
The government is likely to receive over 2.5 lakh crore rupees as dividend from the Reserve Bank this year. Learn how this dividend will help reduce the fiscal deficit and boost development plans
सरकार को रिजर्व बैंक से इस साल 2.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का डिविडेंड मिलने की संभावना है। जानें कैसे इस डिविडेंड से सरकार के वित्तीय घाटे को कम करने और विकास योजनाओं को बढ़ावा मिलेगा।
नई दिल्ली (शाह टाइम्स) सरकार को जल्द ही भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से एक बड़ी राहत मिलने वाली है। सूत्रों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में RBI सरकार को 2.5 लाख करोड़ रुपये या उससे अधिक का डिविडेंड ट्रांसफर कर सकता है। यह रकम पिछले साल मिले डिविडेंड से करीब 20% ज्यादा हो सकती है। आधिकारिक घोषणा मई के अंत तक होने की उम्मीद है।
क्यों दे रहा है RBI इतना बड़ा डिविडेंड?
जानकारों के मुताबिक, इस बार RBI की कमाई कई स्रोतों से हुई है:
डॉलर की बड़ी मात्रा में बिक्री कर विदेशी मुद्रा भंडार में मुनाफा कमाया गया।
बैंकों को दी गई नकदी पर ब्याज से हुई आमदनी।
रुपये की मजबूती बनाए रखने के प्रयासों से भी लाभ हुआ।
एएनजेड बैंकिंग ग्रुप और एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे विशेषज्ञ संस्थानों का अनुमान है कि यह डिविडेंड 2.8 से 3.5 लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है।
क्या फायदा होगा सरकार को?
वित्तीय घाटा होगा कम: यह रकम सरकार को अपने खर्च और आमदनी के अंतर को पाटने में मदद करेगी।
कर्ज लेने की जरूरत घटेगी: इससे सरकार को बाजार से कम कर्ज लेना पड़ेगा।
राज्यों के विकास को मिलेगी रफ्तार: अतिरिक्त संसाधनों से सरकार राज्यों में अधिक निवेश कर सकेगी।
बॉन्ड मार्केट को राहत: डिविडेंड की वजह से कम समय वाले बॉन्ड पर ब्याज दरें घट सकती हैं, जिससे निवेशकों को फायदा होगा।
बजट से ज्यादा उम्मीद
सरकार ने बजट में डिविडेंड से 2.2 लाख करोड़ रुपये मिलने का अनुमान लगाया था, लेकिन RBI की संभावित उदारता से यह आंकड़ा कहीं अधिक हो सकता है। विशेषज्ञों की राय है कि यह सरप्लस फंड न सिर्फ आर्थिक सुस्ती से जूझ रही अर्थव्यवस्था के लिए टॉनिक साबित होगा, बल्कि सरकारी योजनाओं के लिए अतिरिक्त ताकत भी देगा।
क्या है निष्कर्ष: अगर RBI का यह डिविडेंड अनुमान के मुताबिक आता है, तो यह न सिर्फ सरकार के लिए आर्थिक राहत होगा, बल्कि देश की विकास योजनाओं को भी नई गति देगा। अब निगाहें मई के अंत में होने वाली आधिकारिक घोषणा पर टिकी हैं।