कर्बला में नवासा ए रसूल की शहादत : खुतबा बीबी जैनब

खुतबा बीबी जैनब :तारीख ने लिखा आले रसूल के खानदान के मर्दों के सर नेजो पर सवार थे और रसूल की बेटियां बेपर्दा कैद होकर चल रही थी और फोजे यजीद झूम रही थी खुश हो रही थी

खुतबा बीबी जैनब : दुनिया में रसूल के खानदान के मर्दों की शुजात और रसूल के खानदान की औरतों का पर्दा हर खास और आम के लबों पर कसीदा बना हुआ था हर इंसान  रसूल के मर्दों की शुजात के किस्से बयान करता था और आले रसूल के घर की औरतों के परदे की मिसाल बयान करता था ।

मैदाने कर्बला में यजीद मलून ने आले रसूल के मर्दों को कत्ल किया और उनके लाशों को पामाल किया और आले रसूल की बेटियों को बेपर्दा करके लाया  उसका  कहना था कि रसूल की बेटियों को बेपर्दा करके बाजारों में लाया जाए ताकि लोगों के दिलों से आले रसूल के घराने की सुजात भी खत्म हो जाए और लोगों के दिलों से आले रसूल की बेटियों के पर्दे का एहतराम भी खत्म हो जाए।

बस कर्बला में नवासा ए रसूल की शहादत के बाद नवासा ए रसूल के लाशे को पमाल करके बीवियों के खेमों को जलाकर उनके सरों से चादरों को लूटा गया कभी शिमर मलून  सकीना को तमाचे मारता है और कभी जालिम बीबियो को ताने मारता हैं जब फौजी यजीद  इमाम सज्जाद के पास पहुंची और चाहा के आले रसूल के इस चिराग को भी बुझा दें तो बीबी जैनब उन जालिम से कहती हैं जालिमों यहआले रसूल के घर का आखिरी चिराग है अगर इसको बुझाना चाहते हो तो इससे पहले हम बिबियो को भी शहीद कर दो जो ही यजीद मलून के फौजियों ने इमाम सज्जाद को हाथ लगाया तो उनका जिस्म बुखार से गर्म था फौजियों ने कहा यह तो बहुत बीमार है शायद रास्ते की सख्ती भी ना देख पाए और रास्ते में ही शहीद हो जाए बस बीवियों को  बांधकर और बीमार जनाबे सैयद सज्जाद को जकड़ कर  मुल्के शाम तक ले जाया गया।

तारीख ने लिखा आले रसूल के खानदान के मर्दों के सर नेजो पर सवार थे और रसूल की बेटियां बेपर्दा कैद होकर चल रही थी और फोजे यजीद झूम रही थी खुश हो रही थी  हमने रसूल  का बदला उनके खानदान से ले लिया और जब हम यजीद के दरबार में पहुंचेंगे तो वह हमारी झोली सोने चांदी से भर देगा लेकिन कुफा के गवर्नर  इब्ने जियाद ने पैगाम भिजवाया के पहले आले रसूल के खानदान को कूफा लेकर आओ इनकी गुरबत का तमाशा पहले में देखूंगा उसके बाद दरबार यजीद में ले जाना इब्ने ज़ियाद ने कहां के जब रसूल के खानदान कूफा में आए तो हर कोई इनको अपनी छत से पत्थर मारे  बस  कुफे की गलियों से रसूल खुदा का खानदान  गुजरता रहा कोई पत्थर मारता है  कोई तौहीन करता है कहीं से कोई बागी कहता है तो कही से कोई बे पर्दा बीबियों का तमाशा देखता है।

 बीबी कुलसुम और जनाब ए जैनब अपने नाना रसूल की उम्मत को देख कर सबर करती है जैसे ही कूफा के दरबार में पहुंचते हैं इब्ने जियाद ने कहा शिमर रसूल के खानदान के एक मर्द इमाम सय्यद सज्जाद को क्यू छोड़ दिया इसको क्यों नहीं कत्ल किया शिमर  कहने लगा बनी हाशिम में कोई तो हो जो अपने मर्दो और औरतों की गुरबत का तमाशा देखे इब्ने जियाद जोर जोर से हंसने लगा इतने में बीबी जैनब फरमाती है ए जालिम अल्लाह के इंसाफ से डर हम उन रसूल की बेटियां है जिन्होने अल्लाह की मर्ज़ी के बिना अपनी जबान को हरकत नही दी ।

