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सृष्टि के पालनहार श्री विष्णु जी के लिए रखा जाने वाले व्रत को एकादशी कहते हैं।आज साल की सबसे बड़ी एकादशी है जिसे निर्जला एकादशी कहते हैं।

नई दिल्ली, (शाह टाइम्स)। साल की सबसे बड़ी एकादशी का व्रत आज यानी 18 जून 2024, मंगलवार के दिन रखा जा रहा हैं। आपकों बता दें कि साल में पड़ने वाली 24 एकादशी में से ज्येष्ठ माह में आने वाली निर्जला एकादशी को सबसे बड़ी एकादशी माना जाता है। इस एक एकादशी का व्रत रखने से साल में पड़ने वाली 24 एकादशी का फल प्राप्त करने का पुण्य मिल जाता हैं।
इस ज्येष्ठ माह की एकादशी को भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।ये पवित्र एकादशी व्रत सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु जी के लिए रखा जाता है।
निर्जला एकादशी के दिन दान का बहुत महत्व होता है। इस दिन दान करने से जीवन में चल रही समस्याओं का अंत हो जाता है। इस दिन घड़े का दिन, पंखे का दान, फल, अन्न और दाल का दान करना शुभ होता है।
आईए जानते हैं निर्जला एकादशी के विशेष नियमों के बारें में
निर्जला एकादशी का व्रत सूर्योदय से शुरु होता है और अगले दिन सूर्योदय तक चलता है।
निर्जला एकादशी का व्रत जो व्यक्ति रखते हैं उनको इस दिन बिस्तर का त्याग करना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि जमीन पर ही सोए।
जो लोग इस व्रत को रखते हैं उनको इस दिन अन्न और जल का त्याग करना चाहिए।
इस दिन बाल ना कटवाएं, नाखून ना काटे और दाढ़ी ना बनवाएं.
अगर आप निर्जला एकादशी का व्रत नहीं भी करते तो इस दिन मांस, प्याज और लहसुन आदि का सेवन बिल्कुल भी ना करें।
निर्जला एकादशी के दिन चावल का त्याग करें।
निर्जला एकादशी के व्रत का पारण करने के बाद ही अन्न और जल ग्रहण करना चाहिए।
गर्भवती महिलाएं इस व्रत को ना रखें।