
A view of the remote Choura Panchayat in Kinnaur, still waiting for motorable roads after 75 years of independence.
आजादी के 75 वर्षों बाद भी हिमाचल प्रदेश की चौरा पंचायत मोटर योग्य सड़क से वंचित है। स्थानीय लोगों की पीड़ा और ऐतिहासिक हिंदुस्तान-तिब्बत रोड पर मंडराते खतरे की गूढ़ विश्लेषणात्मक समीक्षा।
आजादी के 75 वर्ष बाद भी यदि भारत के किसी क्षेत्र को बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़े, तो यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की गंभीर विफलता को दर्शाता है। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले की चौरा पंचायत इसी विफलता का ज्वलंत उदाहरण है, जहाँ आज भी मोटर योग्य सड़क का सपना अधूरा है।
चौरा पंचायत न केवल भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत-तिब्बत सीमा सुरक्षा की दृष्टि से भी संवेदनशील क्षेत्र है। ब्रिटिश शासन काल में बनाई गई ऐतिहासिक हिंदुस्तान-तिब्बत रोड कभी रणनीतिक व व्यापारिक महत्व रखती थी, लेकिन वर्तमान में यह ऐतिहासिक विरासत खुद सरकारी योजनाओं की बलि चढ़ रही है।
स्थानीय लोगों की व्यथा केवल सड़क तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सवाल उठाती है कि जब सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कें बन सकती हैं, तो किन्नौर के प्रवेश द्वार पर यह सुविधा क्यों नहीं? सेब उत्पादकों को अपनी उपज कुलियों व खच्चरों से ढोनी पड़ती है, जिससे उनकी आय लागत में ही समाप्त हो जाती है।
राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी, ठेकेदारी व्यवस्था में भ्रष्टाचार और नौकरशाही की उदासीनता – यह सभी कारण एक ऐसी त्रासदी को जन्म दे रहे हैं जिसमें केवल एक पंचायत नहीं, बल्कि वहाँ की पूरी पीढ़ी अपने सपनों से समझौता करने को मजबूर हो गई है।
विशेष चिंता का विषय यह भी है कि जल शक्ति विभाग द्वारा पाइपलाइन बिछाने के नाम पर ऐतिहासिक रोड को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। यदि सरकारें नए रास्ते नहीं बना सकतीं, तो कम से कम विरासत को तो संरक्षित कर सकती हैं।
समस्या का समाधान केवल सड़क निर्माण में नहीं, बल्कि एक समावेशी दृष्टिकोण अपनाने में है, जिसमें सीमावर्ती व जनजातीय क्षेत्रों को भी समान प्राथमिकता दी जाए। चौरा पंचायत का उदाहरण हमें यह सोचने को मजबूर करता है कि क्या हमने विकास को केवल शहरों की सीमाओं तक सीमित कर दिया है?
चौरा पंचायत की यह व्यथा किसी एक गांव की नहीं, बल्कि उन सभी क्षेत्रों की है जो दशकों से उपेक्षित हैं। यह समय है जब शासन तंत्र न केवल सुनने का, बल्कि ठोस कार्यवाही करने का भी साहस दिखाए।