
Leaders from Russia and Ukraine fail to reach consensus during peace talks in Istanbul amid escalating drone attacks – Image courtesy: Shah Times
🇷🇺🇺🇦 रूस-यूक्रेन शांति वार्ता का विफल दूसरा दौर: क्या अब युद्ध और भीषण होगा?
तुर्किये में रूस-यूक्रेन शांति वार्ता सिर्फ एक घंटे में खत्म हुई। यूक्रेनी ड्रोन हमले के बाद तनाव चरम पर है। जानिए वार्ता के नतीजे, पुतिन की रणनीति और जेलेंस्की की मांगों का विश्लेषण।
🔍 शांति के नाम पर राजनीतिक अभिनय?
तुर्किये की राजधानी इस्तांबुल में 02 जून को हुई रूस-यूक्रेन शांति वार्ता अपने तय समय से दो घंटे देरी से शुरू हुई और महज एक घंटे में समाप्त हो गई। यह वार्ता 2022 के बाद दोनों देशों के बीच हुई दूसरी सीधी बातचीत थी। लेकिन जिस तरह से यह बातचीत केवल औपचारिकता बनकर रह गई, उससे यह सवाल उठने लगा है कि क्या दोनों पक्ष वाकई शांति चाहते हैं या यह वार्ताएं केवल अंतरराष्ट्रीय दबाव के तहत आयोजित की जा रही हैं?
🔥 ड्रोन हमले से शांति प्रयास को लगा झटका
वार्ता से ठीक एक दिन पहले यूक्रेन ने रूस के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया। दावा किया गया कि यूक्रेन ने एक साथ 100 से अधिक ड्रोन भेजे, जिनमें से कई ने सीधे रूसी वायुसेना के विमानों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। कम से कम 40 बमवर्षक विमानों को नुकसान पहुँचा। रूसी रक्षा मंत्रालय ने भी हमले की पुष्टि करते हुए इसे “आतंकी हमला” बताया।
यह हमला न केवल रूस की सैन्य तैयारियों पर सवाल खड़े करता है बल्कि यह शांति वार्ता की गंभीरता को भी संदिग्ध बनाता है। हमले की टाइमिंग ने यह संकेत दिया कि दोनों देश अब भी एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगे हैं, न कि वास्तविक समाधान खोजने में।
🧠 रणनीतिक संदेश: पुतिन का बदला या कूटनीति?
रूस के पूर्व ऊर्जा उपमंत्री व्लादिमीर मिलोव के अनुसार, यह हमला रूस की सैन्य विफलता का संकेत है और अब पुतिन एक बड़े प्रतिशोध की योजना बना सकते हैं। हालांकि ज़मीनी कार्रवाई की सीमित क्षमताओं को देखते हुए, रूस की अगली रणनीति यूक्रेनी शहरों पर मिसाइल और बमबारी हो सकती है।
रूसी मीडिया और सरकार समर्थित विश्लेषकों में अब युद्ध को निर्णायक मोड़ देने की बातें हो रही हैं। सार्वजनिक मंचों पर ‘यूक्रेन को पूरी तरह खत्म कर देने’ जैसी मांगें स्पष्ट करती हैं कि शांति की उम्मीद फिलहाल धुंधली है।
🧑⚖️ जेलेंस्की का रुख: प्रतिबंधों का नया अध्याय?
लिथुआनिया में मौजूद यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने इस्तांबुल वार्ता से पहले कहा कि वे शांति के लिए तैयार हैं, लेकिन यदि वार्ता निष्फल रहती है तो रूस पर G7 स्तर के नए प्रतिबंध लगाए जाएं। उनका यह बयान यह दर्शाता है कि यूक्रेन अब युद्ध के साथ-साथ राजनयिक और आर्थिक दवाब के मोर्चे पर भी आक्रामक रुख अपना रहा है।
🕊️ तुर्किये की भूमिका: मध्यस्थता या मजबूरी?
तुर्किये के विदेश मंत्री हाकान फिदान ने वार्ता के बाद कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें इस वार्ता पर टिकी हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सीजफायर, युद्धबंदियों की अदला-बदली और दोनों राष्ट्रपतियों के बीच सीधी बैठक पर चर्चा हुई। लेकिन इन मुद्दों पर कोई ठोस सहमति नहीं बनी, जिससे तुर्किये की मध्यस्थता पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है।
📉 निष्कर्ष: क्या युद्ध अब निर्णायक मोड़ की ओर?
इस वार्ता के परिणामों से स्पष्ट है कि दोनों पक्ष अभी भी एक-दूसरे को पूरी तरह झुकाने की जिद में हैं। ड्रोन हमले और सख्त बयानबाजियों ने यह साबित कर दिया है कि शांति की राह अभी लंबी और कांटों भरी है। जहां रूस आक्रामक रणनीति की ओर बढ़ता दिख रहा है, वहीं यूक्रेन वैश्विक समर्थन और प्रतिबंधों के सहारे अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है।
जब तक सैन्य बल और प्रतिशोध की नीति पर जोर रहेगा, तब तक शांति केवल एक भ्रम बनी रहेगी।
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