सुहाना मौसम भी नही होता खतरे से खाली, रखे अपना खास ख्याल

बारिश के मौसम में हवा में नमी बढ़ने और गड्ढों में पानी जमा होने की वजह से वायरस, बैक्टीरिया और मच्छर पनपने लगते हैं। इससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। बारिश के दिनों में मच्छरों के काटने से सबसे ज्यादा डेंगू के मामले सामने आते हैं।

मानसून आते ही भीषण गर्मी के साथ साथ चिलचिलाती धूप से राहत तो राहत मिल जाती है। लेकिन ये सुहाना मौसम कई सारी बीमारियों को भी न्यौता देता है। इस मौसम में आमजन को बहुत सी बीमारियों का सामना करना पड़ता है।

दरअसल बारिश के मौसम में हवा में नमी बढ़ने और गड्ढों में पानी जमा होने की वजह से वायरस, बैक्टीरिया और मच्छर पनपने लगते हैं। इससे संक्रमण और बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। बारिश के दिनों में मच्छरों के काटने से सबसे ज्यादा डेंगू के मामले सामने आते हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO का अनुमान है कि दुनिया भर में हर साल लगभग 10-40 करोड़ लोग डेंगू से संक्रमित होते हैं। डेंगू से पीड़ित अधिकांश लोगों में हल्के या कोई लक्षण नहीं दिखते और वे 1-2 हफ्ते में ठीक हो जाते हैं, लेकिन कभी-कभी डेंगू की वजह से स्थिति गंभीर हो सकती है। कई बार तो डेंगू वायरस जानलेवा भी साबित हो सकता है।

डेंगू वायरस के लक्षण

डॉक्टर्स के अनुसार डेंगू के बुखार को ब्रेक बोन फीवर भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें तेज बुखार के साथ मसल्स, सिर और जोड़ों में तेज दर्द होता है। कई मामलों में यह देखा जाता है कि 2 से 3 दिन बुखार रहने पर हाथ, पैर, पीठ या सीने पर लाल चकत्ते भी आने लगते हैं, ठंड लगना, उल्टी आना, आंखों में दर्द होना, सिर में दर्द होना आदि। कभी-कभी बहुत सीवियर डेंगू भी होता है। जिसे डेंगू शॉक सिंड्रोम या डेंगू हेमरेजिक फीवर कहा जाता है। यह स्थिति काफी खतरनाक साबित हो सकती है। इसमें प्लेटलेट्स और वाइट ब्लड सेल्स की संख्या कम होने लगती है। साथ ही नाक, मसूढ़ों या मल से खून आने लगता है। ऐसी स्थिति में तत्काल इलाज न मिलने पर मरीज की मौत भी हो सकती है। इसलिए समय रहते डॉक्टर्स से सलाह लेनी चहिए अन्यथा स्तिथि अत्यंत गंभीर हो सकती हैं।

डेंगू से बचाव के उपाय

भारत में मानसून का समय जुलाई महीने से शुरू होकर अक्टूबर तक रहता हैं। इन दिनों डेंगू के मामले सबसे ज्यादा बढ़ने लगते हैं। डेंगू का मच्छर स्थिर पानी में प्रजनन करता है, इसलिए घर के आसपास गमलों, बाल्टियों, पुराने टायरों या छत के कोनों जैसी जगहों पर पानी को रुकने न दें। बारिश के समय ऐसी जगहों की नियमित साफ-सफाई करें। इसके अलावा मच्छरों को मारने वाली कॉइल या वेपोराइजर का इस्तेमाल करें। फूल बाजू के कपड़े पहने, पानी को खुला न रखे, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।

डेंगू के इलाज के दौरान ध्यान रखने वाली बातें

एक्सपर्ट के मुताबिक डेंगू के वायरस को खत्म के लिए कोई भी पर्टिकुलर दवा नहीं है। इसलिए खुद से कोई अनावश्यक दवा नहीं लेनी चाहिए। डेंगू के लक्षण दिखने पर डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवा खाएं। डेंगू के इलाज के दौरान प्लेटलेट्स की नियमित मॉनिटरिंग करना सबसे जरूरी है, क्योंकि डेंगू फीवर में खून में से प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं। प्लेटलेट्स की संख्या ज्यादा कम होने से शरीर में रक्तस्त्राव शुरू हो जाता है। इसलिए डेंगू के मरीज की CBC जांच अवश्य कराएं।

क्या एक दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता हैं डेंगू

आपको बता दें कि डेंगू का इन्फेक्शन व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है। जब कोई एडीज मच्छर डेंगू से इन्फेक्टेड व्यक्ति को काटता है तो डेंगू का वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसके बाद जब यह मच्छर किसी अन्य स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वायरस उस व्यक्ति के शरीर में भी पहुंच जाता है। इस तरह से एक स्वस्थ व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है। इन्फेक्टेड व्यक्ति को छूने से डेंगू नहीं फैलता है।

खान-पान का रखें अच्छे से ध्यान

किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए इम्यूनिटी सिस्टम का मजबूत होना बेहद जरूरी है। डेंगू से जल्दी रिकवर होने के लिए पौष्टिक और संतुलित भोजन करना चाहिए । इससे शरीर को वायरस से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती हैं।

•डेंगू फीवर होने पर विटामिन, एंटीऑक्सीडेंट और इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर फल खाएं। इसके लिए संतरा, कीवी और नींबू जैसे सिट्रस फल खाने चाहिए। इनसे भरपूर मात्रा में विटामिन सी मिलता हैं और इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं।

•डेंगू मरीजों के लिए पपीते की पत्तियां खाना बेहद फायदेमंद है। इनमें एसिटोजेनिन पाया जाता है, जो प्लेटेलेट्स की संख्या तेजी से बढ़ाने में कारगर है।

•डेंगू बुखार में लेमन वॉटर, नारियल पानी और छाछ या लस्सी पी सकते हैं। इससे शरीर हाइड्रेटेड रहता है।
कद्दू, पालक, बंदगोभी और चुकंदर प्लेटेलेट्स बढ़ाने में बहुत सहायक होते हैं।

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