
Pakistan closed the Attari-Wagah border gate, leaving its citizens stranded; Indian volunteers stepped in to provide food and support at the border
पाकिस्तान ने अटारी-वाघा बॉर्डर का गेट बंद कर अपने ही नागरिकों को सीमा पार करने से रोका, भारतीय स्वयंसेवकों ने फंसे लोगों को भोजन और सहायता दी।
चंडीगढ़ (शाह टाइम्स) पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव का असर अब आम नागरिकों पर साफ नजर आने लगा है। पाकिस्तान ने एक ओर जहां अपने नागरिकों को वापस बुलाने की तारीख 29 अप्रैल को समाप्त कर दी, वहीं अब अटारी-वाघा बॉर्डर पर गेट बंद कर दिया है, जिससे दर्जनों पाकिस्तानी नागरिक सीमा पर फंसे हुए हैं। इन फंसे हुए लोगों में महिलाएं, बुजुर्ग और छोटे बच्चे शामिल हैं। पाकिस्तान के इस रवैये की आलोचना हो रही है, जबकि भारतीय सिख स्वयंसेवक इन बेसहारा लोगों की सेवा कर रहे हैं।
सीमा पर बेबस इंतजार और मानवीय मदद:
गुरुवार को पाकिस्तानी नागरिक वाघा बॉर्डर पर दिनभर गेट खुलने की आस में बैठे रहे, लेकिन पाकिस्तान ने गेट नहीं खोला। भारत सरकार द्वारा शॉर्ट टर्म वीजा पर आए लोगों को लौटने का निर्देश तो दिया गया, मगर पाकिस्तान के गेट बंद कर देने से वे वापस नहीं जा सके। सिख स्वयंसेवकों ने आगे बढ़कर इन लोगों को खाना और पानी मुहैया कराया, जिससे मानवता की मिसाल कायम हुई।
भटके हुए रिश्ते और टूटी उम्मीदें:
सीमा पर मौजूद कुछ लोगों की कहानियाँ दिल दहला देने वाली हैं। लाहौर में जन्मीं सईदा सगीर फातिमा और सईदा जमीर फातिमा वर्षों से श्रीनगर में रह रही हैं। जब उन्हें वापस भेजे जाने की खबर मिली तो वे घबरा गईं। सईदा सगीर, जो शारीरिक रूप से अक्षम हैं, ने रोते हुए कहा, “मैं भारत में अपनी आखिरी सांस लेना चाहती हूं। पाकिस्तान में हमारा कोई नहीं है।”
शादी के रिश्ते, टूटते वादे:
कराची में रह रही शर्मिन और शकीला, जो भारतीय मूल की हैं, अपनी बीमार मां को देखने भारत आई थीं। वे 1 मई को लौटने वाली थीं, लेकिन गेट बंद होने के कारण रुक गईं। दोनों बहनें अपने बच्चों के साथ सीमा पर इंतजार कर रही थीं और मायूस नजर आईं। उनके भाई मोहम्मद शारिक उन्हें विदाई देने आए थे, लेकिन पाकिस्तान की बेरुखी ने भावनाओं को झकझोर दिया।
अल्पसंख्यकों की पीड़ा:
राजस्थान में मजदूरी करने आए पाकिस्तानी हिंदू मजदूरों के लिए भी हालात बद से बदतर हो गए हैं। उनमें से एक, गणेश, ने कहा, “हम काम करने आए थे, परेशानियां लेने नहीं। अब वापस भेजा जा रहा है, लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यक होकर जीना और भी मुश्किल है।”
खामियाजा आम लोगों को पड़ रहा भुगतना
भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक तनाव का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। खासकर वे लोग जो रिश्तेदारी, रोज़गार या मानवीय संबंधों के तहत दोनों देशों के बीच आ-जा रहे थे। पाकिस्तान द्वारा गेट बंद करना न केवल मानवीय दृष्टिकोण से निंदनीय है, बल्कि यह दो देशों के नागरिकों के बीच के भरोसे को भी ठेस पहुंचाता है।