
Ayatollah Khamenei in Ashura Event after 12 Days War with Israel ।शाह टाइम्स
इजरायल से जंग के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से दिखे खामेनेई: क्या बदल गया ईरान की रणनीति में?
12 दिनों की भीषण जंग के बाद तेहरान में खामेनेई की पहली सार्वजनिक उपस्थिति ने क्या संकेत दिए?
Shah Times GeoPoltics News
12 दिनों तक चले इजरायल-ईरान युद्ध के बाद अयातुल्लाह अली खामेनेई पहली बार सार्वजनिक रूप से दिखाई दिए। इस घटनाक्रम से ईरानी रणनीति, स्वास्थ्य अटकलें और पश्चिम एशिया की सियासत में बड़ा संकेत मिल रहा है।
🔍 युद्ध की पृष्ठभूमि: 13 जून से शुरू हुई तबाही
13 जून 2025 को इजरायल ने ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ के तहत ईरान के खिलाफ बड़ा सैन्य हमला शुरू किया। इस ऑपरेशन में इजरायली वायुसेना ने ईरान के परमाणु स्थलों, मिसाइल बेस और शीर्ष सैन्य कमांडरों को निशाना बनाया। ईरान ने जवाब में यरुशलम और तेल अवीव जैसे शहरों पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। 12 दिन चले इस युद्ध में दोनों तरफ जान-माल का भारी नुकसान हुआ।
🕵️♂️ खामेनेई की चुप्पी बनी रहस्य
युद्ध के दौरान एक बात ने सबसे ज्यादा ध्यान खींचा — ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई की पूरी तरह से गायब हो जाना। वह न तो किसी सार्वजनिक मंच पर दिखाई दिए, न ही लाइव भाषण दिया। उनके स्थान पर केवल रिकॉर्डेड वीडियो जारी किए गए।
इस चुप्पी ने स्वास्थ्य संबंधी अटकलों को जन्म दिया। सोशल मीडिया पर यह चर्चा गर्म रही कि क्या खामेनेई सुरक्षित हैं, क्या वह बीमार हैं या फिर किसी बंकर में छिपे हैं?

📍 आशूरा पर वापसी: धार्मिक मंच से सियासी संदेश
6 जुलाई को तेहरान में आशूरा के अवसर पर खामेनेई पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आए। सरकारी टेलीविज़न ने उन्हें काले पारंपरिक वस्त्रों में दिखाया, जब वह भारी भीड़ वाले एक हॉल में दाखिल हुए।
यह न सिर्फ धार्मिक उपस्थिति थी, बल्कि एक राजनीतिक संकेत भी था — “मैं अभी भी सत्ता में हूँ, नियंत्रण में हूँ।”
⚠️ सुरक्षा प्रोटोकॉल या रणनीतिक चुप्पी?
ईरानी अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि खामेनेई की अनुपस्थिति कोई स्वास्थ्य संकट नहीं था, बल्कि यह सुरक्षा रणनीति का हिस्सा थी। इजरायल के हमलों के दौरान उन्हें सुरक्षित स्थान पर रखा गया था।
पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह रणनीति दोहरी थी — एक तरफ जनता को अस्थिर न करना और दूसरी तरफ दुश्मन को भ्रम में रखना।
🎯 इजरायल के हमलों में क्या हुआ?
- ईरान के नतांज और फोर्दो परमाणु केंद्रों पर मिसाइल हमले
- रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के शीर्ष कमांडर मारे गए
- सीरियाई सीमा पर ईरानी हथियार डिपो तबाह
- सैंकड़ों वैज्ञानिकों के परिसरों को नुकसान
इस पूरी लड़ाई में इजरायल ने न केवल सैन्य बढ़त ली बल्कि मनोवैज्ञानिक दबाव भी बनाया।
🤯 खामेनेई की रणनीति में बदलाव?
खामेनेई की वापसी केवल उपस्थिति नहीं, बल्कि एक संदेश है — ईरान अब अपने डिफेंस-ऑफेंस पॉलिसी में बदलाव ला सकता है। उन्होंने आशूरा में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “शहादत हमारी ताकत है, लेकिन रणनीति हमारी ढाल।”
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह बयान इस ओर इशारा करता है कि ईरान अब प्रतिरोध के साथ-साथ रणनीतिक कूटनीति को और सशक्त कर सकता है।
🌍 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
- अमेरिका: खामेनेई की वापसी को “पॉलिटिकल स्टंट” करार दिया गया।
- रूस और चीन: दोनों देशों ने खामेनेई की मौजूदगी को स्थिरता का संकेत बताया।
- इजरायल: अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं, लेकिन खुफिया रिपोर्टों में नई ईरानी रणनीति को लेकर अलर्ट जारी है।
📈 जनता की प्रतिक्रिया
ईरान की सड़कों पर खामेनेई की वापसी को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया रही। एक ओर कट्टर समर्थकों ने इसे आस्था की जीत कहा, वहीं उदार तबके ने इसे नियोजित नाटकीयता करार दिया।
📌 निष्कर्ष: चुप्पी के बाद शक्ति प्रदर्शन
ईरान के सर्वोच्च नेता की इस प्रकार की वापसी न केवल उनके व्यक्तिगत नियंत्रण को दर्शाती है, बल्कि यह आने वाले भू-राजनीतिक समीकरणों का संकेत भी देती है। पश्चिम एशिया में शक्ति संतुलन तेजी से बदल रहा है और खामेनेई की चुप्पी और फिर उपस्थिति – दोनों ही इस बदलाव की बड़ी कहानी कहते हैं।