
Indusind Bank: को 2100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे शेयरों में भारी गिरावट आई। आंतरिक ऑडिट में अकाउंटिंग अनियमितताएं पाई गईं। क्या शीर्ष प्रबंधन को पहले से थी जानकारी? पढ़ें पूरी खबर
नई दिल्ली (शाह टाइम्स) Indusind Bank नुकसान रकम बढ़कर हुई 2100 करोड़, 20,000 करोड़ का बाजार मूल्य खत्म, क्या है इंडसइंड बैंक का भविष्य? सुर्खियों में है। बैंक के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली है। 11 मार्च को एक ही दिन में शेयर की कीमत में 27 फीसदी की गिरावट आई। इस गिरावट की मुख्य वजह अकाउंटिंग में अनियमितताएं हैं। इसके चलते छोटे निवेशकों को करोड़ों का घाटा हुआ है। यह घाटा और भी बढ़ सकता है। वजह यह है कि अभी बाहरी ऑडिट होना बाकी है। इस खबर ने बैंक के शेयरधारकों का भरोसा तोड़ दिया है। प्रबंधन पर भी कई सवाल उठ रहे हैं। बैंक के माइक्रोफाइनेंस लोन में भी दिक्कतें आ रही हैं। क्या हुआ, क्यों हुआ और आगे क्या होगा, क्या शीर्ष प्रबंधन को इस बारे में पहले से पता था। आइए यहां हर परत को खोलते हैं
बैंक ने जारी किया नोटिस जानिए
11 मार्च को इंडसइंड बैंक के शेयरों में अचानक 27% की गिरावट आई। पिछले कुछ दिनों में शेयर में 35% की गिरावट आई है। बैंक की वैल्यू 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा घट गई है। अब इसका मार्केट कैप करीब 51,000 करोड़ रुपये है जो यस बैंक के बराबर है। अगर शेयर की कीमत में और गिरावट आती है तो इसका मार्केट कैप स्मॉल फाइनेंस बैंकों जितना हो जाएगा। जैसे एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक। यह चिंता का विषय है। इसकी वजह यह है कि इंडसइंड बैंक भारत में निजी क्षेत्र का पांचवां सबसे बड़ा बैंक है। 20,000 करोड़ रुपये का घाटा कोई छोटी बात नहीं है। आइए समझते हैं कि ऐसा क्यों हुआ 10 मार्च को बैंक ने एक नोटिस जारी किया। इसमें कहा गया कि आरबीआई के निर्देशानुसार आंतरिक ऑडिट में कुछ अकाउंटिंग त्रुटियां पाई गई हैं। आरबीआई मास्टर के निर्देशानुसार जब बैंक ने आंतरिक ऑडिट कराया तो पता चला कि कुछ अकाउंटिंग गलतियां हैं। इस नोटिस में कई तकनीकी शब्दों का इस्तेमाल किया गया है। अगर सरल भाषा में समझें तो इन गलतियों की वजह से बैंक को 2100 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। बाहरी ऑडिट के बाद यह नुकसान और भी बढ़ सकता है। यह नुकसान बैंक की नेटवर्थ का 2.35% है। यह गलती हेजिंग कॉस्ट से जुड़ी है
क्या होता है हेजिंग
हर बैंक विदेशी मुद्रा में लेनदेन करता है। विदेशी मुद्रा की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता रहता है। इससे होने वाले नुकसान से बचने के लिए बैंक हेजिंग करते हैं। हेजिंग में डेरिवेटिव, फ्यूचर और ऑप्शन का इस्तेमाल किया जाता है। हेजिंग में कई तरह के चार्ज लगाए जाते हैं। इंडसइंड बैंक का ट्रेजरी विभाग हेजिंग का काम देखता है। यह विभाग दो टीमों में बंटा हुआ है- आंतरिक और बाहरी। दोनों टीमें अलग-अलग तरीके से काम करती थीं। बाहरी टीम मार्क टू मार्केट (एमटीएम) पद्धति का इस्तेमाल करती थी। आंतरिक टीम दूसरी पद्धति का इस्तेमाल करती थी। एमटीएम पद्धति ही सही तस्वीर दिखाती है। लेकिन, आंतरिक टीम का तरीका सही तस्वीर पेश नहीं कर पा रहा था। कई बार करेंसी ट्रेड पहले ही कर लिए जाते थे। इससे आंतरिक टीम को लगता था कि बैंक मुनाफा कमा रहा है। जबकि ऐसा नहीं था। इससे बैंक का मुनाफा ज्यादा दिख रहा था। यह गलती पिछले 7-8 सालों से हो रही थी। शीर्ष प्रबंधन को भी इसकी जानकारी थी
