
SC Backs Amendment in Krishna Birthplace Lawsuit
सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह और कृष्ण जन्मभूमि विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को प्रथम दृष्टया सही ठहराया। जानिए सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां और भविष्य की राह का विश्लेषण।
सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह और कृष्ण जन्मभूमि विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखते हुए एक ऐतिहासिक संकेत दिया है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार की पीठ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हिन्दू पक्ष को मूल याचिका में संशोधन की अनुमति देना उचित था, और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पक्षकार बनाने का निर्णय प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होता है।
विवाद की पृष्ठभूमि
यह मामला मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद से जुड़ा है, जहां हिन्दू पक्ष ने दावा किया है कि विवादित स्थल एक प्राचीन संरक्षित स्मारक है, जिसे 1920 में संयुक्त प्रांत के उपराज्यपाल द्वारा अधिसूचित किया गया था। हिन्दू पक्ष का तर्क है कि चूंकि संरचना पहले से संरक्षित स्मारक के रूप में चिह्नित है, इसलिए पूजा स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991, जो 15 अगस्त 1947 की यथास्थिति को संरक्षित करता है, इस मामले पर लागू नहीं होता।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, “यह स्पष्ट है कि हिन्दू वादियों को अपने दावे में संशोधन की अनुमति मिलनी चाहिए थी।” साथ ही मुस्लिम पक्ष द्वारा प्रस्तुत तर्कों को “गलत तरीके से पेश किया गया” करार दिया। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को अपना विस्तृत लिखित जवाब दाखिल करने का अवसर देते हुए मामले की अगली सुनवाई स्थगित कर दी है।
मुस्लिम पक्ष का पक्ष
मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी, यह तर्क देते हुए कि हिन्दू वादी नए दावे जोड़कर पूजा स्थल अधिनियम के प्रावधानों से बचने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम दृष्टया इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को न्यायोचित माना है।
भविष्य की राह
यह मामला अब एक अत्यंत संवेदनशील मोड़ पर आ गया है। सुप्रीम कोर्ट के रुख से संकेत मिलता है कि कानूनी प्रक्रिया में ऐतिहासिक तथ्यों और स्मारक संरक्षण कानूनों की भूमिका को गंभीरता से परखा जाएगा। साथ ही, पूजा स्थल अधिनियम 1991 की व्याख्या भी इस विवाद के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।