्टी का कोई पंजीकरण नहीं हुआ है। पार्टी की संरचना, नेतृत्व या संगठनात्मक ढांचा भी स्पष्ट नहीं है। फिर भी, मस्क का इरादा अगले मिडटर्म चुनावों में कांग्रेस और सीनेट की कुछ चुनिंदा सीटों पर दांव लगाने का है।
📜 राष्ट्रपति पद और संविधान
अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद II के मुताबिक, राष्ट्रपति वही बन सकता है जिसका जन्म अमेरिका में हुआ हो। चूंकि मस्क का जन्म साउथ अफ्रीका में हुआ है, इसलिए वे खुद राष्ट्रपति पद के योग्य नहीं हैं। उन्होंने खुद स्वीकार किया कि भले ही उनकी दादी अमेरिकी थीं, लेकिन उनका जन्मस्थान उन्हें राष्ट्रपति बनने से रोकता है।
🧠 विश्लेषण: क्या यह वाकई नई राजनीति है या रणनीतिक दबाव?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मस्क की यह पहल “रणनीतिक दबाव” की रणनीति भी हो सकती है। अल जज़ीरा से बातचीत में प्रोफेसर थॉमस गिफ्ट ने इसे एक “चाल” कहा, जिसका उद्देश्य रिपब्लिकन पार्टी पर दबाव बनाना है। क्योंकि अमेरिका में तीसरी पार्टी की जगह बनाना बेहद मुश्किल होता है।
सीबीएस न्यूज़ से बात करते हुए चुनाव विशेषज्ञ ब्रेट कैपल ने बताया कि बैलेट एक्सेस, कानूनी औपचारिकताएं और राज्यवार पंजीकरण जैसे चरणों को पार करना मस्क के लिए आसान नहीं होगा, भले ही उनके पास अपार धन हो।
🛑 चुनौती: तीसरी पार्टी का संघर्ष
- बैलेट एक्सेस: हर राज्य में पार्टी को मतपत्र पर शामिल करने के लिए अलग-अलग हस्ताक्षर, फीस और नियम हैं।
- धन जुटाना: भले ही मस्क के पास पूंजी है, लेकिन अमेरिकी चुनाव प्रणाली में पारदर्शिता और रिपोर्टिंग की सख्त ज़रूरत होती है।
- मीडिया एक्सेस: राष्ट्रीय बहस में शामिल होने के लिए उम्मीदवार को 15% समर्थन दिखाना होता है।
- वोट विभाजन: तीसरी पार्टी बनने पर वोट बंट सकते हैं, जिससे ट्रंप या डेमोक्रेट दोनों को नुकसान हो सकता है।
🗳️ अमेरिकी इतिहास में तीसरी पार्टियों की भूमिका
- 1968: जॉर्ज वॉलेस को 5 दक्षिणी राज्यों में इलेक्टोरल वोट मिले।
- 1992: अरबपति रॉस पेरोट को 19% वोट मिले लेकिन कोई इलेक्टोरल वोट नहीं।
- 1912: थियोडोर रूज़वेल्ट की प्रोग्रेसिव पार्टी ने 88 इलेक्टोरल वोट हासिल किए थे।
इतिहास गवाह है कि तीसरी पार्टी का सफर आसान नहीं रहा।
💥 क्या ट्रंप को चुनौती मिल सकती है?
मस्क की पार्टी यदि ट्रंप की परंपरागत समर्थक वर्ग में सेंध लगा पाई, तो यह ट्रंप के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। विशेष रूप से युवा, टेक-फ्रेंडली और सिस्टम से नाराज़ वर्ग मस्क की ओर आकर्षित हो सकता है। लेकिन क्या ये समर्थन सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित रहेगा या वोट में तब्दील होगा, यह बड़ा सवाल है।
🔮 निष्कर्ष
एलन मस्क की ‘अमेरिका पार्टी’ ने अमेरिकी राजनीति में एक नया अध्याय जरूर जोड़ दिया है, लेकिन इसे पूर्ण क्रांति बनने में समय, संगठन और भरोसे की बड़ी चुनौती होगी। ट्रंप के लिए यह एक रणनीतिक सिरदर्द बन सकता है, और डेमोक्रेट्स के लिए अप्रत्याशित अवसर।
अमेरिका में दो-दलीय व्यवस्था को चुनौती देना एक लंबी लड़ाई है, जिसमें मस्क की पहली चाल सिर्फ शुरुआत है।




