
असदुद्दीन ओवैसी, TMC और कांग्रेस नेताओं ने वक्फ संशोधन बिल का किया विरोध
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और TMC सांसद महुआ मोइत्रा समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए
New Delhi (Shah Times)। दिल्ली के जंतर-मंतर पर सोमवार को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और TMC सांसद महुआ मोइत्रा समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने बिल के प्रावधानों को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला बताया और इसे रद्द करने की मांग की।
वक्फ संशोधन बिल क्या है?
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना, डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना और अवैध कब्जे वाली संपत्तियों को वापस लेना है। इस बिल को मौजूदा बजट सत्र में पेश किया जा सकता है, जो 4 अप्रैल तक चलेगा। हालांकि, मुस्लिम समुदाय के नेताओं का आरोप है कि यह बिल मुस्लिमों की धार्मिक संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ाने का प्रयास है।
ओवैसी का आरोप: “मुसलमानों से मस्जिदें छीनने की साजिश”
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि यह बिल मुसलमानों से उनकी मस्जिदें, दरगाहें और कब्रिस्तान छीनने के लिए लाया जा रहा है। उन्होंने कहा, “अगर कल कोई यह कहता है कि यह मस्जिद नहीं है और कलेक्टर जांच बैठा देते हैं, तो जांच पूरी होने तक मस्जिद हमारी संपत्ति नहीं होगी।” ओवैसी ने चेतावनी दी कि अगर यह बिल पारित होता है, तो देशभर में व्यापक आंदोलन शुरू हो जाएगा।
ओवैसी ने यह भी आरोप लगाया कि बिल के जरिए वक्फ संपत्तियों को गिफ्ट करने (हिबा) का अधिकार खत्म किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “यह बिल मुसलमानों की धार्मिक और राजनीतिक पहचान को खत्म करने की साजिश है।”
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का आरोप: “हमारी आवाज नजरअंदाज की गई”
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को करीब 5 करोड़ मुसलमानों ने ई-मेल के माध्यम से अपनी राय भेजी, लेकिन उनकी आवाज को नजरअंदाज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि अगर यह बिल पारित होता है, तो देशभर में व्यापक आंदोलन शुरू किया जाएगा।
विरोध में शामिल अन्य नेता
प्रदर्शन में AIMIM, TMC और कांग्रेस के नेताओं ने भी हिस्सा लिया। TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि यह बिल मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला है। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी बिल के प्रावधानों की आलोचना की और कहा कि यह संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
भाजपा का रुख: “विरोध प्रदर्शन असंवैधानिक”
भाजपा सांसद और JPC के चेयरमैन जगदंबिका पाल ने प्रदर्शनकारियों पर आरोप लगाया कि वे संसद के कानून बनाने के अधिकार को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह विरोध प्रदर्शन लोकतांत्रिक नहीं है और इसका मकसद लोगों में नफरत फैलाना है।”
वक्फ एक्ट का इतिहास
वक्फ एक्ट 1954 में लागू हुआ था, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान जाने वाले मुसलमानों की छोड़ी गई संपत्तियों का प्रबंधन करना था। वर्तमान में देशभर में 32 वक्फ बोर्ड हैं, जो मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं। 2022 की सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, देश में 8.65 लाख से अधिक वक्फ संपत्तियां हैं, जिनकी अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है।
सरकार का तर्क: पारदर्शिता और डिजिटलीकरण
सरकार का कहना है कि वक्फ संशोधन बिल का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना है। नए बिल में वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की भागीदारी, महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य करने जैसे प्रावधान शामिल हैं।
आगे की राह
वक्फ संशोधन बिल को लेकर विवाद जारी है। मुस्लिम समुदाय के नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर बिल पारित होता है, तो देशभर में व्यापक आंदोलन शुरू हो जाएगा। इस बिल को लेकर संसद में भी गर्मागर्म बहस की उम्मीद है।
वक्फ संशोधन बिल को लेकर मुस्लिम समुदाय और सरकार के बीच तनाव बढ़ गया है। जबकि सरकार का दावा है कि यह बिल पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन के लिए है, मुस्लिम नेताओं का आरोप है कि यह मुस्लिम अधिकारों पर हमला है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज होने की संभावना है।