केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक के लिए 9 अगस्त को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया था। अब तक जेपीसी की तीन बैठकें हो चुकी हैं और इसकी चौथी बैठक शुक्रवार को हुई। जेपीसी में लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सदस्य शामिल किए गए ।
New Delhi,(शाह टाइम्स) । केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) शुक्रवार को चौथी बैठक हुई। इस बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई। साथ ही असदुद्दीन ओवैसी और भाजपा सदस्यों के बीच गरमागरम बहस भी हुई।
वक्फ बोर्ड पर संयुक्त संसदीय समिति की चौथी बैठक शुक्रवार को हुई, जो करीब 9 घंटे तक चली। वक्फ की बैठक में जमकर हंगामा हुआ। इस बैठक के दौरान असदुद्दीन ओवैसी और बीजेपी सदस्यों के बीच तीखी बहस हुई। समिति के सामने संस्कृति मंत्रालय के सचिव अरुणेश चावला और एएसआई के डीजी युद्धवीर सिंह रावत ने बिल का समर्थन किया और इसे जरूरी कदम बताया।
जेपीसी की अगली बैठक 17 से 20 सितंबर तक बुलाने पर चर्चा हुई, लेकिन कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका। अगली बैठक की तिथि के बारे में समिति को सूचित किया जाएगा। शुक्रवार शाम तक समिति को सुझावों के साथ 13 लाख 50 हजार से अधिक ईमेल प्राप्त हो चुके थे। संस्कृति मंत्रालय की ओर से पुरातत्व विभाग ने 5 राज्यों में 53 संपत्तियों पर वक्फ के साथ विवादों का ब्योरा पेश किया।
एएसआई ने जिन 5 राज्यों के 53 विवादित स्थलों का ब्यौरा समिति के समक्ष दिया है, उनमें महाराष्ट्र, यूपी, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और राजस्थान शामिल हैं। एएसआई ने देश के बाकी राज्यों में विवादित संपत्तियों का ब्यौरा समिति के समक्ष देने के लिए कुछ समय मांगा है। ये 53 विवादित स्थल हैं, जिन्हें संस्कृति मंत्रालय की ओर से पुरातत्व विभाग संरक्षित करता है, जबकि वक्फ इन पर मालिकाना हक जताता है, जिसे लेकर कई जगहों पर विवाद है। विवादित संपत्तियों की सूची में यूपी के जौनपुर की एटाला मस्जिद, महाराष्ट्र के अहमदनगर की कोटला और मक्का मस्जिद, यूपी के बहराइच का सल्लार मकबरा शामिल है।
एएसआई ने समिति के समक्ष चिंता व्यक्त की है कि राष्ट्रीय महत्व का कोई भी संरक्षित स्मारक वक्फ द्वारा दिए गए अधिकारों के तहत एएसआई के मानकों का उल्लंघन न करे। हालांकि, आए दिन ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं, जहां कोई मदरसा चलाने लगता है, कोई नमाज अदा करने लगता है और कई जगहों पर फोटोग्राफी और पेंटिंग करने की कोशिश की जाती है। एएसआई ने समिति के समक्ष मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की एक घटना का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने बताया कि किस तरह जबलपुर उच्च न्यायालय ने बुरहानपुर के स्मारकों पर वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने बुरहानपुर जिले में शाह शुजा और नादिर शाह की कब्रों सहित कुछ प्रमुख ऐतिहासिक स्मारकों पर अधिकार जताने वाले मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के आदेश को खारिज कर दिया है। दरअसल, 19 जुलाई 2013 के आदेश में मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड ने शाह शुजा की कब्र, नादिर शाह की कब्र, बीबी साहब मस्जिद और बुरहानपुर के किले में स्थित एक महल को अपनी संपत्ति घोषित किया था।
शुक्रवार को जकात फाउंडेशन की ओर से कुल 7 लोग वक्फ बिल पर संयुक्त संसदीय समिति के सामने अपना पक्ष रखने पहुंचे। पूर्व आईएएस नजीब जंग और सैयद जफर महमूद, लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह, इरफान बेग और उदित राज समिति के सामने पेश हुए। सूत्रों के मुताबिक जकात फाउंडेशन की ओर से बैठक में दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग ने कहा कि पिछले 10 सालों में केंद्र सरकार के कामकाज की वजह से देश के मुसलमानों का भरोसा कमजोर हुआ है। नजीब जंग ने यह भी कहा कि अगर यह वक्फ बिल कहीं से भी आता है तो मुसलमानों का भरोसा सिस्टम से और भी ज्यादा खत्म हो जाएगा। हालांकि संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि यह संशोधन विधेयक अल्पसंख्यकों का भरोसा कम करने के लिए नहीं बल्कि भरोसा बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।
जगदंबिका पाल ने यह भी कहा कि बिल पास होने के बाद मुस्लिम समाज की महिलाओं, बोहरा, पिछड़े मुसलमानों को ताकत मिलेगी। जकात फाउंडेशन द्वारा अपने विचार प्रस्तुत करने के बाद समिति ने तेलंगाना वक्फ बोर्ड से कुल 9 लोगों को बैठक में बुलाया और उनसे अपने विचार प्रस्तुत करने को कहा। तेलंगाना वक्फ बोर्ड के चेयरमैन और सीईओ ने अपने विचार जोरदार तरीके से प्रस्तुत किए। शुक्रवार को वक्फ बैठक में जमकर हंगामा हुआ। ओवैसी और भाजपा सदस्यों के बीच तीखी बहस भी हुई। बैठक के दौरान भाजपा सदस्यों ने मुद्दा उठाया कि कुरान में वक्फ का जिक्र नहीं है, वहीं भाजपा के एक सांसद ने कहा कि वक्फ एक गैर इस्लामी संस्था है। इन विपक्षी दलों के सांसदों ने कलेक्टर को शामिल करने और वक्फ ट्रिब्यूनल में गैर मुस्लिम सदस्य को शामिल करने का कड़ा विरोध किया। विपक्ष की ओर से वक्फ बिल का विरोध करने वालों में असदुद्दीन ओवैसी, संजय सिंह, इमरान मसूद और कल्याण बनर्जी जैसे नेता मौजूद थे। वहीं सरकार के पक्ष में दलील देने वालों में भाजपा सांसद दिलीप सैकिया भी शामिल थे।