
Dr. Jaswinder Singh addresses a press conference in Delhi, urging national recognition for electropathy — captured by Shah Times.
इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा को राष्ट्रीय मान्यता की मांग तेज़: डॉ. जसविंदर सिंह ने उठाई आवाज़
डॉ. जसविंदर सिंह ने इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा को राष्ट्रीय मान्यता देने के लिए केंद्र सरकार से राजस्थान मॉडल अपनाने की अपील की है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में हुई इस प्रेस वार्ता में सस्ती और असरदार स्वास्थ्य सेवाओं की वकालत की गई।
नई दिल्ली, (Shah Times)। भारत में सस्ती, प्राकृतिक और प्रभावशाली स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने की दिशा में इलेक्ट्रोपैथी चिकित्सा प्रणाली एक सशक्त विकल्प बनकर उभरी है। इसी कड़ी में वर्ल्ड बायो केयर्स हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WBCHO) के अध्यक्ष एवं Ebio Cares के संस्थापक डॉ. जसविंदर सिंह ने आज प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर इलेक्ट्रोपैथी को राष्ट्रीय स्तर पर कानूनी मान्यता देने की मांग की।
डॉ. सिंह ने केंद्र सरकार से अपील करते हुए कहा,
“अब समय आ गया है कि सरकार राजस्थान मॉडल को पूरे देश में लागू करे, जिससे करोड़ों मरीजों को सस्ती और असरदार चिकित्सा सुविधा मिल सके।”
उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रोपैथी के ज़रिए अब तक ऑटिज़्म, ADHD, सेरेब्रल पाल्सी और स्पीच डिसऑर्डर जैसी जटिल बीमारियों में शानदार परिणाम मिले हैं। इस चिकित्सा पद्धति में बिना किसी साइड इफेक्ट के रोगों का इलाज पौधों के अर्क द्वारा किया जाता है।
राजस्थान बना रोल मॉडल
डॉ. सिंह ने बताया कि राजस्थान सरकार ने 30 अप्रैल 2025 को अधिसूचना जारी कर राज्य इलेक्ट्रोपैथी बोर्ड का गठन किया है, जो 1 मई से लागू हो चुका है। इस बोर्ड के ज़रिए अब इलेक्ट्रोपैथी की पढ़ाई, रिसर्च और डॉक्टरों का पंजीकरण विधिक दायरे में आ गया है।
उत्तर प्रदेश और हिमाचल भी कदम बढ़ा रहे
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश के मत्स्य मंत्री डॉ. संजय निषाद ने इस विषय को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और संबंधित मंत्रियों के समक्ष रखा है और सकारात्मक निर्णय की आशा जताई है।
वहीं, हिमाचल प्रदेश में भी इलेक्ट्रो होम्योपैथी डेवलपमेंट एंड वेलफेयर सोसाइटी ने स्वास्थ्य मंत्री धनी राम शांडिल को ज्ञापन सौंपा है।
तकनीक से मिलेगा नया आयाम
प्रेस वार्ता में मौजूद IT और AI विशेषज्ञ डॉ. संदीप कुमार गुप्ता ने कहा:
“इलेक्ट्रोपैथी जैसे होलिस्टिक और नेचुरल सिस्टम को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल हेल्थकेयर प्लेटफ़ॉर्म्स से जोड़कर इसकी पहुंच और प्रभावशीलता कई गुना बढ़ाई जा सकती है।”