
Leaders at the Jamiat Ulema-e-Hind national conference in Delhi speak out on Waqf protection, constitutional rights, and solidarity with Palestine. Image courtesy: Shah Times
जमीयत उलमा-ए-हिंद के दो दिवसीय सम्मेलन में दिल्ली से उठी इंसाफ की आवाज़। वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई, संविधान की सरपरस्ती और फिलिस्तीन से एकजुटता पर जोर।
नई दिल्ली,(Shah Times) । देश की राजधानी में शनिवार को उस समय एक ऐतिहासिक आवाज़ गूंज उठी, जब जमीयत उलमा-ए-हिंद के दो दिवसीय प्रतिनिधि सम्मेलन की शुरुआत हुई। इस सम्मेलन का उद्घाटन संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी की सरपरस्ती में हुआ, जिसमें वक्फ संपत्तियों की हिफाज़त, भारत के संविधान की सरपरस्ती और फिलिस्तीन के साथ एकजुटता का स्पष्ट संदेश दिया गया।
वक्फ की हिफाज़त: हमारी आस्था और विरासत की लड़ाई
मौलाना अरशद मदनी ने अपने उद्घाटन भाषण में केंद्र सरकार पर वक्फ संपत्तियों पर नज़रें गड़ाने का आरोप लगाते हुए कहा, “वक्फ हमारी दीनी विरासत है। यह कोई आम ज़मीन नहीं, बल्कि एक इबादत है। मस्जिद-ए-कुबा से लेकर मस्जिद-ए-नबवी तक इसका इतिहास गवाह है।” उन्होंने वर्तमान वक्फ कानून को असंवैधानिक बताते हुए कहा कि यह भारत के सेकुलर ढांचे पर हमला है। जमीयत इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है और 5 मई को इस पर सुनवाई होनी है, जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पैरवी करेंगे।
संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा का संकल्प
मौलाना मदनी ने कहा कि देश में नफरत की राजनीति संविधान की आत्मा को चोट पहुँचा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मूलभूत मुद्दों से ध्यान भटकाकर धर्म के नाम पर लोगों को बाँटने की कोशिश कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका विरोध किसी समुदाय से नहीं, बल्कि सरकार की विभाजनकारी नीतियों से है।
फिलिस्तीन के लिए आवाज़: मजलूमों की हिमायत में भारत के मुसलमान
सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी जमीयत ने अपनी राय स्पष्ट रूप से रखी। मौलाना मदनी ने फिलिस्तीन पर हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “फिलिस्तीन एक आज़ाद रियासत है। इजराइल द्वारा 1967 में अमेरिका और ब्रिटेन की मदद से किया गया कब्जा अन्याय था। दुनिया खामोश है, लेकिन हम चुप नहीं रह सकते।”
आतंकवाद और सांप्रदायिकता के विरुद्ध सख्त रुख
जमीयत ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले की सख्त निंदा की। मौलाना मदनी ने कहा कि आतंकवाद का इस्लाम से कोई वास्ता नहीं है और जो लोग पीड़ितों की मदद कर रहे हैं, वे असली इंसानियत के प्रतीक हैं। उन्होंने सरकार से सुरक्षा इंतज़ामों को और अधिक पुख्ता करने की माँग की।
देश भर से आए प्रतिनिधियों की भागीदारी
इस प्रतिनिधि सम्मेलन में देश भर से आए राज्य अध्यक्षों, महासचिवों और अन्य प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन में मौलाना असजद मदनी, मौलाना मासूम साकिब, मौलाना अजहर मदनी, मौलाना अशहद रशीदी, मौलाना फजलुर रहमान, मौलाना सिराज कासमी, मौलाना फुरकान, मौलाना शराफत कासमी और अन्य प्रमुख नेताओं ने हिस्सा लिया। सभी ने एक सुर में वक्फ की हिफाज़त, संविधान की रक्षा और मजलूमों की हिमायत का संकल्प दोहराया।
इस मौके पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मौलाना असजद मदनी, राष्ट्रीय महासचिव मौलाना मासूम साकिब, इस्लाहे मुआशरा के नाजिम मौलाना अजहर मदनी, यूपी जमीअतके सदर मौलाना अशहद रशीदी, मौलाना अशफाक अहमद, मौलाना अब्दुल हादी, प्रेस प्रभारी मौलाना फजलुर रहमान, मौलाना सिराज कासमी, मौलाना फुरकान, मौलाना खब्बाब कासमी, मौलाना खुर्शीद कासमी, उत्तराखण्ड जमीअत के महासचिव मौलाना शराफत कासमी, मुफ्ती ताजीम कासमी, मीडिया इंर्चाज मौहम्मद शाह नज़र आदि मुख्य रूप से शामिल रहे।