
Tim Draper predicts Bitcoin will overtake the US Dollar as global currency — Shah Times Exclusive.
बिटकॉइन साल के आखिर तक 2.5 लाख डॉलर के पार, डॉलर को दे सकता है कड़ी चुनौती: वॉल स्ट्रीट विशेषज्ञों का दावा
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा प्रणाली में बड़ा बदलाव?
वॉल स्ट्रीट के अरबपति निवेशक टिम ड्रेपर का दावा: बिटकॉइन साल के अंत तक $250,000 पार करेगा। डॉलर की गिरती ताकत और बढ़ते कर्ज से वैश्विक मुद्रा बदलाव की कगार पर।
बिटकॉइन अब सिर्फ एक क्रिप्टो नहीं, बल्कि वैश्विक वित्तीय व्यवस्था को चुनौती देने वाला संभावित विकल्प बनता जा रहा है। वॉल स्ट्रीट के अरबपति निवेशक टिम ड्रेपर का दावा है कि बिटकॉइन साल के अंत तक $250,000 को पार कर जाएगा और अगले एक दशक में अमेरिकी डॉलर को पीछे छोड़कर अंतरराष्ट्रीय लेन-देन की मुख्य मुद्रा बन सकता है।
बिटकॉइन बनाम डॉलर: वर्चस्व की दौड़ शुरू
टिम ड्रेपर के अनुसार, दुनिया अब फिएट करेंसी के भरोसे नहीं रहना चाहती। उन्होंने CoinDesk को दिए इंटरव्यू में कहा, “अब बैंक बिटकॉइन को भी स्टोर करने लगे हैं। लेकिन जैसे-जैसे डॉलर की विश्वसनीयता घटेगी, लोग जोखिम नहीं उठाएंगे। वे डॉलर निकालकर बिटकॉइन में निवेश करेंगे।”
उनका यह दावा केवल भविष्यवाणी नहीं है, बल्कि मौजूदा आर्थिक संकेतकों और वैश्विक घटनाओं के विश्लेषण पर आधारित है।
डॉलर की कमजोरी की जड़ें: बढ़ता राष्ट्रीय कर्ज
ड्रेपर का मानना है कि अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज 1989 से GDP की तुलना में तीन गुना तेजी से बढ़ा है।
2025 में ब्याज भुगतान $952 बिलियन तक पहुंच चुका है, जो देश के रक्षा बजट से भी अधिक है। यदि यही रफ्तार बनी रही, तो 2030 तक अमेरिकी सरकार का पूरा राजस्व कर्ज चुकाने में खप जाएगा, जिससे डॉलर की क्रय शक्ति में गिरावट तय मानी जा रही है।
क्या बिटकॉइन एक बेहतर विकल्प है?
टिम ड्रेपर के शब्दों में, बिटकॉइन केवल मुद्रा नहीं, बल्कि एक बेहतर टेक्नोलॉजी है। वे इसे पारदर्शिता, सुरक्षा और विकेंद्रीकरण के गुणों के कारण फिएट करेंसी से श्रेष्ठ मानते हैं। उन्होंने बचपन का एक अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनके पिता ने उन्हें कन्फेडरेट करेंसी दी थी जो अब बेकार हो चुकी है – यही सरकार नियंत्रित मुद्राओं का भविष्य हो सकता है।
अमेरिकी आर्थिक नेतृत्व खतरे में?
ब्लैकरॉक के सीईओ लैरी फिंक ने हाल ही में चेतावनी दी कि अमेरिका का बढ़ता कर्ज डॉलर को उसकी रिजर्व करेंसी स्थिति से बाहर कर सकता है।
वहीं, ब्रिजवाटर फंड के संस्थापक रे डालियो ने कहा कि “कर्ज संकट अब बेहद करीब है। आपूर्ति और मांग का संतुलन टूट चुका है, जिससे आर्थिक स्थिरता खतरे में है।”
36.2 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज: एक वित्तीय विस्फोट?
वर्तमान में अमेरिका पर $36.2 ट्रिलियन से अधिक का कर्ज है। इतिहास गवाह है कि जब कोई देश अपने कर्ज को नजरअंदाज करता है, तो उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा जाती है। डालियो के अनुसार, “ऐसे संकटों से केवल वही देश बचते हैं जो समय रहते कठोर निर्णय लेते हैं।” इस संदर्भ में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी एक विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता बन सकती है।
भविष्य बिटकॉइन का?
बढ़ते कर्ज, गिरते डॉलर और बढ़ते क्रिप्टो अपनापन की पृष्ठभूमि में यह सवाल प्रासंगिक हो गया है कि क्या बिटकॉइन आने वाले समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था का केंद्र बन जाएगा?
फिलहाल, विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है, लेकिन इतना निश्चित है कि बिटकॉइन अब वित्तीय संवाद का हिस्सा बन चुका है – और उसका प्रभाव आने वाले वर्षों में और गहरा हो सकता है।
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