
Women and youth shine in Uttarakhand Panchayat Elections 2025 – Shah Times Exclusive
उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025: ग्राम प्रधानों में पढ़े-लिखे चेहरे आगे
उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025: त्रिस्तरीय लोकतंत्र की जीत, महिलाओं और युवाओं की भागीदारी से बदला परिदृश्य
उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025 के नतीजों में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी ने मारी बाज़ी। जानिए हर जिले से लाइव अपडेट और विशेष नतीजे।
🗳 लोकतंत्र की जड़ें और पंचायत चुनाव 2025
उत्तराखंड के 12 जिलों (हरिद्वार को छोड़कर) में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 के नतीजे 31 जुलाई को घोषित किए गए। दो चरणों में हुए इन चुनावों में 32,580 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला मतगणना केंद्रों पर सुबह 8 बजे से शुरू हुआ। राज्य निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष, पारदर्शी और सुरक्षित मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए व्यापक इंतजाम किए थे। इस बार चुनाव में महिलाओं, युवाओं और यहां तक कि थर्ड जेंडर मतदाताओं की रिकॉर्ड भागीदारी देखी गई, जो ग्रामीण भारत में लोकतंत्र की बढ़ती चेतना का संकेत है।
📊 चुनाव प्रक्रिया और मतदान का आंकड़ा
पहला चरण: 24 जुलाई, 49 विकासखंड, 68% मतदान
दूसरा चरण: 28 जुलाई, 40 विकासखंड, 70% मतदान
कुल मतदान: 47,77,072 मतदाता
पुरुष: 24,65,702
महिलाएं: 23,10,996
थर्ड जेंडर: 374
मतदान में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक रही। यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम संकेतक है।
🧾 किन पदों के लिए हुआ मतदान?
पद
पदों की संख्या
ग्राम पंचायत सदस्य
58,970
ग्राम प्रधान
7,499
क्षेत्र पंचायत सदस्य
3,202
जिला पंचायत सदस्य
400
इन पदों के लिए कुल 32,580 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें से 1,607 प्रत्याशी पहले ही निर्विरोध चुने जा चुके थे।
📌 मतगणना के अहम अपडेट (LIVE Highlights)
🌟 नारी शक्ति की जीत
साक्षी, 22 वर्षीय B.Tech ग्रेजुएट, पौड़ी गढ़वाल के पाबौ/कुई गांव से ग्राम प्रधान बनीं।
प्रियंका नेगी, 21 साल की युवती, मुख्यमंत्री के आदर्श गांव सारकोट की सबसे कम उम्र की प्रधान चुनी गईं।
रजनी देवी, एक वोट से चुनाव जीतने वाली महिला उम्मीदवार बनीं, जिन्होंने कोट पंचायत में कुलदीप सिंह को पछाड़ा।
🔄 दिलचस्प टाई और टॉस से फैसले
नितिन और रविंद्र, बणद्वारा ग्राम पंचायत में दोनों को 138 वोट मिले। टॉस के ज़रिये नितिन की जीत।
ममता देवी, कीर्तिनगर की भैसवाड़ा पंचायत में बराबरी के बाद पर्ची से विजयी घोषित।
❌ विवाद और पुनर्मतगणना
खरसांई, कर्णप्रयाग में राकेश मोहन राणा को गलती से हार का ऐलान किया गया, जबकि वे असल में 231 मतों से जीते थे। बाद में पुनर्मतगणना से स्थिति स्पष्ट की गई।
🎥 सोशल मीडिया प्रभाव
यूट्यूबर दीपा नेगी को कविता देवी ने हराया। यह सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की स्थानीय राजनीति में परीक्षा मानी गई।
🔔 पूर्व नेताओं के उत्तराधिकारी
पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवाण के बेटे अरविंद सिंह सजवाण छड़ियारा से क्षेत्र पंचायत सदस्य बने।
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🧑🏫 चुनाव प्रबंधन और आयोग की सतर्कता
राज्य निर्वाचन आयोग ने मतगणना प्रक्रिया के लिए कुल 95,909 अधिकारियों की नियुक्ति की थी। सुरक्षा व्यवस्था के लिए 8,926 जवानों की तैनाती की गई थी। हर विकासखंड में CCTV, कंप्यूटराइज्ड सिस्टम, इंटरनेट और बैरिकेडिंग जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं।
विशेष निर्देश:
विजयी जुलूस निकालने पर प्रतिबंध
बिना एजेंट कार्ड किसी को मतगणना केंद्र में प्रवेश नहीं
जोनल मजिस्ट्रेट, सीओ, थानाध्यक्ष और निरीक्षकों की तैनाती अनिवार्य
🔍 महिला उम्मीदवारों का प्रदर्शन
इस चुनाव की एक विशेष बात रही महिलाओं की बढ़ी हुई भागीदारी और जीत का आंकड़ा। कुल ग्राम प्रधानों में 40% से अधिक स्थानों पर महिलाओं ने विजय हासिल की। इससे यह स्पष्ट होता है कि ग्रामीण महिलाओं में नेतृत्व क्षमता और आत्मविश्वास लगातार बढ़ रहा है।
📈 राजनीतिक संदेश और भविष्य का संकेत
उत्तराखंड के पंचायत चुनाव 2025 ने स्पष्ट कर दिया है कि अब गांवों में भी नेतृत्व के लिए युवा और पढ़े-लिखे चेहरे आगे आ रहे हैं। यह बदलते भारत की एक झलक है, जहां ग्रामीण भारत डिजिटल साक्षरता, शिक्षा और महिला नेतृत्व की ओर तेजी से बढ़ रहा है।
📍 चुनाव का सामाजिक प्रभाव
युवाओं की भागीदारी – पहली बार बड़ी संख्या में युवा, खासकर बीटेक, स्नातक और स्नातकोत्तर छात्र राजनीति में आए।
महिलाओं का नेतृत्व – महिला प्रधानों की संख्या और प्रभाव में वृद्धि से सामाजिक समानता को बल मिला।
लोकल मीडिया की भूमिका – चुनाव परिणामों की तेज़ और पारदर्शी रिपोर्टिंग से जनता को पल-पल की जानकारी मिलती रही।
🔗 रिजल्ट देखने की वेबसाइट
secresult.uk.gov.in – यहां सभी ग्राम पंचायत, बीडीसी, और जिला पंचायत सदस्यों का परिणाम उपलब्ध है।
लोकतंत्र का उत्सव
उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025 केवल एक राजनीतिक प्रक्रिया नहीं बल्कि जनसहभागिता, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और लोकतंत्र की असली परीक्षा का प्रतीक रहा। हर वोट और हर प्रत्याशी की कहानी बदलाव की नई इबारत लिख रही है। इस चुनाव ने यह सिद्ध कर दिया कि लोकतंत्र की असली ताकत जमीनी स्तर पर होती है, और वही परिवर्तन की नींव रखती है।