
ज़िंदा कौमें परिस्थितियों की दया पर नहीं रहतीं बल्कि अपने चरित्र और कर्म से परिस्थितयों को बदल देती हैं
ज़िला प्रशासन को जवाबदेह बनाए बिना देश में दंगों पर काबू पाना संभव नहीं
मुंबई-जयपुर ट्रेन में तीन मुस्लिम यात्रियों की निर्मम हत्या और नूह, मेवात के सांप्रदायिक दंगों की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच हो
नई दिल्ली। ऑल इंडिया जमीयत उलेमा-ए-हिंद (All India Jamiat Ulema-e-Hind) ने मुंबई-जयपुर ट्रेन (Mumbai-jaipur train) में आरपीएफ के एक कांस्टेबल के तीन निर्दोष मुस्लिम यात्रियों और एक अपने सीनीयर पुलिस की निर्मम हत्या की दुर्भाग्यपूर्ण घटना और हरियाणा के नूह में होने वाले सांप्रदायिक दंगे की घटना पर गहरा दुख और अफसोस जताया है। एक बयान जारी करते हुए जमीयत-उलमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने कहा है कि सांप्रदायिक मानसिकता की ओर से देश में पिछले नौ साल से नफरत की जो खेती की जा रही है ये अफसोसनाक घटनाएं उसी का नतीजा हैं।
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मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने नूह में होने वाले सांप्रदायिक दंगे को एक बड़ी साजिश करार देते हुए कहा कि प्रशासन की जानकारी में सब कुछ था, उसे यह भी मालूम था कि नासिर और जुनैद की निर्मम हत्या का फरार मुख्य आरोपी नूह में निकलने वाली धार्मिक यात्रा के सम्बंध में न केवल भड़काऊ वीडीयो सोशल मीडीया पर अपलोड कर रहा है बल्कि वह लोगों से इस यात्रा में भारी संख्या में शामिल होने की अपीलें भी कर रहा है, फिर भी पुलिस और प्रशासन ने यात्रा से पहले सावधानी नहीं बरती और न ही यह पता लगाने का प्रयास किया कि मोनु मानेसर (Monu Manesar) कहां से अपनी वीडीयो सोशल मीडिया (Social Media) पर शेयर कर रहा है।
मौलाना मदनी (Maulana Madani) ने कहा कि यह इस बात का पक्का सबूत है कि सब कुछ योजनाबद्ध तरीक़े से हो रहा था। अधिकतर मीडीया एकतरफा रिपोर्टिंग कर रहा है। बल्कि यह रिपोर्टिंग गुमराह करने वाली है। उल्लेखनीय है कि यह यात्रा अभी तीन साल से निकलनी शुरू हुई है। नूह और इसके आस-पास के क्षेत्रों में मुस्लिम अधिक संख्या में हैं, ऐसे में न्याय यही था कि यात्रा से पहले पुलिस और प्रशासन की ओर से सावधानी बरती जाती। यात्रा में शामिल होनेएम वालों को चेतावनी दी जाती कि वह भड़काऊ नारे न लगाएं। मगर पुलिस और प्रशासन ने ऐसा कुछ नहीं किया। इसलिए वही हुआ जिसका डर था। नूह के नलहड़ गाँव के एक मंदिर से शुरू हुई यह यात्रा जैसे ही मुस्लिम बहूल क्षेत्रों में पहुंची भड़काऊ भाषण और हथियारों का प्रदर्शन शुरू हो गया।
उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद ही से नूह और आसपास का पूरा क्षेत्र स्थायी रूप से संवेदनशील बना हुआ है और अगर इसके बाद भी पुलिस और प्रशासन ने जानबूझकर लापरवाही दिखाई तो क्या इसके उत्तरदायी पुलिस और प्रशासन के अधिकारी नहीं होने चाहिएं। ताजा सूचना यह हैं कि अब वहां जगह-जगह मुसलमानों की एकतरफा गिरफ्तारियां हो रही हैं, जबकि विश्वसनीय सूचना है कि यात्रा में शामिल लोग जब नूह से निकले तो उन्होंने सोहना और इसके आसपास के क्षेत्रों और गुरुग्राम के बादशाहपुर में चुनचुन कर मुसलमानों की दूकानों को आग लगा दी यहां तक कि गुरुग्राम में एक मस्जिद में घुस कर दंगाइयों ने सहायक इमाम को पीट-पीट कर मार डाला और मस्जिद में आग लगा दी।
