
Surendra Kumar from Jhunjhunu, serving as a Medical Assistant Sergeant in the Indian Air Force, was martyred in a Pakistani air strike in Udhampur, Jammu & Kashmir
झुंझुनू के वीर सपूत सुरेंद्र कुमार जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में पाकिस्तान की एयर स्ट्राइक में शहीद हुए। वे वायुसेना में मेडिकल असिस्टेंट सार्जेंट के पद पर कार्यरत थे।
झुंझुनू, राजस्थान (शाह टाइम्स) जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में पाकिस्तान की ओर से की गई एयर स्ट्राइक में झुंझुनू जिले के मंडावा निवासी भारतीय वायुसेना के जवान सुरेंद्र कुमार शहीद हो गए। वे मेडिकल असिस्टेंट सार्जेंट के पद पर तैनात थे और पिछले 14 वर्षों से भारतीय वायुसेना की मेडिकल विंग में अपनी सेवाएं दे रहे थे। वीरगति की यह खबर मिलते ही पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।
देशभक्ति से ओतप्रोत जीवन
सुरेंद्र कुमार देशभक्ति की मिसाल थे। सेना में रहकर उन्होंने न केवल अपना कर्तव्य निभाया, बल्कि युवाओं को भी सेना में भर्ती की प्रेरणा दी। उनके चाचा सुभाष मोगा ने बताया कि सुरेंद्र मिलनसार, अनुशासित और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति थे। वे हमेशा देश के लिए कुछ बड़ा करने का सपना देखा करते थे।
गृह प्रवेश के बाद लौटे थे ड्यूटी पर
सुरेंद्र कुमार ने हाल ही में अपने गांव में नया मकान बनवाया था और कुछ दिन पहले ही उसका गृह प्रवेश समारोह संपन्न हुआ था। 15 अप्रैल को वे अपने परिवार के साथ ड्यूटी पर लौटे थे। इस बार उनकी पत्नी और बच्चे भी उनके साथ थे। लेकिन किसे पता था कि यह उनकी आखिरी ड्यूटी होगी।
पत्नी और बच्चों को नहीं दी गई शहादत की सूचना
शहीद सुरेंद्र की पत्नी सीमा दस दिन पहले अपने मायके नवलगढ़ गई थीं, जहां वे अपने दादा के निधन के कारण बच्चों के साथ रुकी हुई हैं। परिवार ने अभी तक उन्हें और शहीद की मां को यह दुखद सूचना नहीं दी है, क्योंकि समाचार अत्यंत संवेदनशील है और उनके मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया गया है।
छोटे बच्चों को छोड़ गए पीछे
सुरेंद्र कुमार अपने पीछे पत्नी सीमा, आठ वर्षीय बेटी और पांच वर्षीय बेटे को छोड़ गए हैं। उनके पिता शिशुपाल सिंह सीआरपीएफ से सेवानिवृत्त हो चुके थे और अब इस दुनिया में नहीं हैं। घर की देखभाल अब उनकी मां कर रही हैं, जिन्हें अभी तक यह खबर नहीं दी गई है।
गांव में शोक की लहर, पार्थिव शरीर का इंतजार
गांव मंडावा में वीर सपूत की शहादत की खबर के बाद गहरा शोक व्याप्त है। हर आंख नम है और हर दिल गर्व से भरा हुआ है। पूरा गांव सुरेंद्र कुमार के पार्थिव शरीर के गांव पहुंचने का इंतजार कर रहा है, ताकि अंतिम दर्शन कर सकें और श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें।
भारत मां ने एक और वीर सपूत खो दिया है, लेकिन उनका बलिदान हमेशा देशवासियों के दिलों में अमर रहेगा।