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नई दिल्ली (शाह टाइम्स) भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की रणनीति, सफलता और संदेश को लेकर बुधवार को एक महत्वपूर्ण बैठक राष्ट्रपति भवन में संपन्न हुई। इस बैठक में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान के साथ सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। बैठक का मुख्य उद्देश्य 6 और 7 मई की दरम्यानी रात को पाकिस्तान में किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की जानकारी देना था, जिसे 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में अंजाम दिया गया।
‘ऑपरेशन सिंदूर’: आतंक के खिलाफ निर्णायक कदम
यह ऑपरेशन भारतीय सेना की तेज, सटीक और समन्वित कार्रवाई का प्रतीक रहा। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान जाने के बाद, भारत ने आतंक के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सीमा पार मौजूद आतंकी ठिकानों पर सफलतापूर्वक हमला किया गया।
तीनों सेनाओं का संयुक्त अभियान
राष्ट्रपति के समक्ष बैठक में बताया गया कि ऑपरेशन को सेना, वायुसेना और नौसेना की एकजुटता और समन्वय के साथ अंजाम दिया गया। तीनों सेनाओं ने एक साझा रणनीति के तहत कार्रवाई को अंजाम दिया, जिसमें खुफिया एजेंसियों की सटीक जानकारी और अत्याधुनिक तकनीक का सहारा लिया गया।
राष्ट्रपति की सराहना: सुरक्षा सर्वोपरि
राष्ट्रपति भवन से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया, “राष्ट्रपति ने आतंकवाद के खिलाफ की गई कार्रवाई में भारतीय सशस्त्र बलों की बहादुरी, समर्पण और पेशेवर दक्षता की भूरी-भूरी प्रशंसा की।” राष्ट्रपति ने यह भी दोहराया कि भारत की सुरक्षा सर्वोपरि है और सेना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है।
गोपनीयता और रणनीतिक सूझबूझ
सूत्रों के अनुसार, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अत्यंत गोपनीयता के साथ अंजाम दिया गया। इसमें इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि कोई नागरिक या गैर-सैन्य ठिकाना प्रभावित न हो। यह ऑपरेशन न केवल सैन्य दृष्टिकोण से, बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर भी भारत की मजबूत इच्छाशक्ति का संकेतक था।
भारत का स्पष्ट संदेश: आतंक के खिलाफ कोई समझौता नहीं
इस सर्जिकल एक्शन के जरिए भारत ने साफ कर दिया है कि वह आतंकवाद और उसके संरक्षकों के खिलाफ चुप नहीं बैठेगा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने उन देशों को भी स्पष्ट संदेश दिया है जो आतंक को परोक्ष या अपरोक्ष रूप से समर्थन देते हैं।
सेना का मनोबल और जनविश्वास
राष्ट्रपति का सशस्त्र बलों से यह प्रत्यक्ष संवाद न केवल एक औपचारिक प्रक्रिया थी, बल्कि इससे सेना के मनोबल में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह बैठक यह भी दर्शाती है कि भारत की सरकार, संवैधानिक संस्थाएं और सुरक्षा बल एकजुट होकर देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय रक्षा नीति का एक मील का पत्थर बन गया है। यह न केवल एक सैन्य उपलब्धि है, बल्कि यह संदेश भी है कि भारत अब जवाब देने में नहीं हिचकता। राष्ट्रपति की प्रशंसा ने सशस्त्र बलों को नई ऊर्जा और देशवासियों को गर्व से भर दिया है।