
India is preparing to strengthen ties with Afghanistan, planning increased cooperation and humanitarian aid with the Taliban, intensifying diplomatic pressure on Pakistan
भारत अफगानिस्तान के साथ संबंध मजबूत करने की तैयारी में है, तालिबान से सहयोग और मानवीय सहायता बढ़ाने का प्लान, पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बढ़ेगा।
नई दिल्ली/काबुल (शाह टाइम्स) भारत अफगानिस्तान को लेकर एक महत्वपूर्ण और रणनीतिक पहल की तैयारी कर रहा है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के बीच हुई हालिया बातचीत के बाद इस दिशा में भारत की गंभीरता सामने आई है। इस कदम से न केवल अफगानिस्तान में भारत की भूमिका बढ़ेगी, बल्कि पाकिस्तान को भी कूटनीतिक मोर्चे पर करारा झटका लग सकता है।
जयशंकर-मुत्तकी वार्ता से खुला नया द्वार
गुरुवार, 15 मई को एस. जयशंकर और आमिर खान मुत्तकी के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत को बेहद अहम माना जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस बातचीत में अफगानिस्तान को मानवीय सहायता देने, चाबहार बंदरगाह के उपयोग पर सहयोग, और अफगान शरणार्थियों के मसले पर गहन चर्चा हुई। यह संकेत मिला है कि भारत काबुल के साथ रिश्तों को औपचारिक रूप से मजबूत करने के लिए कदम बढ़ा सकता है।
अफगान शरणार्थियों को मिलेगा भारत से समर्थन
पाकिस्तान द्वारा जबरन निकाले गए 80,000 से अधिक अफगान शरणार्थियों के मसले पर भारत मानवीय सहायता देने पर विचार कर रहा है। यह सहायता सीधे अफगानिस्तान को पहुंचाई जा सकती है, जिससे भारत की ‘जनता आधारित’ विदेश नीति को बल मिलेगा। मुत्तकी ने जनवरी में दुबई में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री के समक्ष भी यह मुद्दा उठाया था।
पाकिस्तान-तालिबान संबंधों में बढ़ा तनाव
पाकिस्तान और तालिबान के रिश्ते इन दिनों बेहद तनावपूर्ण हैं। पाकिस्तान ने सभी प्रांतों को आदेश दिया है कि वे अवैध अफगान नागरिकों को किराये पर घर या दुकान न दें। इससे काबुल और इस्लामाबाद के बीच अविश्वास गहरा गया है। भारत इस स्थिति का लाभ उठाते हुए अफगानिस्तान के साथ अपने संबंधों को नए आयाम देने की ओर बढ़ रहा है।
भारत की रणनीति: ‘साहसिक कदम’ की तैयारी
नई दिल्ली के अधिकारियों का कहना है कि भारत अफगानिस्तान को लेकर एक ‘साहसिक कदम’ उठाने जा रहा है। यह कदम न केवल मानवीय सहायता तक सीमित रहेगा, बल्कि संभव है कि भारत काबुल में अपनी राजनीतिक उपस्थिति को भी फिर से स्थापित करे। अगस्त 2021 में तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद भारत ने दूतावास और अन्य मिशनों को खाली कर दिया था, लेकिन पिछले दो वर्षों में संपर्क लगातार बनाए रखा गया है।
मुत्तकी का बहुराष्ट्रीय दौरा और भारत की कूटनीति
आमिर खान मुत्तकी जल्द ही ईरान और चीन के दौरे पर जा रहे हैं। ऐसे में भारत के साथ हुई बातचीत को अफगानिस्तान की ‘संतुलित विदेश नीति’ का हिस्सा बताया जा रहा है। चाबहार बंदरगाह को लेकर भी दोनों देशों के बीच संभावित सहयोग की चर्चा हुई है, जो क्षेत्रीय संपर्क को नया आयाम दे सकती है।
कूटनीतिक नक्शे पर भारत की सक्रियता
भारत की यह पहल स्पष्ट संकेत है कि नई दिल्ली तालिबान के अधीन अफगानिस्तान को नजरअंदाज नहीं करना चाहती। इसके पीछे सामरिक, मानवीय और राजनीतिक सभी दृष्टिकोण शामिल हैं। यह कदम पाकिस्तान के लिए न केवल असहज करने वाला है, बल्कि दक्षिण एशिया में भारत की बढ़ती कूटनीतिक सक्रियता का भी प्रतीक है।