तमाम फोजी यजीद को देखकर बिबि जैनब फरमाने लगी हां मैं उस अली की बेटी हूं जिसकी जुल्फिकार से इस्लाम को हमेशा फतेह और कामयाबी मिली लोगों मेरा भाई हुसैन रसूल का नवासा था और पूरी जिंदगी इस्लाम की तबलीग करता रहा और लोगों को अमन और मोहब्बत का पैगाम देता रहा क्या कसूर था मेरे भाई का बताओ रोज ए महसर क्या मुंह दिखाओगे जब अल्लाह के मेहबूब के सामने तुम्हे पेश किया जाएगा फिर फोजे यजीद जोर जोर से हंसने लगी और इमाम सय्यद सज्जाद और  बीबी जैनब उन मुर्दा जमीर लोगो के जमीर जिंदा करने लगी इतने में इब्ने जियाद कहने लगा के मे अपनी जीत का तमाशा किस को दिखाओ एक जालिम कहता है  मेरे आका आपकी कैद में रसूल से प्यार करने वाला मुख्तार है उसको बुलाओ वह कहता मुख्तार को लेकर आओ जैसे जंजीरों में जकड़ कर जनाबे मुख्तार को लेकर आते हैं इब्ने जियाद खुशी से कहता है मुख्तार तू तो औलादें अली और औलादें नबी का चाहने वाला है।

 देख हमने इनका क्या हश्र किया है जनाबे मुख्तार देखते हैं जनाब ईमाम हुसैन का सर इब्ने जियाद के सामने रखा है और वो इमामे हुसैन के सर मुबारक की तौहीन कर रहा है इतने में जनाबे मुख्तार को जलाल आया और आपने चाहा के इब्ने जियाद के सर को उसके तन से जुदा कर दू इतने में जनाबे इमाम सज्जाद जनाबे मुख्तार के कंधो पर हाथ रखकर कहते हैं चचा मुख्तार यह सर अकेले नहीं है इन कटे सरो के साथ रसूल की बेटियां भी कैदी कतार में खड़ी है जनाब मुख्तार चीख कर रोते हैं और रसूल ए खुदा के दरबार में फरियाद करते हैं या रसूल अल्लाह इन  जालिमों ने दौलत और ताकत के  नशे में आपके खानदान के साथ वो जुल्म किया जिसको तारीख कभी भुला नहीं पाएगी फिर इब्ने जियाद हुकुम देता है कि फतेह का जश्न तो अभी मुल्क ए शाम में बाकी है रसूल के खानदान को ऐसे ही कैदी बनाकर मुल्क ए शाम ले जाओ ताकि यजीद यह जान ले के हमनें उसके के हुकुम के सामने रसूल के खानदान पर भी रहम ना किया।

लेकिन अल्लाह का अदल बाकी था तारीख़ लिखा कि जहां जहां से इमाम सज्जाद और बीबी जैनब गुजरते गए अपने खुतबो से लोगों के जमीर को जिंदा करते गए वो लोग जो उनको पत्थर मार  रहे थे आले रसूल के खुत्बो को सुनकर उनकी आंखे नम होने लगी यहां तक जब दरबार यजीद मेआले रसूल का काफिला पहुंचा तो दरबार ए यजीद उस पर लानत करने लगा और इस तरह यह  बगावत पूरी दुनिया में कायम हो गई आज यजीद के लिए हर मोमिन अपने दिल में नफरत रखता  है  आज हर मोमिन यजीद पर लानत करके आले रसूल के गम में अपनी आंखों को नम करता है।

सलाम हो हर उस आंख पर जो गम ए हुसैन पर रोती है रसूल अल्लाह की बेटियों की अजीरी पर रोती है

लूटे हुए काफिले हुसैनी का मुल्क ए शाम मे दाखिला हुआ कुफा से होते हुए इस काफिले को मुल्क ए शाम लाया गया दुआ है अल्लाह ईमाम हुसैन के दरजात को बुलंद फरमाएं और इमाम के कातिलों जहानुम की आग में जलाए।

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