
US responds to alleged radiation leak near Pakistan's Kirana Hills after Indian airstrikes – Shah Times
किराना हिल्स रेडिएशन विवाद: भारत की एयरस्ट्राइक पर अमेरिका का बयान, जानिए सच क्या है?
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत ने पाकिस्तान के एयरबेस पर हमला किया। किराना हिल्स में न्यूक्लियर लीक की खबरों पर अमेरिका ने पहली बार प्रतिक्रिया दी है। जानिए इस विवाद का पूरा सच।
हाल ही में भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के अंतर्गत पाकिस्तान और POK के आतंकी ठिकानों पर की गई सटीक एयरस्ट्राइक्स ने दक्षिण एशियाई कूटनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। इनमें सरगोधा और नूरखान जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण एयरबेस भी शामिल थे, जिनके आसपास पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की मौजूदगी की अटकलें लंबे समय से लगाई जाती रही हैं। इसी संदर्भ में किराना हिल्स क्षेत्र का नाम फिर से सामने आया है।
क्या किराना हिल्स वाकई परमाणु ठिकाना है?
2023 में बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में किराना हिल्स को सबक्रिटिकल न्यूक्लियर टेस्ट साइट के रूप में चिन्हित किया गया था। इसमें T.E.L गैरेज, गोला-बारूद डिपो और भूमिगत स्टोरेज यूनिट्स की उपस्थिति का जिक्र था। ऐसे में जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पास के एयरबेस पर हमले हुए, तो यह स्वाभाविक था कि सोशल मीडिया पर रेडियोएक्टिव रिसाव और अमेरिकी हस्तक्षेप की खबरें तेज़ी से फैलने लगीं।
अमेरिका का आधिकारिक रुख क्या है?
13 मई को अमेरिकी विदेश विभाग के मुख्य उप प्रवक्ता थॉमस पिगॉट ने स्पष्ट किया कि उनके पास इस मुद्दे पर पुष्टि करने योग्य कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने न तो अमेरिकी टीम की पाकिस्तान में उपस्थिति की पुष्टि की, न ही रेडिएशन लीक की। इससे यह स्पष्ट होता है कि वर्तमान में अमेरिका इन खबरों को अफवाह की श्रेणी में देख रहा है।
भारत और अमेरिका का संतुलनपूर्ण रुख
जहां भारत सरकार और सेना पहले ही किराना हिल्स पर बमबारी या रेडिएशन लीक की खबरों का खंडन कर चुकी है, वहीं अमेरिका का ‘नो कमेंट’ रुख भी राजनयिक सतर्कता को दर्शाता है। दोनों देशों के लिए इस समय यह आवश्यक है कि पाकिस्तान के न्यूक्लियर इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कोई भी जानकारी अत्यंत सावधानीपूर्वक और पुष्टि के बाद ही साझा की जाए।
सीज़फायर और कूटनीतिक संवाद की ओर संकेत
अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की संवाद की पहल की प्रशंसा की है। यह स्पष्ट संकेत है कि वैश्विक शक्तियां इस पूरे घटनाक्रम को एक सीमित सैन्य कार्रवाई मानकर जल्द से जल्द स्थिति सामान्य करना चाहती हैं। राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा संघर्षविराम की प्रशंसा करना यही दर्शाता है कि अमेरिका तनाव कम करने की दिशा में सक्रिय है।
किराना हिल्स में न्यूक्लियर रिसाव की खबरें फिलहाल अफवाहों से अधिक कुछ नहीं कही जा सकतीं। जब तक आधिकारिक रूप से किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था या अमेरिका द्वारा पुष्टि नहीं होती, तब तक इन्हें केवल रणनीतिक युद्धोन्मादी प्रचार की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। भारत ने जिस तरह सटीक सैन्य कार्रवाई कर आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश दिया है, वह उसकी रणनीतिक परिपक्वता को दर्शाता है। अब समय है कि पाकिस्तान भी इस हमले को चेतावनी के रूप में लेकर अपने घरेलू और आतंकी नेटवर्क पर नियंत्रण करे, अन्यथा अगली बार ‘कूटनीतिक चुप्पी’ के बजाय ‘वैश्विक प्रतिक्रिया’ का सामना करना पड़ सकता है।
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