मोदी की तीसरी पारी के गवाह बने पड़ोसी देशों के नेता

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मोदी की शपथ समारोह में 7 देशों के लीडर्स शामिल रहे, इंडिया आउट कैंपेन चलाने वाले मुइज्जू भी बने साक्षी

नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी के तहत पड़ोसी देशों के लीडर्स को न्योता, मेहमानों की सुरक्षा में ड्रोन्स तैनात

शाह टाइम्स ब्यूरो
नई दिल्लीप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। भारत के पड़ोसी देशों के नेता इसके गवाह बने । भारत ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान को छोड़ सभी देशों के नेताओं को शपथ ग्रहण का न्योता दिया था। इसे सभी ने कबूल कर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। समारोह में 7 देशों के लीडर्स शामिल रहे।

इंडिया आउट कैंपेन चलाने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू से लेकर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के साक्षी बने। इंडिया आउट कैंपेन चलाने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भी शपथ ग्रहण में पहुंचे। भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ पॉलिसी और ‘सागर विजन’ के तहत श्रीलंका, मॉरीशस, नेपाल, बांग्लादेश, मालदीव, सेशेल्स और भूटान के नेताओं को समारोह में बुलाया गया ।

विदेशी मेहमानों के ठहरने की व्यवस्था दिल्ली के सबसे बड़े होटलों में की गई है। इनमें आईटीसी मौर्या, ताज होटल, ओबेरॉय, क्लैरिजेस और लीला होटल शामिल हैं। इनकी सुरक्षा के लिए पैरामिलिट्री और दिल्ली आ पुलिस (डीएपी) के 2500 जवानों को तैनात किया गया है। विदेशी मेहमानों की सुरक्षा के लिए स्नाइपर और पुलिसबल मौजूद हैं। विदेशी लीडर्स के एयरपोर्ट से होटल और वेन्यू तक के रास्ते की ड्रोन्स के जरिए निगरानी की जा रही है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना इस कार्यक्रम के लिए शनिवार को ही भारत पहुंच गई थीं। हालांकि, सभी विदेशी मेहमानों में सबसे ज्यादा निगाहें मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के दौरे पर टिकी हैं।

शनिवार को शपथ ग्रहण समारोह का आमंत्रण स्वीकार करते हुए मुइज्जू ने कहा था कि इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल होना मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं पीएम मोदी के साथ मिलकर मालदीव – भारत के रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए काम करता रहूंगा। दरअसल, पिछले साल नवम्बर में मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद से मालदीव और भारत के बीच तनाव रहा है। अपने चुनाव कैंपेन के दौरान भारत के 88 सैनिकों को मालदीव से निकालने के लिए मुइज्जू ने ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था। राष्ट्रपति बनने के बाद वे सबसे चीन के दौरे पर गए, जबकि आमतौर पर मालदीव के प्रेसिडेंट पद संभालने के बाद पहले भारत की यात्रा करते हैं। इस बीच मालदीव के मंत्रियों ने पीएम मोदी की लक्षद्वीप यात्रा पर विवादित बयान भी दिया। मुइज्जू के नेतृत्व में मालदीव ने भारतीय सैनिकों को देश से निकालने के अलावा भारत के साथ हाइड्रोग्राफिक सर्वे प्रोजेक्ट भी खत्म कर दिया। नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी भारत की विदेश नीति का मूल हिस्सा है। इसका खाका 2008 में तैयार किया गया था। 2014 में सत्ता में आने से पहले ही मोदी ने कहा था कि वे पड़ोसी देशों को अपनी विदेश नीति में सबसे ऊपर रखेंगे। नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी का मकसद भारत के पड़ोसी देशों के साथ फिजिकल, डिजिटल, ट्रेड रिलेशन्स और लोगों से लोगों के जुड़ाव को मजबूत करना है।

ओआरएफ की रिपोर्ट के मुताबिक, नेबरहुड फर्स्ट अप्रोच का मकसद भारतीय उपमहाद्वीप में स्थिरता और विकास को बढ़ावा देना है। विदेश मामलों के विशेषज्ञों के मुताबिक, क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के मकसद से भी इस पॉलिसी की शुरुआत की गई थी। इसी पॉलिसी के तहत भारत ने साल 2022 में आर्थिक तंगी से जूझ रहे श्रीलंका को 4 अरब डॉलर की मदद की थी। इसके अलावा कोरोना महामारी के बीच भारत ने बांग्लादेश को 188 करोड़ और नेपाल को 79 करोड़ की वैक्सीन दी थी।

मोहम्मद मुइज्जू को चीन समर्थक राष्ट्रपति माना जाता है और पिछले साल 17 नवम्बर को पदभार ग्रहण करने के बाद से यह उनकी पहली आधिकारिक भारत यात्रा होगी। इसके पहले उनके पूर्ववर्तियों ने पदभार ग्रहण करने के बाद सबसे पहले नई दिल्ली का दौरा किया था, लेकिन मुइज्जू ने पद संभालने के बाद सबसे पहले तुर्की की यात्रा की। उसके बाद में जनवरी में अपनी पहली राजकीय यात्रा के लिए चीन गए ।

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