मौलाना मदनी (Maulana Madani) ने सवाल किया कि क्या यह जुर्म नहीं है? अगर है तो फिर वहां अंधाधुंध एकतरफा कार्यवाइयां क्यों हो रही हैं? उन्होंने यह भी कहा कि नूह में जो कुछ हो रहा है वह राजनीति से प्रेरित है। दंगाइयों की टोली को अपनी मनमानी और गुंडागर्दी का समय समाप्त होता हुआ दिखाई दे रहा है। इसलिए नफरत के सहरे धार्मिक हिंसा को हवा दी जा रही है ताकि उसके सहारे एक बार फिर 2024 का संसद का चुनाव (2024 Parliament election) जीत लिया जाए।
उन्होंने इस बात पर गहरा आश्चर्य प्रकट किया कि चलती ट्रेन में चार निर्दोष लोगों के निर्मम हत्यारे को अब मानसिक रोगी साबित किया जा रहा है। जबकि यह एक खुला हुआ उग्रवाद है। जब एक रक्षक न केवल वर्दी में हत्यारा बन गया बल्कि उसने एक विशेष धर्म के मानने वालों को गोलियों से भून दिया। मौलाना मदनी (Maulana Madani) ने कहा कि यह दुनिया का ऐसा पहला मरीज है जिसकी गोली केवल मुसलमानों को पहचानती है, सच तो यह है कि इस महान भारत देश के लिए जहां हिंदू और मुसलमान दोनों सदियों से शांति और प्रेम से रहते आए हैं, इस प्रकार की घटनाएं बहुत शर्मनाक हैं, इससे पूरी दुनिया में देश की छवि दागदार होती है, मगर जिन लोगों को नागरिकों के मान-सम्मान और जान से अधिक अपनी गुंडागर्दी प्यारी है उनके लिए यह बात कोई महत्व नहीं रखती।
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मौलाना मदनी (Maulana Madani) ने कहा कि इन दोनों घटनाओं की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच होनी चाहीए और जो लोग दोषी पाए जाएं उन्हें भेदभाव के बिना कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहीए, एकतरफा कार्रवाई कानून और न्याय के मुंह पर एक तमांचा है। यह बात निःसंदेह याद रखी जानी चाहिए कि न्याय के दोहरे मापदण्ड से ही अराजकता और विनाश के रास्ता खुलते हैं। कानून का मापदण्ड सब के लिए एक जैसा होना चाहिए और धार्मिक रूप से किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए क्योंकि इसकी अनुमति न तो देश का संविधान देता है और न कानून।
मौलाना मदनी (Maulana Madani) ने अंत में कहा कि निःसंदेह सांप्रदायिकता और धर्म के आधार पर नफरत पैदा करने से देश की स्थिति निराशाजनक और घातक है, लेकिन हमें निराश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि सुखद बात यह है कि हर तरह के उकसावे के बावजूद देश का बहुसंख्यक वर्ग (majority class) सांप्रदायिकता का विरोधी (Anti communalism) है, जिसकी जिंदा मिसाल कर्नाटक चुनाव (karnataka election) के परिणाम हैं, हम एक जिंदा कौम हैं और जिंदा कौमें परिस्थितियों की दया पर नहीं रहतीं बल्कि अपने चरित्र और कर्म से परिस्थितियों की दिशा बदल देती हैं। यह हमारी परीक्षा की कठिन घड़ी है इसलिए हमें किसी भी अवसर पर धैर्य, विश्वास, आशा और स्थिरता को नहीं छोड़ना चाहिए। समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता, क़ौमों पर परीक्षा का समय इसी प्रकार से आता रहता है।
उन्होंने कहा कि हमारा हज़ारों बार का अनुभव है कि दंगा होता नहीं है बल्कि कराया जाता है। अगर प्रशासन न चाहे तो भारत में कहीं भी दंगा नहीं हो सकता, इसलिए ज़िला प्रशासन को जवाबदेह बनाया जाना ज़रूरी है क्योंकि अगर एसएसपी. और डीएम. को यह डर रहे कि दंगे की स्थिति में स्वयं उनकी अपनी गर्दन में फंदा पड़ सकता है तो किसी के चाहने से भी कहीं दंगा नहीं हो सकता है।