
Security forces intensify operations post-Pahalgam attack in Kashmir – Image courtesy: Shah Times
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाक रिश्तों में गहराया तनाव। लगातार 9वें दिन पाक ने LOC पर फायरिंग की। अमेरिका ने भारत के साथ खड़े होने की घोषणा की। पढ़ें हर लेटेस्ट अपडेट।
New Delhi (Shah Times)। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। हमले के बाद से ही पाकिस्तान द्वारा लगातार संघर्षविराम उल्लंघन जारी है।
9वीं रात भी LOC पर गोलाबारी, भारतीय सेना ने दिया मुंहतोड़ जवाब
2-3 मई की रात को पाकिस्तान ने कुपवाड़ा, उरी और अखनूर सेक्टरों में बिना किसी उकसावे के गोलीबारी की। भारतीय सेना ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की। यह लगातार 9वीं रात है जब पाकिस्तान ने LOC पर संघर्षविराम का उल्लंघन किया है।
अमेरिका ने कहा – आतंक के खिलाफ भारत के साथ हैं
अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका भारत के साथ खड़ा है। व्हाइट हाउस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूर्ण समर्थन देने की बात कही है। ब्रिटेन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड ने भी भारत के समर्थन में बयान दिए हैं और क्षेत्रीय शांति की अपील की है।
पाकिस्तान में हलचल, लॉन्चपैड्स खाली कराए गए
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, भारत की संभावित कार्रवाई के डर से पाकिस्तान ने POK में मौजूद आतंकी लॉन्चपैड्स खाली करा दिए हैं। सूत्रों का कहना है कि लश्कर और जैश के आतंकी अब सीमावर्ती इलाकों से हटकर अंदरूनी क्षेत्रों में चले गए हैं।
भारतीय प्रवासी समुदाय का विरोध प्रदर्शन
बर्लिन, लंदन और टोरंटो जैसे शहरों में भारतीय समुदाय ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। लोगों ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ आवाज बुलंद की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भारत का समर्थन करने की अपील की।
भारत का सख्त रुख: राजनयिक और व्यापारिक संबंधों में कटौती
भारत ने पाकिस्तान के साथ अपने व्यापार और कूटनीतिक संबंधों में कटौती कर दी है। साथ ही, पाकिस्तानी मीडिया चैनलों और वेबसाइटों को भी भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है।
कांग्रेस पर सेना को नीचा दिखाने का आरोप
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के बयान पर बवाल मच गया है। उन्होंने एक बार फिर सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल खड़े किए हैं। बीजेपी नेताओं ने उनकी आलोचना करते हुए कहा कि इससे सेना का मनोबल टूटता है।
चीनी और पाक नेताओं की बैठक, चीन का संयम का संदेश
इस्लामाबाद में चीन के राजदूत ने पाक पीएम शहबाज शरीफ से मुलाकात की और भारत-पाक तनाव पर चिंता जताते हुए संयम बरतने की सलाह दी। हालांकि चीन ने पाकिस्तान की “वैध सुरक्षा चिंताओं” को भी समझने की बात कही।
पहलगाम आतंकी हमले ने सिर्फ भारत को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर दिया है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। पाकिस्तान की हरकतों से LOC पर तनाव बना हुआ है, लेकिन भारत हर मोर्चे पर मजबूती से डटा है। ऐसे में देशवासी सरकार और सेना के साथ खड़े होकर एकजुटता का संदेश दे रहे हैं।
पहलगाम आतंकी हमला केवल एक सुरक्षा चुनौती नहीं, बल्कि भारत की कूटनीतिक दिशा को फिर से परिभाषित करने वाला एक निर्णायक क्षण बन चुका है। 22 अप्रैल को हुए इस बर्बर हमले में निर्दोष पर्यटकों की हत्या ने न केवल देश को झकझोर दिया है, बल्कि भारत-पाक रिश्तों की नाजुक डोर को फिर खींच दिया है।
LOC पर बार-बार गोलीबारी: एक सोची-समझी रणनीति या घबराहट का संकेत?
लगातार 9 दिनों से नियंत्रण रेखा (LoC) पर पाकिस्तान की ओर से हो रही फायरिंग यह दर्शाती है कि इस बार हालात सामान्य नहीं हैं। भारतीय सेना की सख्त प्रतिक्रिया और आतंकी लॉन्चपैड्स को खाली कराने की खबरें बताती हैं कि भारत अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक रणनीति अपना रहा है।
भारत का बदलता रवैया: राजनयिक और व्यापारिक संबंधों में कटौती
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से व्यापारिक और कूटनीतिक संबंधों में ठोस कटौती की है। पाकिस्तानी वेबसाइट्स और चैनलों पर बैन से यह स्पष्ट संकेत गया है कि भारत अब सूचना युद्ध के मोर्चे पर भी सक्रिय हो गया है।
अंतरराष्ट्रीय समर्थन: भारत की कूटनीति की जीत
अमेरिका, ब्रिटेन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड जैसे देशों ने भारत के प्रति एकजुटता व्यक्त की है। अमेरिका ने साफ कहा कि वह आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़ा है। स्विट्जरलैंड ने बातचीत को समर्थन देने की बात कही है, जो दर्शाता है कि वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति मजबूत हुई है।
आंतरिक राजनीति और सेना पर सवाल: क्या यह समय उचित है?
जहां एक ओर पूरा देश एकजुटता की अपेक्षा कर रहा है, वहीं विपक्ष के कुछ नेताओं द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह सेना के मनोबल को कमजोर करने वाला बयान है, और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर राजनीति करने का संदेश जाता है।
जनमानस का उबाल और प्रवासी भारतीयों का प्रदर्शन
बर्लिन, लंदन और अन्य शहरों में प्रवासी भारतीयों द्वारा हुए विरोध-प्रदर्शन दिखाते हैं कि यह हमला केवल भारत तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक भारतीय समुदाय की चेतना को भी झकझोर गया है। यह सरकार के लिए भी स्पष्ट संकेत है कि लोगों की अपेक्षाएं निर्णायक कार्रवाई की ओर हैं।
क्या युद्ध ही विकल्प है? नहीं, पर…
भारत बार-बार यह स्पष्ट करता आया है कि वह शांति चाहता है, लेकिन कमजोरी नहीं। पहलगाम हमला इस बात का प्रमाण है कि जब तक पाकिस्तान की सरजमीं पर पल रहे आतंकी संगठन सक्रिय रहेंगे, तब तक कोई भी शांति वार्ता सार्थक नहीं हो सकती। ऐसे में जवाबी कार्रवाई अब केवल विकल्प नहीं, बल्कि आवश्यकता बनती जा रही है।
पहलगाम आतंकी हमला भारत की सुरक्षा, कूटनीति और राजनीति के लिए एक निर्णायक मोड़ है। वैश्विक समर्थन और आंतरिक एकजुटता को साथ लेकर भारत को एक स्पष्ट, ठोस और बहुस्तरीय नीति अपनानी होगी। यह समय है जब भारत को आतंक के खिलाफ निर्णायक रुख अपनाने के साथ-साथ वैश्विक नेतृत्व में अपनी भूमिका को और स्पष्ट करना होगा।