
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य
रिपोर्ट- मौ. फहीम ‘तन्हा’
देहरादून। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने आरोप लगाते हुए कहा कि मानसून के पहले चरण में हुई बरबादी ने सिद्ध कर दिया है कि सरकार आपदा प्रबंधन में पूरी तरह असफल है। उन्होंने कहा कि पहली बारिश में देहरादून सहित मैदानी जिलों का जल भराव हो या पहाड़ी जिले चमोली में बिजली के करंट की मानव जनित आपदा से 16 निरीह लोगों की मौत हर घटना में सरकार की घनघोर लापरवाही और कर्तव्यहीनता उजागर हुई है।
नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि आपदा को लेकर सरकार की संवेदनशीलता इस बात से परखी जा सकती है कि राज्य आपदा प्रबंधन समिति की बैठक लगभग एक साल से नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि , राज्य स्तर में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली राज्य आपदा प्रबंधन समिति ही आपदा प्रबंधन और आपदा के समय समन्वय और नीतिगत निर्णयों के लिए जिम्मेदार होती है।
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नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के कोटद्वार के मालन पुल से संबंधित वायरल वीडियो ने सिद्ध किया है कि आपदा में भी राज्य की विधानसभा की अध्यक्ष को एक बेपरवाह नौकरशाह के सामने मदद के लिए गुहार लगानी पड़ रही है । इससे कोई भी जान सकता है कि इस राज्य में अन्य जान प्रतिनिधियों और आम लोगों की क्या हालत होगी।
उन्होंने कहा कि हाल की आपदा के बाद मुख्यमंत्री को बाकायदा आदेश जारी कर जिलों के प्रभारी मंत्रियों को उन जिलों में भेजना पड़ा जंहा के वे प्रभारी मंत्री हैं। प्रभारी मंत्री भी अपने-अपने प्रभार वाले जिलों में “आपदा प्रबंधन” के बजाय “आपदा पर्यटन” की औपचारिकता पूरी करके वापस राजधानी आ गए हैं।
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यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि मानसून की पहली बारिश में मेट्रो शहर देहरादून की पोल पूरी तरह खुल गयी थी, सारा शहर तालाबों में बदल गया था। उन्होंने कहा कि जो सरकार घोषित स्मार्ट सिटी राजधानी देहरादून के जलभराव की समस्या का हल नहीं खोज पा रही है उससे बाकी राज्य में राहत की क्या आशा करें।
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि मैदानी जिला हरिद्वार हाल की बारिश में पूरी तरह डूब गया था यही हाल उधम सिंह नगर का भी था। इन मैदानी जिलों में किसानों की फसलें तबाह हो गई हैं।उन्होंने कहा कि मैदानों की तरह पर्वतीय जिलों की हालत भी चिंताजनक हैं। चमोली में करेंट से 16 लोगों की मौत को नेता प्रतिपक्ष ने लापरवाही के कारण हुई मौतें बताते हुए कहा कि अगर प्रशासन सजग होता तो ये लोग बचाए जा सकते थे।