लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह (Dharampal Singh) ने आज यहां विधानसभा स्थित अपने कार्यालय कक्ष में पशुधन एवम दुग्ध विकास विभाग (Department of Livestock and Dairy Development) द्वारा गत एक वर्ष में किये गये कार्यों की समीक्षा करते हुए आगामी वित्तीय वर्षीय विभाग की कार्ययोजना एवं लक्ष्यों के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।
सिंह ने कहा कि पशुधन विकास (Livestock development) के क्षेत्र में आज यूपी पशुपालन (UP Animal Husbandry) मॉडल के रूप में विकसित के रूप में विकसित हो रहा है। इसलिए अवस्थापना विकास गोसंरक्षण, पशुधन चिकित्सा स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण, डिजिटलाइजेशन, टीकाकरण, बधियाकरण, कृत्रिम गर्भाधान एवं नस्ल सुधार जैसे कार्यक्रमों को गुणवत्तापूर्ण रूप से युद्ध स्तर पर संचालित किया जाए। ताकि उ0प्र0 पशुधन विकास एवं डेरी (UP Livestock Development and Dairy) क्षेत्र में अन्य राज्यों के लिए नजीर बन सके।
धर्मपाल सिंह (Dharampal Singh) ने कहा कि किसानों एवं पशुपालकों की आय दोगुनी हो, इसके लिए पशुपालन महत्वपूर्ण माध्यम है। गत एक साल में पशुधन विभाग एवं दुग्ध विकास विभाग द्वारा विभिन्न नवीन योजनायें संचालित की गयी है। उन्होंने कहा कि बकरियों मेें कृत्रिम गर्भाधान, भेढ़ पालकों को भेड़ो की नस्ल सुधार हेतु रैनबूलेट एवं मैरीनो नस्ल के भेड़ उपलब्ध कराये जा रहे हैं। बायो मेडिकल वेस्ट निस्तारण की कार्य योजना इटावा में भेड़, बकरी प्रशिक्षण केन्द्र का संचालन तथा मुड़िया मुकर्रमपुर, बरेली में पशु उत्थान वर्ण संकर केन्द्र (Animal Development Varna Hybrid Center) का संचालन किया जा रहा है। लघु पशु के पालन से किसानों एवं पशुपालकों को स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं।
सिंह ने कहा कि निराश्रित गोवंश संरक्षण (cattle protection) के क्षेत्र में डिजिटाइजेशन एवं नवाचार को बढ़ावा देते हुए गोवंश पोर्टल एवं मोबाइल एप का संचालन किया जा रहा है। गोवंश संरक्षण (cattle protection) कार्यों की डिजिटल मॉनीटरिंग की जा रही है और अस्थायी गोआश्रय स्थलों एवं मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के लाभार्थियों को डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके खाते में धनराशि का भुगतान किया जा रहा है।
राज्य सरकार निराश्रित गोवंश के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है और अब तक 1402491 गोवंशों को संरक्षित किया जा चुका है। 294 वृहद गोसंरक्षण केन्द्र निर्मित हैं एवं 147 वृहद गोसंरक्षण केन्द्र निर्माणाधीन हैं। अभियान के दौरान 439 नये अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल बनाये गये हैं तथा 749 का क्षमता विस्तार किया जा चुका है। 96 नये पशुचिकित्सालय बनाये गये हैं। 16 पॉलीक्लीनिक का निर्माण किया जा चुका है एवं 08 निर्माणाधीन हैं। निराश्रित गोवंश के भरण पोषण हेतु धनराशि 30 रूपये से बढ़ाकर 50 रूपये कर दी गयी है।
कृत्रिम गर्भाधान योजना के तहत सवा करोड़ कृत्रिम गर्भाधान किया गया है। 6000 कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं को 18 करोड़ से अधिक की धनराशि पीएफएमएस के माध्यम से उनके खाते में सीधे भेजी गई है। लम्पी रोग से बचाव हेतु 1.60 करोड़ वैक्सीन लगाई गयी, जिससे लम्पी रोग पूर्णतः नियंत्रण में है। एचएस, एफएमडी वैक्सीन का कार्य किया जा रहा है।
सिंह ने निर्देश दिये कि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं को समयबद्ध रूप से पूर्ण किया जाए और योजनाओं का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार किया जाए। उन्होंने कहा कि मोबाइल वेटीनरी यूनिट का संचालन आकस्मिकता एवं फिक्सड रूट पर किया जा रहा है जिससे पशुउपचार पशुपालक के द्वार पर उपलब्ध हो रहा है। जनपद गोरखपुर में पशुचिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना हेतु कार्यवाही पूर्ण कर दी गयी है। इसके साथ ही जनपद भदोही में पशुचिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय की स्थापना हेतु कार्यवाही की जा रही है।
सिंह ने कहा कि यूपी दुग्ध उत्पादन देश में प्रथम स्थान पर है लेकिन हमारा लक्ष्य है कि दुग्ध उत्पादन को और बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि नंद बाबा दुग्ध मिशन दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिये कि नंदनी कृषक समृद्धि योजना मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्द्धन योजना, मुख्यमंत्री प्रगतिशील पशुपालन प्रोत्साहन योजना के लाभार्थियों को सभी लाभ बिना किसी बाधा के उपलब्ध कराये जाए। उन्होंने दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में ई-कामर्स को प्रोत्साहन दिये जाने और बुन्देलखण्ड क्षेत्र में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा दिये जाने की सम्भावनाओं पर कार्य करने के निर्देश दिये। श्री सिंह ने निर्देश दिये कि अति हिमीकृत वीर्य उत्पादन केन्द्र, रहमान खेड़ा, लखनऊ में बोवाइन पशुओं में सेक्सड/सार्टेड सीमेन उत्पादन योजना पर तेजी से कार्य किया जाए।
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बैठक में पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव डा0 रजनीश दुबे ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व और पशुधन विकास मंत्री जी के मार्गदर्शन में पशुधन एवं दुग्ध विकास विभाग द्वारा किसानों एवं पशुपालकों की आय दोगुनी करने के लिए निरन्तर कार्य किया जा रहा है। दुग्धशाला विकास नीति और कुक्कुट विकास नीति के माध्यम से दुग्ध उत्पादन और स्वरोजगार को बढ़ावा मिल रहा है और निवेशक भी इन क्षेत्रों में प्रदेश में निवेश हेतु विशेष रूचि ले रहे हैं। उन्होंने मंत्री जी को आश्वस्त करते हुए कहा कि उनसे प्राप्त दिशा-निर्देशों का अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित किया जायेगा। उन्होंने मंत्री जी को विभाग की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति से अवगत कराया।
बैठक में विशेष सचिव देवेन्द्र पांडेय, दुग्ध आयुक्त श्री शशिभूषण लाल सुशील, पीसीडीएफ के प्रबंध निदेशक आनंद कुमार, पशुपालन विभाग के निदेशक डा ए0के0 जादौन, एलडीबी के कार्यकारी अधिकारी डा0 नीरज गुप्ता, अपर निदेशक डा0 जे0के0 पांडेय तथा शासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।