
Private schools in Alwar flouting RTE rules, causing trouble for poor families – Shah Times Report
अलवर जिले में शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते आरटीई के तहत गरीब बच्चों को नहीं मिल पा रही है मुफ्त शिक्षा। स्कूलों द्वारा नियमों की अनदेखी, जिला शिक्षा अधिकारी की चुप्पी सवालों के घेरे में।
~रुपेश शर्मा
Alwar,(Shah Times)। अलवर जिले में शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत गरीब बच्चों को मिलने वाली मुफ्त शिक्षा योजनाओं का क्रियान्वयन गंभीर सवालों के घेरे में है। हाल ही में निलंबित जिला शिक्षा अधिकारी नेकीराम मेघवाल की कार्रवाई के बावजूद शिक्षा विभाग में सुधार के कोई संकेत नहीं दिख रहे। शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी अब भी लापरवाही की मानसिकता से काम कर रहे हैं, जिससे सीधे तौर पर उन बच्चों का भविष्य प्रभावित हो रहा है, जिन्हें इस योजना का सबसे अधिक लाभ मिलना चाहिए।
राजस्थान सरकार द्वारा संचालित आरटीई योजना के अंतर्गत निजी स्कूलों को अपनी कुल सीटों का 25% हिस्सा प्रथम कक्षा में गरीब बच्चों के लिए आरक्षित करना होता है। इसके लिए हर वर्ष मार्च-अप्रैल में ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू होती है, जिसके बाद लॉटरी के माध्यम से चयनित बच्चों को मुफ्त प्रवेश मिलता है।
लेकिन अलवर शहर में संचालित कई नामी निजी स्कूल जैसे सिल्वर ओक स्कूल, चिनार पब्लिक स्कूल, गोल्डन ईगल स्कूल, न्यू ऐरा पब्लिक स्कूल और बाल भारती स्कूल द्वारा आरटीई नियमों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों के ऑनलाइन आवेदन पर आपत्ति दर्ज कर उन्हें ‘पेंडिंग’ में डाला जा रहा है, जिससे कई अभिभावकों को मानसिक और प्रशासनिक परेशानी झेलनी पड़ रही है।
पीड़ित परिवारों की आपबीती:
अलवर शहर की निवासी वीना रानी (पता: 2/317 काला कुआं) ने बताया कि उन्होंने अपने बेटे का आवेदन ई-मित्र के माध्यम से किया था, जिसमें चिन्हित स्कूल द्वारा आरटीई के तहत प्रवेश की प्रक्रिया को नियमों के विरुद्ध बाधित किया गया। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि पहले संबंधित वार्ड या ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को प्राथमिकता दी जाएगी, जबकि यह स्कूल शहरी क्षेत्र में आता है और ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान आरटीई नियमों में नहीं है।
जब इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी मनोज शर्मा से संपर्क करने की कोशिश की गई तो न तो उन्होंने फोन उठाया और न ही कोई संतोषजनक जवाब दिया। इससे यह स्पष्ट होता है कि शिक्षा विभाग के आला अधिकारी खुद ही इस घोटाले में मौन समर्थन दे रहे हैं या जानबूझकर अनदेखी कर रहे हैं।
राज्य सरकार के दावे बन रहे खोखले:
राजस्थान सरकार गरीब परिवारों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के दावे करती है, लेकिन जमीनी सच्चाई इससे कोसों दूर है। स्कूल प्रोफाइल अपडेट की निर्धारित समयसीमा के बावजूद कई स्कूल नियमों का पालन नहीं कर रहे, जिससे हजारों बच्चों का भविष्य अधर में लटका हुआ है।
यह आवश्यक हो गया है कि शिक्षा विभाग में बैठे जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को समझें और ऐसे स्कूलों पर सख्त कार्रवाई की जाए जो आरटीई नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। साथ ही, पीड़ित परिवारों की शिकायतों पर प्राथमिकता से संज्ञान लेते हुए उन्हें न्याय दिलाना भी सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
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