
Manipur Violence Shah Times
नई दिल्ली,(शाह टाइम्स )। मणिपुर में आदिवासी आंदोलन(tribal movement) के दौरान भयानक हिंसा हुई, मणिपुर के आठ जिले जिसकी चपेट में आ गए हैं,मणिपुर का हिंसाग्रस्त माहौल (Manipur Violence )को दृष्टिगत प्रभावित इलाकों में दंगाइयों को देखते ही गोली मार देने का हुक्म जारी कर दिया गया है।
मणिपुर के राज्यपाल ने हिंसाग्रस्त इलाकों में दंगाइयों को देखते ही गोली मार देने के राज्य सरकार के फैसले को मंजूरी दे दी है. इससे पहले हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी गई थी. राज्य में अगले पांच दिनों के लिए इंटरनेट भी बंद कर दिया गया है।
मणिपुर हिंसा के मद्देनजर सीआरपीएफ के पूर्व डीजी आईपीएस कुलदीप सिंह की नियुक्ति राज्य के सुरक्षा सलाहकार के रूप में की गई है. आईपीएस सिंह को आतंकवाद विरोधी अभियान का लंबा अनुभव है. सीआरपीएफ के डीजी रहते हुए उन्हें मणिपुर के संबंध में जानकारी है, इसलिए उनकी तत्काल प्रभाव से नियुक्ति की गई है. सिंह 1986 बैच के पश्चिम बंगाल कैडर के आईपीएस अधिकारी रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर राज्य सरकार ने हिंसा पर काबू पाने के लिए शूट एट साइट का आदेश जारी किया है. हालांकि यह बेहद गंभीर स्थिति के लिए है।
ओलंपिक मेडल विजेता बॉक्सर और राज्यसभा सांसद मैरी कॉम ने अपने गृह राज्य मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल करने के विरोध में व्यापक हिंसा के बीच मदद की गुहार लगाई है. मैरी कॉम ने लोगों से शांत रहने की अपील भी की है.
ओलंपिक मेडल विजेता बॉक्सर और राज्यसभा सांसद मैरी कॉम ने कहा, ‘मुझे मणिपुर की स्थिति के बारे में अच्छी नहीं लग रही है. बीती रात से स्थिति बिगड़ी हुई है. मैं राज्य और केंद्र सरकार से स्थिति के लिए कदम उठाने और राज्य में शांति और सुरक्षा बनाए रखने की अपील करती हूं. मैरी कॉम ने रात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद के लिए एक ट्वीट भी किया था.’
मणिपुर में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर मोबाइल इंटरनेट के बाद ब्रॉडबैंड सेवाएं भी सस्पेंड कर दी गई है. यह रोक अगले पांच दिनों तक जारी रहेगी.
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मणिपुर हिंसा पर मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने शांति की अपील की है. उनका कहना है कि धार्मिक स्थानों पर हमले हमारे समाज के लिए सही नहीं है.
मणिपुर में असम राइफल्स की 34 और सेना की 9 कंपनियां तैनात हैं. इनके अलावा गृह मंत्रालय ने रैपिड एक्शन फोर्स की भी पांच कंपनियों को मणिपुर भेज दिया है. हालांकि, इसके बावजूद मणिपुर में बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है.
बताया जा रहा है कि अब तक साढ़े सात हजार लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया जा चुका है. हालात को देखते हुए आठ जिलों- इम्फाल वेस्ट, काकचिंग, थौबाल, जिरिबाम, बिष्णुपुर, चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल में कर्फ्यू लगा दिया गया है. इसके अलावा, पूरे राज्य में अगले पांच दिन के लिए मोबाइल इंटरनेट को बंद कर दिया गया है. हालांकि, ब्रॉडबैंड सर्विसेस चालू रहेंगी.
इस सारे बवाल की जड़ को ‘कब्जे की जंग’ भी माना जा सकता है. इसे ऐसे समझिए कि मैतेई समुदाय की आबादी यहां 53 फीसदी से ज्यादा है, लेकिन वो सिर्फ घाटी में बस सकते हैं.वहीं, नागा और कुकी समुदाय की आबादी 40 फीसदी के आसपास है और वो पहाड़ी इलाकों में बसे हैं, जो राज्य का 90 फीसदी इलाका है मणिपुर में एक कानून है, जिसके तहत आदिवासियों के लिए कुछ खास प्रावधान किए गए हैं. इसके तहत, पहाड़ी इलाकों में सिर्फ आदिवासी ही बस सकते हैं.
चूंकि, मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं मिला है, इसलिए वो पहाड़ी इलाकों में नहीं बस सकते. जबकि, नागा और कुकी जैसे आदिवासी समुदाय चाहें तो घाटी वाले इलाकों में जाकर रह सकते हैं. मैतेई और नागा-कुकी के बीच विवाद की यही असल वजह है. इसलिए मैतेई ने भी खुद को अनुसूचित जाति का दर्जा दिए जाने की मांग की थी।
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