
Tensions rise between India and Pakistan after Pahalgam attack, sparking nuclear war concerns — Shah Times Editorial.
पहलगाम हमले के बाद भारत-पाक तनाव फिर चरम पर है। 2025 में परमाणु युद्ध की आशंका जताई जा रही है। जानिए वैज्ञानिक अध्ययन और नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों का गंभीर विश्लेषण।
युद्ध की आहट या भविष्यवाणी का सच?
भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव ने एक बार फिर उपमहाद्वीप में शांति के भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है, लेकिन इस बार चर्चा केवल सीमित नहीं है—बल्कि वैश्विक मीडिया और रणनीतिक विशेषज्ञ इसे परमाणु युद्ध की संभावित शुरुआत के रूप में देख रहे हैं।
चिंता की बात यह है कि इस संकट की भविष्यवाणी पहले ही हो चुकी थी—न केवल वैज्ञानिक अध्ययनों में, बल्कि फ्रांस के प्रख्यात भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों में भी।
क्या नास्त्रेदमस ने भारत-पाक युद्ध की भविष्यवाणी की थी?
माइकल नास्त्रेदमस, जिनकी 1555 में प्रकाशित पुस्तक Les Prophéties ने सैकड़ों रहस्यमयी भविष्यवाणियाँ की थीं, अक्सर राजनीतिक और वैश्विक संकटों से जुड़ी चर्चाओं में उभरकर सामने आते हैं। 2025 के लिए की गई उनकी कुछ भविष्यवाणियाँ आज की परिस्थितियों से मेल खा रही हैं—विशेषकर भारत-पाकिस्तान युद्ध को लेकर।
नास्त्रेदमस ने प्रतीकों के माध्यम से कहा था कि “हाथी (प्रतीकात्मक रूप से भारत) को एक अनपेक्षित सैन्य हमले के लिए तैयार रहना चाहिए।” विशेषज्ञों का मानना है कि यह भविष्यवाणी पाकिस्तान के संदर्भ में है, जो लगातार भारत को परमाणु हमले की धमकियाँ दे रहा है।
वैज्ञानिक अध्ययन: 2025 में परमाणु युद्ध का खतरा
WION की रिपोर्ट के अनुसार, कोलोराडो विश्वविद्यालय और रटगर्स विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 2019 में एक अध्ययन किया था, जिसमें 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध की आशंका व्यक्त की गई थी। Science Advances जर्नल में प्रकाशित इस शोध के अनुसार, यदि भारत और पाकिस्तान परमाणु हथियारों का उपयोग करते हैं, तो तत्काल 100 मिलियन से अधिक लोगों की जान जा सकती है। इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय तबाही और भुखमरी की भी आशंका जताई गई थी।
परमाणु युद्ध के पर्यावरणीय प्रभाव
अध्ययन के अनुसार, युद्ध के परिणामस्वरूप वातावरण में 16 से 36 मिलियन टन तक काले कार्बन (कालिख) का उत्सर्जन हो सकता है। यह धुआं पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में जाकर सूर्य के प्रकाश को 35% तक कम कर सकता है, जिससे तापमान में औसतन 5°C की गिरावट और वर्षा में 30% तक की कमी हो सकती है। इसका परिणाम वैश्विक खाद्य उत्पादन पर पड़ेगा और पूरी दुनिया में भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
क्या भारत संयम बरत रहा है?
जबकि पाकिस्तान की ओर से लगातार उकसावे की बयानबाजियाँ की जा रही हैं—भारत ने अब तक काफी संयम और रणनीतिक चुप्पी बनाए रखी है। यह नीतिगत धैर्य वर्तमान वैश्विक समीकरणों और भारत की अंतरराष्ट्रीय साख को ध्यान में रखते हुए एक परिपक्व कूटनीति का संकेत है।
सवाल यह नहीं कि क्या युद्ध होगा—बल्कि यह है कि क्या हम इसे टाल सकते हैं?
आज जब दुनिया पहले से ही जलवायु परिवर्तन, आर्थिक मंदी और भू-राजनीतिक संकटों से जूझ रही है, ऐसे में एक और परमाणु युद्ध मानवता के लिए विनाश का द्वार खोल सकता है। इसीलिए, संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक शक्तियों को केवल बयानबाजी नहीं, बल्कि ठोस और समयबद्ध कूटनीतिक हस्तक्षेप करना होगा।
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को केवल सीमावर्ती मुद्दा समझना भूल होगी। यह एक संभावित वैश्विक मानवीय और पारिस्थितिक संकट बन सकता है। नास्त्रेदमस की रहस्यमयी भविष्यवाणियाँ और वैज्ञानिकों की चेतावनियाँ दोनों ही इस समय एक ही दिशा में इशारा कर रहे हैं—हमें युद्ध नहीं, समझदारी चुननी होगी। क्योंकि इस बार दांव पर सिर्फ दो देश नहीं, पूरी दुनिया है।