
India plans to reconstruct and expand Indus canals to boost irrigation capacity and increase water diplomacy pressure on Pakistan.
भारत ने सिंधु नहरों के पुनर्निर्माण और विस्तार की योजना बनाई है, जिससे सिंचाई क्षमता बढ़ेगी और पाकिस्तान पर जल कूटनीतिक दबाव बढ़ेगा।
नई दिल्ली (शाह टाइम्स) भारत ने सिंधु जल संधि पर कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान पर जल कूटनीति का दबाव बढ़ा दिया है। अब भारत सिंधु नदियों से जुड़ी पुरानी नहरों का पुनर्निर्माण और विस्तार करने जा रहा है। इस कार्य की शुरुआत जम्मू-कश्मीर की कठुआ, न्यू प्रताप और रणबीर नहरों से की जाएगी, जो कि 100 वर्ष से अधिक पुरानी हैं। यह पहली बार है जब इन नहरों की व्यापक मरम्मत की जा रही है। साथ ही, कुछ नई नहरों का निर्माण भी प्रस्तावित है ताकि सिंचाई के लिए ज्यादा भूमि उपलब्ध हो सके।
सिंधु जल संधि के बाधा न बनने की पुष्टि
भारत ने हाल ही में पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को रोकने का फैसला लिया था। यह निर्णय पहलगाम में 26 लोगों की हत्या के बाद लिया गया। हालांकि सरकार का कहना है कि संधि भारत को अपने हिस्से के जल संसाधनों के बेहतर उपयोग – जैसे नहरों की मरम्मत और नई नहरें बनाने – से नहीं रोकती।
तेजी से शुरू होगा पुनर्निर्माण कार्य
भारत सरकार के अधिकारियों ने बताया कि 23 अप्रैल को संधि रोकने के बाद से ही सिंधु से जुड़ी नहर परियोजनाओं को प्राथमिकता दी गई है। जम्मू-कश्मीर सरकार पहले से इन कार्यों पर काम कर रही थी, लेकिन अब इसे तेज गति से अंजाम दिया जाएगा।
गाद हटाने और जल वहन क्षमता बढ़ाने का कार्य कठुआ, रणबीर, न्यू प्रताप, रंजन, तवी लिफ्ट, परागवाल और रावी नहरों में चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा।
मानसून पर निर्भरता होगी कम
इन नहरों के विस्तार से देश की सिंचाई व्यवस्था में बड़ा सुधार आएगा। वर्तमान में भारत का लगभग 60% कृषि क्षेत्र मानसून पर निर्भर है। संघीय बागवानी अधिकारी अभय सिंह के अनुसार, जम्मू क्षेत्र में खेती की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन पानी की सीमित उपलब्धता के कारण यह पूरी तरह से उपयोग में नहीं आ पाती।
रणनीतिक दृष्टि से अहम है यह कदम
रावी और तवी नहरें जम्मू क्षेत्र की 90% सिंचाई जरूरतों को पूरा करती हैं। रणबीर नहर जम्मू शहर को तो प्रताप नहर अखनूर क्षेत्र को जल प्रदान करती है। इसके अलावा भारत कश्मीर में किशनगंगा, रतले, मियार नाला, लोअर कलनई और पाकल दुल जैसे जलविद्युत परियोजनाओं पर भी तेजी से काम करेगा।
तुलबुल नौवहन परियोजना भी केंद्र में है, जिसे वुलर झील पर पूरा करने का जोर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दिया है।
एक बड़ा प्रयास
भारत का यह कदम न केवल जल संसाधनों के बेहतर उपयोग की दिशा में एक बड़ा प्रयास है, बल्कि पाकिस्तान के प्रति उसकी जल कूटनीति को भी सख्त बना रहा है। इससे एक ओर देश की सिंचाई क्षमता बढ़ेगी तो दूसरी ओर राष्ट्रीय सुरक्षा और सामरिक हित भी सुरक्षित होंगे।