
External Affairs Minister Dr. S. Jaishankar speaks during a high-level diplomatic briefing on India's counter-terror strategy. (Shah Times Photo)
“आतंक के खिलाफ निर्णायक मोर्चा: ऑपरेशन सिंदूर की अगली चाल
पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, हमला दोहराया गया तो आतंकियों के साथ उनके संरक्षकों को भी जवाब मिलेगा। पढ़िए पूरा विश्लेषण।
पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की पहचान पूछकर की गई निर्मम हत्या ने न केवल भारत को, बल्कि पूरे विश्व समुदाय को झकझोर कर रख दिया। यह घटना आतंकवाद की उस जघन्यता को उजागर करती है जो सीमापार से संचालित होती रही है। इसके बाद भारत सरकार की जवाबी रणनीति, “ऑपरेशन सिंदूर”, केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक स्पष्ट राजनीतिक-सामरिक संदेश बन चुकी है।
जयशंकर की चेतावनी: रणनीतिक लहजे में सख़्त संदेश
विदेश मंत्री एस. जयशंकर का डच मीडिया को दिया गया इंटरव्यू कूटनीतिक शब्दों में एक स्पष्ट चेतावनी है। उन्होंने कहा — “ऑपरेशन सिंदूर समाप्त नहीं हुआ है, यह जारी रहेगा जब तक आतंकी ढांचा ध्वस्त नहीं होता।” यह बयान ना सिर्फ एक सैन्य अभियान की पुष्टि करता है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि अगर पाकिस्तान से फिर कोई हमला होता है, तो भारत सीधे आतंकवादियों को निशाना बनाएगा।
जयशंकर ने पाकिस्तानी सेना और आतंकवाद के बीच के संबंध को भी स्पष्ट रूप से उजागर किया — “पाकिस्तानी आर्मी और आतंकवादी संगठनों में कोई अंतर नहीं है।” इस वक्तव्य से यह जाहिर है कि भारत अब केवल आतंकवादियों से नहीं, बल्कि उन्हें संरक्षण देने वाले ढांचे से भी लड़ेगा।
ऑपरेशन सिंदूर: सर्जिकल स्ट्राइक्स से आगे
7 मई को शुरू हुआ ऑपरेशन सिंदूर भारत की नई रणनीति का प्रतीक है। इसमें POK और पाकिस्तान के भीतर मौजूद आतंकवादी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक्स की गईं। 9 आतंकी अड्डों के साथ 11 एयरबेस को भी टारगेट किया गया। यह पहली बार था जब भारत ने केवल आतंकी ढांचे तक सीमित न रहते हुए, उनके सैन्य संरक्षकों को भी संदेश दिया।
किश्तवाड़ में ताजा अभियान: संदेश की पुष्टि
जयशंकर के बयान के बाद जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में चलाया गया संयुक्त सैन्य अभियान इस बात की पुष्टि करता है कि भारत घरेलू मोर्चे पर भी उतना ही सजग है। सिंहपोरा-चटरू के जंगलों में छिपे आतंकियों के खिलाफ जिस सघनता से कार्रवाई की गई, वह दर्शाता है कि भारत अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि पूर्व-नियोजित आक्रामक रणनीति पर काम कर रहा है।
आतंकी संरचना की सच्चाई: अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान की पोल
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकियों के खुलेआम पाकिस्तान में मौजूद होने की बात उठाकर यह दर्शाया कि यह केवल भारत-पाक संघर्ष नहीं, बल्कि एक वैश्विक सुरक्षा चुनौती है। भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी सैन्य, कूटनीतिक और मनोवैज्ञानिक तीनों मोर्चों पर कार्यवाई की है।
भारत की नीति स्पष्ट है — “शून्य सहनशीलता”
अब यह स्पष्ट हो चुका है कि भारत किसी भी आतंकी हरकत को “आंतरिक सुरक्षा चुनौती” नहीं, बल्कि “सीमापार युद्ध की स्थिति” मानकर जवाब देगा। ऑपरेशन सिंदूर और जयशंकर के बयान इसी रणनीतिक सोच की बुनियाद हैं।
अगर पाकिस्तान ने सबक नहीं सीखा, तो अगला हमला सिर्फ आतंकियों पर नहीं, उनकी संरक्षक प्रणाली पर होगा।
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