सितंबर 2023 में RBI ने एक सर्कुलर जारी किया। इसके बाद इंडसइंड बैंक ने आंतरिक ट्रेड बंद कर दिए। सिर्फ बाहरी ट्रेड (MTM मेथड) जारी रहे। लेकिन, तब तक घाटा हो चुका था। क्या बैंक को इस गलती का पता नहीं था? बैंक के आंतरिक ऑडिट के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में बैंक का मुनाफा 2100 करोड़ रुपये ज्यादा दिखाया गया। नेट प्रॉफिट करीब 1500 करोड़ रुपये ज्यादा दिखाया गया। यानी हर साल करीब 220 करोड़ रुपये का मुनाफा गलत तरीके से दिखाया गया
बैंक प्रबंधन से उठ गया भरोसा
बैंक को 2100 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। लेकिन, मार्केट कैप में 20,000 करोड़ रुपये की कमी आई है। यह 10 गुना ज्यादा है। ऐसा क्यों? जब कोई निवेशक बैंक में पैसा लगाता है, तो उसे बैंक पर भरोसा होता है। अगर यह भरोसा टूटता है, तो निवेशक अपना पैसा निकाल लेते हैं। इसी वजह से शेयर की कीमत गिरती है। इंडसइंड बैंक के मामले में भी यही हुआ है। निवेशकों का बैंक प्रबंधन पर से भरोसा उठ गया है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि बैंक को इस गलती के बारे में अक्टूबर 2024 में पता चला। लेकिन, उन्होंने इसे 5 महीने बाद मार्च 2025 में बताया। इससे निवेशकों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं
क्यों दे दिया इस्तीफा
बैंक के सीईओ सुमंत कठपालिया ने आरबीआई से अपने पद के लिए 3 साल का एक्सटेंशन मांगा था। लेकिन, उन्हें सिर्फ 1 साल का एक्सटेंशन मिला। बैंक के सीएफओ गोविंद जैन ने तीसरी तिमाही के नतीजे आने से पहले ही इस्तीफा दे दिया। यानी, अक्टूबर में जैसे ही उन्हें इस गलती के बारे में पता चला, उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इन सब बातों से साफ है कि बैंक में कुछ गलत हो रहा था। जिसके बारे में शेयरधारकों को जानकारी नहीं थी। बैंकिंग एक भरोसेमंद व्यवसाय है। अगर एक प्रक्रिया में गलती होती है, तो बाकी प्रक्रियाओं पर भी सवाल उठते हैं। यह पहली बार नहीं है जब इंडसइंड बैंक मुश्किल में फंसा है
पहले ही शेयर बेच दिए गए थे
एक और चौंकाने वाली बात है। बैंक को इस गलती का पता अक्टूबर 2024 में चला. लेकिन क्या सीईओ और सीएफओ को इसकी जानकारी नहीं थी? यह गलती 6-7 साल से हो रही थी. एक रिपोर्ट के मुताबिक बैंक के सीईओ सुमंत कठपालिया ने अपने लगभग सारे शेयर 1437 रुपये प्रति शेयर के भाव पर बेच दिए. उनके पास 118 करोड़ रुपये के शेयर थे. उनके डिप्टी सीएफओ अरुण खुराना ने भी अपने लगभग सारे शेयर 1451 रुपये प्रति शेयर के भाव पर बेच दिए. उनके पास 70 करोड़ रुपये के शेयर थे. उस वक्त शेयर का भाव अपने उच्चतम स्तर पर था. इसके अलावा एफआईआई ने भी अपनी शेयरहोल्डिंग 40 फीसदी से घटाकर 24 फीसदी कर दी. जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने अपनी शेयरहोल्डिंग बढ़ा दी है. इससे म्यूचुअल फंड और बीमा कंपनियों को नुकसान हुआ है. अब सबकी नजर एक्सटर्नल ऑडिट पर है. इससे ही पता चलेगा कि असली तस्वीर क्या है. और आगे क्या होगा