
Rahu Gandhi faces backlash over comments on Operation Sindoor; CPI supports, BJP hits back – Shah Times Report
जब सवाल देशभक्ति बनाम लोकतंत्र की कसौटी बन जाए
राहुल गांधी के ऑपरेशन सिंदूर पर उठाए सवालों ने सियासी भूचाल ला दिया है। CPI महासचिव डी राजा ने समर्थन दिया, जबकि BJP ने ‘पाकिस्तान की भाषा’ बोलने का आरोप लगाया। पढ़ें गहराई से विश्लेषण।
भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती ही यही है कि यहां युद्ध और सैन्य अभियानों पर भी सवाल उठाए जा सकते हैं। लेकिन जब ये सवाल उस समय उठें, जब देश आतंकवादियों पर निर्णायक चोट करके एकजुटता का संदेश दे रहा हो, तो उनकी टाइमिंग पर स्वाभाविक तौर पर सवाल खड़े होते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर, भारतीय सैन्य ताकत का वह परिचायक बन गया है जिसमें न केवल सीमा पार आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया, बल्कि यह स्पष्ट कर दिया गया कि भारत आतंक को उसकी ज़मीन पर ही जवाब देने में सक्षम है। इस ऑपरेशन के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों—“कितने भारतीय विमान खोए?”, “पाकिस्तान को पहले क्यों बताया गया?”—ने ना सिर्फ राजनीतिक विवाद खड़ा किया, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर राजनीतिक बयानबाज़ी को भी नए मुकाम पर पहुंचा दिया।
क्या राहुल गांधी का सवाल पूछना अपराध है?
CPI महासचिव डी राजा ने राहुल गांधी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि संसद में सवाल पूछना विपक्ष का अधिकार है। यह तर्क भारतीय लोकतंत्र के मूल में है। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस अधिकार का प्रयोग ऐसे संवेदनशील समय पर होना चाहिए जब सेना ने अपना कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया हो?
यहां सवाल उठता है कि क्या सवाल पूछने की मंशा राजनीतिक है या रणनीतिक? क्या राहुल गांधी वास्तव में पारदर्शिता चाहते हैं या केवल सरकार की छवि पर सवाल खड़े करने का प्रयास कर रहे हैं?
BJP का तीखा प्रहार: क्या राहुल पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं?
BJP नेता अमित मालवीय ने राहुल गांधी पर सीधा हमला बोला और आरोप लगाया कि वे पाकिस्तान के सुर में सुर मिला रहे हैं। उन्होंने पूछा कि राहुल यह क्यों नहीं पूछ रहे कि कितने पाकिस्तानी फाइटर जेट मार गिराए गए? या यह कि पीएम मोदी को सफल ऑपरेशन के लिए बधाई क्यों नहीं दी गई?
यह प्रतिक्रियाएं बताती हैं कि सरकार की ओर से इसे सिर्फ आलोचना नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सवाल उठाने जैसा माना जा रहा है, जिसे राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास भी समझा जा सकता है।
विदेश मंत्रालय की सफाई: आरोप बेबुनियाद हैं
विदेश मंत्री एस. जयशंकर की ओर से स्पष्ट किया गया कि पाकिस्तान को ऑपरेशन से पहले नहीं, बल्कि शुरुआत के बाद सूचित किया गया था, वह भी केवल यह बताने के लिए कि लक्ष्य आतंकवादी हैं, पाकिस्तानी सेना नहीं। इससे भारत का आंतरराष्ट्रीय दायित्व और सैन्य नीति दोनों स्पष्ट होती है।
इसके अलावा, DGMO की ब्रीफिंग में साफ तौर पर कहा गया कि भारतीय वायुसेना का कोई विमान नहीं गिरा। ऐसे में राहुल गांधी का यह दावा कि विमान गिरे और उन्हें छिपाया जा रहा है, केवल एक राजनीतिक विमर्श प्रतीत होता है, न कि तथ्यात्मक चिंता।
संसद में बहस होनी चाहिए, लेकिन ज़िम्मेदारी के साथ
इस मुद्दे पर संसद में बहस होनी चाहिए। लेकिन विपक्ष को यह भी समझना होगा कि जब देश एक सैन्य सफलता का उत्सव मना रहा हो, तब उसकी टोन और शब्दों की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है। आलोचना राष्ट्रविरोध नहीं है, लेकिन आलोचना का समय, तरीका और तथ्य स्पष्ट और जिम्मेदार हों, यह आवश्यक है।
सवाल का अधिकार है, लेकिन उसका विवेक जरूरी है
राहुल गांधी जैसे नेता का सवाल पूछना लोकतंत्र की मजबूती है, लेकिन जब वह सवाल ऐसे समय और ऐसे शब्दों में आए जो विरोधियों को ‘देशद्रोह’ का नैरेटिव गढ़ने का मौका दे, तो नुकसान केवल राजनीति का नहीं होता, देश की सामूहिक भावना का होता है।
CPI जैसी पार्टियों का समर्थन लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहस का मंच तो देता है, लेकिन यह भी स्पष्ट करता है कि राजनीतिक दलों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी कि सवाल राष्ट्र की संप्रभुता के खिलाफ न लगें।
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