25 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास की भूमि पर अतिक्रमण करने वाले 50,000 निवासियों को बेदखल करने पर रोक लगा दी थी और संबंधित अधिकारियों को उनके लिए पुनर्वास योजना बनाने का निर्देश दिया था।शीर्ष अदालत ने रेलवे ट्रैक विस्तार के लिए वैकल्पिक भूमि की पहचान करने का भी निर्देश दिया था।
नई दिल्ली, (Shah Times) । सुप्रीम कोर्ट ने हल्द्वानी में रेलवे संपत्तियों पर कथित रूप से अतिक्रमण करने वाले लगभग 50,000 लोगों के पुनर्वास के लिए ठोस प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए केंद्र सरकार को बुधवार दो महीने की मोहलत दी।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ हल्द्वानी में रेलवे संपत्तियों पर कथित रूप से अतिक्रमण करने वाले लगभग 50,000 लोगों को बेदखल करने पर रोक लगाने वाले आदेश में संशोधन की मांग करने वाली केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया।पीठ ने सरकार को निर्देश दिया कि वह उन लोगों के लिए पुनर्वास प्रस्ताव भी पेश करें, जिनके बेदखल होने की आशंका हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा, “इस बीच परिवारों की बेदखली पर रोक लगाने के लिए पहले पारित अंतरिम निर्देश जारी रहेंगे।”उत्तराखंड सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने कहा, “हमें कुछ कदम उठाने के लिए कहा गया था।कुछ अमल किया गया है।संयुक्त बैठक की गई है।परिवारों की पहचान के लिए एक टीम बनाई गई है… हम 2 महीने का और समय मांग रहे हैं।”श्री सिंह ने आगे कहा कि रेल मंत्रालय पुनर्वास के लिए भूमि की पहचान करने पर काम कर रहा है… उन्होंने कहा, “सर्वेक्षण पहले से ही चल रहा है।”इस पर पीठ की ओर से न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि कुछ मामलों में आपको लग सकता है कि स्थानांतरण की कोई आवश्यकता नहीं है।संबंधित निवासियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि पटरियों पर पानी अब नहीं भर सकता है।किसी भी व्यक्ति को स्थानांतरित करने की आवश्यकता नहीं है।
गोंजाल्विस ने कहा, “हमने ड्रोन वीडियो बनाया है, जिसमें दिखाया गया है कि निवासी सुरक्षित हैं।हम इसे अदालत में दाखिल करने की अनुमति चाहते हैं।”इस पर पीठ की ओर से न्यायमूर्ति कांत ने कहा, “पहले देखते हैं कि उनका (सरकार) क्या कहना है।वे किस तरह का प्रस्ताव लेकर आते हैं।”इसके बाद अदालत ने यह कहते हुए अपना आदेश सुनाया कि सरकारी वकील ने कहा कि “तत्काल आवश्यक भूमि की पट्टी और/या परियोजना को पूरा करने के लिए आवश्यक भूमि की पहचान करने की प्रक्रिया सहित विभिन्न पहल शुरू हो गई हैं।”इसके बाद अदालत ने प्रभावित होने वाले लोगों और विचाराधीन लोगों के पुनर्वास के लिए ठोस प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए दो महीने का समय दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले 25 जुलाई 2024 को हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास की भूमि पर अतिक्रमण करने वाले 50,000 निवासियों को बेदखल करने पर रोक लगा दी थी और संबंधित अधिकारियों को उनके लिए पुनर्वास योजना बनाने का निर्देश दिया था।शीर्ष अदालत ने रेलवे ट्रैक विस्तार के लिए वैकल्पिक भूमि की पहचान करने का भी निर्देश दिया था।