
Deadly Stampede in Goa’s Lairai Festival – Shah Times Report
गोवा के प्रसिद्ध लैराई देवी मंदिर में शिरगाओ जात्रा के दौरान हुई भगदड़ में 7 लोगों की मौत और 80 से अधिक श्रद्धालु घायल हो गए। जानिए हादसे का पूरा विवरण, प्रशासन की प्रतिक्रिया और धार्मिक परंपरा का महत्व।
Goa,(Shah Times)। गोवा के उत्तरी जिले में स्थित प्रसिद्ध लैराई देवी मंदिर में शनिवार तड़के शिरगाओ जात्रा के दौरान भगदड़ मचने से कम से कम 6 श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि 50 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। यह हादसा तब हुआ जब हजारों की संख्या में लोग धोंड नामक पारंपरिक अग्नि-चलन रस्म में हिस्सा लेने पहुंचे थे।
उत्तरी गोवा के एसपी अक्षत कौशल ने जानकारी दी कि भीड़ की अचानक तेज़ी से बढ़ती आवाजाही और ढलान वाले रास्ते पर असंतुलन के कारण यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति उत्पन्न हुई। राहत और बचाव कार्य में स्थानीय लोग, मंदिर के स्वयंसेवक और पुलिस बल सक्रिय रूप से जुटे रहे।
प्रमुख बिंदु:
- हादसे का समय: शनिवार सुबह, जब श्रद्धालु अग्नि-चलन रस्म में भाग लेने पहुंचे थे।
- श्रद्धालुओं की संख्या: अनुमानित 50,000 से अधिक
- पुलिस तैनाती: लगभग 1,000 जवान
- हवाई निगरानी: ड्रोन के ज़रिए की गई निगरानी
- घायल: 50+ लोगों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया:
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने अस्पताल पहुंचकर घायलों का हालचाल लिया और प्रशासन को हरसंभव मदद देने के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स (पूर्व Twitter) पर पोस्ट कर हादसे पर दुख जताया और मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना प्रकट की।
“गोवा के शिरगाओ में भगदड़ के कारण हुई जान-माल की हानि से दुखी हूं। अपने प्रियजनों को खोने वालों के प्रति संवेदना। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।” – PMO
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस दुर्घटना पर शोक जताया और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की।
क्या है लैराई देवी मंदिर और धोंड परंपरा?
गोवा के शिरगाओ गांव में स्थित लैराई देवी मंदिर उत्तर और दक्षिण भारतीय स्थापत्य का संगम है। यहां हर साल मई में लैराई देवी जात्रा होती है, जो अग्नि-चलन अनुष्ठान ‘धोंड’ के लिए प्रसिद्ध है। इस अनुष्ठान में श्रद्धालु नंगे पांव जलते अंगारों पर चलकर माता के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
सुरक्षा इंतज़ामों पर सवाल:
इस बार प्रशासन ने भले ही ड्रोन निगरानी और भारी पुलिस बल की तैनाती की थी, लेकिन घटनास्थल पर उचित भीड़ नियंत्रण न होने और ढलान वाली सड़क की वजह से हालात बिगड़ गए। अब सवाल उठ रहे हैं कि इतने बड़े धार्मिक आयोजन के लिए क्या सुरक्षा प्रबंध पर्याप्त थे?
हर साल आस्था और परंपरा से जुड़ी यह जात्रा श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष अनुभव होती है, लेकिन इस बार जो हुआ उसने सभी को झकझोर दिया है। उम्मीद है कि प्रशासन भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए और भी पुख्ता व्यवस्था करेगा, जिससे श्रद्धालु सुरक्षित रूप से अपनी धार्मिक आस्था को निभा सकें।