
Rakesh Tikait Accuses Government of Promoting Capitalism through Privatization
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि सरकारी योजनाओं और सड़कों के नाम पर देशभर में निजीकरण हो रहा है। एमएसपी गारंटी कानून की मांग और किसानों की समस्याओं पर जोर दिया।
सरकारी योजनाओं के नाम पर निजीकरण का आरोप
रायपुर, (Shah Times)। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता और किसान नेता राकेश टिकैत ने रविवार को आरोप लगाया कि पूरे देश में सरकारी योजनाओं के नाम पर निजीकरण हो रहा है। उन्होंने कहा कि सभी सरकारें पूंजीवाद को बढ़ावा दे रही हैं। राकेश टिकैत छत्तीसगढ़ और ओडिशा के चार दिवसीय दौरे पर हैं और उन्होंने रायपुर में मीडिया से चर्चा के दौरान यह बयान दिया।
टिकैत ने कहा,
“पूरे देश में भूमि अधिग्रहण तेजी से हो रहा है। हाईवे की सारी जमीनें व्यापारियों ने खरीद ली हैं। हमारा टारगेट है कि 2047 तक जब आजादी के 100 साल पूरे होंगे, तब तक किसानों की 60 से 70 प्रतिशत जमीन पूंजीपतियों के पास चली जाएगी।”
एमएसपी गारंटी कानून की मांग
राकेश टिकैत ने एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) गारंटी कानून को देश का बड़ा मुद्दा बताया। उन्होंने कहा कि इस कानून को लागू करना जरूरी है ताकि किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत मिले। बिहार में धान की कीमत 800 से 1200 रुपए के बीच है, जो बहुत कम है। उन्होंने कहा कि अगर राज्यों को “लेबर स्टेट” बनने से बचाना है तो एमएसपी गारंटी कानून लागू करना होगा।
उन्होंने कहा कि किसानों की स्थिति सुधारने के लिए एमएसपी गारंटी कानून जरूरी है। बिना इस कानून के किसान अपनी फसल की कीमत भी तय नहीं कर पाएंगे और उनके हितों की रक्षा नहीं हो पाएगी।
छत्तीसगढ़ के किसानों की समस्याएं
टिकैत ने छत्तीसगढ़ के किसानों की समस्याओं पर भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि राज्य में व्यापारीकरण तेजी से बढ़ रहा है, जिससे किसानों की स्थिति कमजोर होती जा रही है।
उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में कई किसान आत्महत्या कर रहे हैं क्योंकि उन्हें फसल की कीमत नहीं मिल रही और खेतों में पानी की समस्या बनी हुई है। बिजली की समस्या भी गंभीर है। आदिवासी क्षेत्रों में किसान अपनी फसल का उचित दाम नहीं पा रहे हैं।
उन्होंने कहा,
“छत्तीसगढ़ में बिजली का लो वोल्टेज एक बड़ी समस्या है। अधिकारी किसानों की समस्याओं पर सुनवाई नहीं कर रहे। नया रायपुर में भूमि अधिग्रहण का मामला भी लंबे समय से अटका हुआ है।”
‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर निशाना
राकेश टिकैत ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की नीति पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि देश में ‘राइट टू हेल्थ’ और ‘राइट टू एजुकेशन’ जैसे मुद्दों पर अभी तक सही तरीके से काम नहीं हो रहा है। उन्होंने मांग की कि आने वाले समय में पूरे देश में एक समान शिक्षा प्रणाली लागू की जाए।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं आम जनता को आसानी से मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि किसान नेता किसानों की आवाज राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने का काम करेंगे।
किसानों के मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का संकल्प
राकेश टिकैत ने कहा कि चार दिवसीय दौरे के दौरान वह छत्तीसगढ़ और ओडिशा के किसानों से मिलेंगे और उनकी समस्याओं को जानेंगे। उन्होंने कहा कि बारिश न होने और जल स्तर के गिरने से किसानों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, इस पर सरकार को काम करना चाहिए।
“हम छत्तीसगढ़ के किसानों की आवाज को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाएंगे ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।”
सरकार की नीतियों पर सवाल
टिकैत ने सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार को पता है कि वोट कैसे मिलेंगे, लेकिन किसानों को उनकी फसल की सही कीमत कैसे मिलेगी, इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
उन्होंने कहा कि किसान मांग और आपूर्ति के आधार पर फसल उत्पादन करता है। जिस फसल की कीमत ज्यादा मिलती है, किसान उसे उगाता है। जिसकी कीमत कम मिलती है, उसका उत्पादन कम कर देता है।
राकेश टिकैत के बयान से स्पष्ट है कि किसानों की समस्याएं और एमएसपी गारंटी कानून इस समय देश के प्रमुख मुद्दे बने हुए हैं। सरकार को इन मुद्दों पर गंभीरता से काम करने की आवश्यकता है ताकि किसानों की स्थिति में सुधार हो और उनकी फसलों की उचित कीमत सुनिश्चित हो सके।