
रमजान मुबारक का मुक़द्दस महीना 2030 में दो बार आएगा, जो इससे पहले 1997 और 1965 में हुआ था। जानिए इस्लामिक हिजरी कैलेंडर और ग्रेगोरियन कैलेंडर के दरमियान का फर्क और इसकी वज़ह।
एक साल में दो बार रमजान: चंद्र और सौर कैलेंडर का अनोखा संयोग
मुक़द्दस रमजान इस्लाम का सबसे पाक महीना है, जब मुस्लिम समुदाय उपवास (रोज़ा) रखता है और इबादत करता है। आमतौर पर यह महीना हर साल एक बार आता है, लेकिन 2030 में ऐसा संयोग बनेगा जब रमजान का महीना दो बार आएगा। इससे पहले 1997 और 1965 में भी ऐसा हुआ था।
इस्लामिक हिजरी कैलेंडर चंद्रमा के चक्र पर आधारित होता है, जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर सूर्य के चक्र पर। यही वजह है कि हर 30 साल में ऐसा होता है जब रमजान एक ही ग्रेगोरियन वर्ष में दो बार आता है। 2030 में पहली बार जनवरी और दूसरी बार दिसंबर में रमजान मनाया जाएगा।
यह संयोग न केवल धार्मिक बल्कि खगोलीय दृष्टि से भी दिलचस्प है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि इस्लामिक महीनों की तारीखें हर साल ग्रेगोरियन कैलेंडर से 10-12 दिन पहले खिसकती रहती हैं। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि भविष्य में रमजान किस मौसम और समय में आएगा।
2030 में दो बार आएगा रमजान, ऐसा पहले 1997 और 1965 में हुआ था
मुस्लिम समुदाय के लिए रमजान का महीना सबसे मुकद्दस माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल 2030 में यह खास महीना एक बार नहीं बल्कि दो बार आएगा?
कब-कब आएगा रमजान 2030 में?
इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक,
पहला रमजान: 5 जनवरी 2030 से शुरू होगा।
दूसरा रमजान: 26 दिसंबर 2030 से शुरू होगा।
इसका मतलब यह है कि 2030 में मुसलमानों को कुल 36 दिनों तक रोजे रखने होंगे—पहले रमजान में पूरे 30 दिन और दूसरे रमजान में 5 या 6 दिन।
ऐसा क्यों होता है?
इस्लामी कैलेंडर (हिजरी वर्ष) चंद्रमा के हिसाब से चलता है, जो ग्रेगोरियन कैलेंडर से लगभग 10-12 दिन छोटा होता है। इस वजह से हर साल रमजान की तारीख ग्रेगोरियन कैलेंडर के हिसाब से पीछे खिसकती रहती है। हर 30 साल में एक बार ऐसा समय आता है जब रमजान एक ही ग्रेगोरियन साल में दो बार पड़ता है।
पहले कब हुआ था ऐसा?
1997: इस साल भी रमजान जनवरी और दिसंबर में आया था।
1965: इससे पहले ऐसा 1965 में हुआ था।
अगली बार: 2063 में फिर से एक साल में दो बार रमजान आएगा।
भविष्य में रमजान का महीना कैसा रहेगा?
रमजान का महीना हर साल थोड़ा-थोड़ा बदलता रहता है।
2028 में यह ठंडी के मौसम में होगा।
2030 में साल की शुरुआत और अंत में आएगा।
2063 में फिर से यह दो बार आएगा।
रमजान का एक साल में दो बार आना दुर्लभ खगोलीय और धार्मिक घटना है। यह इस्लामिक और ग्रेगोरियन कैलेंडर के बीच अंतर को भी दर्शाता है। 2030 में मुसलमानों को 36 दिनों तक रोजे रखने होंगे, जो उनके लिए एक विशेष धार्मिक अनुभव होगा।
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