मुजफ्फरनगर लोकसभा चुनाव का सियासी रुझान

वेस्ट यूपी की मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर सपा,बसपा और भाजपा मजबूती से चुनाव लड़ रही

मुजफ्फरनगर/नदीम सिद्दीकी,( Shah Timet)। वेस्ट यूपी की मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर सपा,बसपा और भाजपा मजबूती से चुनाव लड़ रही है। 

चुनावी क्षेत्र में सपा प्रत्याशी हरेंद्र मलिक सियासी माहौल बनाने में कामयाब हैं, तो वहीं  भाजपा कैंडिडेट संजीव बालियान से लोगों की नाराजगी के बावजूद भी अब मुजफ्फरनगर में राममंदिर और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे लोगों के बीच चर्चा में हैं। देहात के इलाकों में प्रत्याशियों की जाति का फैक्टर हावी है। भाजपा के संजीव बालियान और सपा के हरेंद्र मलिक मजबूती से चुनाव लड़ रहे हैं।

 संजीव बालियान के विरोध का फायदा हरेंद्र मलिक को हो रहा है। 10 साल पहले दंगा होने के बाद जाट वोटर भाजपा में शिफ्ट हुआ। यही वजह है कि पार्टियों ने एक भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा गया है। 33 प्रतिशत मुस्लिम वोटर का साथ सपा को मिलना तय माना जा रहा है। 

चुनाव विशेषज्ञ से चर्चा के बाद जो निष्कर्ष सामने आया है उससे जाहिर है कि “100% जाति किसी भी दल के साथ नहीं जाती। कुछ लोग जाति और धर्म से ऊपर उठकर वोट करते हैं। जयंत चौधरी के भाजपा में जाने के बाद वेस्ट यूपी में जाट वोट भाजपा को ही जाएगा। 

वर्ष 2013 में हुए दंगे के बाद रालोद से नाराज जाट वोटर भाजपा में शिफ्ट हो गया। साल 2019 में रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह भाजपा के डॉ. संजीव बालियान के सामने मुजफ्फरनगर से लोकसभा चुनाव हार गए थे। 2024 में जयंत चौधरी ने मुजफ्फरनगर में बालियान के लिए जनसभा की। जिससे जाट वोटर का रुझान भाजपा की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है।

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