यूसीसी मामले से निपटने के लिए मुसलिम समुदाय की तरफ से व्यावहारिक दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी
- डॉ. एम जे खान
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) भारत में प्रत्येक प्रमुख धार्मिक और जातीय समुदाय के धर्मग्रंथों, रीति-रिवाजों और मान्यताओं पर आधारित व्यक्तिगत कानूनों को प्रत्येक नागरिक को नियंत्रित करने वाले सामान्य नियमों के साथ बदलने के लिए भारतीय जनादेश के भीतर बहस का मुद्दा बना हुआ है। भारत में समान नागरिक संहिता को लागू करने का उद्देश्य विभिन्न समुदायों के विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों को खत्म करना और नियमों का एक एकीकृत समूह स्थापित करना है जो देश के हर नागरिक को राज्य के एक ही कानून से नियंत्रित करता हो।
हमारे विविध और बहुसांस्कृतिक समाज और प्रचलित राजनीतिक वास्तविकता को पहचानते हुए, यह आवश्यक है कि हम इस विषय पर संवेदनशीलता और गहरी समझ के साथ कदम उठायें। मुस्लिम विधि बुद्धिजीवियों का संगठन ‘इंडियन मुस्लिम फॉर प्रोडक्शन रिफॉर्म्स, यानि ‘इंपार’ इस मुद्दे पर काफी संवेदनशीलता और गंभीरता से विचार कर रहा है कि अगर सरकार यूसीसी पर आगे बढ़ती है तो मुस्लिम समुदाय की तरफ से इस मामले में क्या किया जा सकता है। उसके बाद ‘इंपार’ इस नतीजे पर पहुंचा है कि यूसीसी पर खुली बातचीत को प्रोत्साहित किया जाए और इसके संबंध में विचारों के सम्मानजनक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया जाए। ‘इंपार’ का अध्यक्ष होने के नाते मुझे लगता है कि यूसीसी के ड्राफ्ट को साझा करने से पहले बिना किसी पूर्वाग्रह के या किसी निर्णय पर पहुंचने में जल्दबाजी किए बिना खुली बहस के महत्व पर जोर दिया जाए।
यूसीसी (UCC) मामले से निपटने के लिए मुसलिम समुदाय की तरफ से व्यावहारिक दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
इसके लिए एंपायर की तरफ से मुसलमानों के लिए कुछ दिशा निर्देश जारी किए गए हैं इन दिशानिर्देशों को हम 12 बिंदुओं में समेटकर चर्चा कर सकते हैं।
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उसे समुदाय को चाहिए कि अपने दोस्तों या सार्वजनिक मंचो पर यूसीसी को लेकर चर्चा के दौरान इन बातों को ध्यान में रखकर ही कोई बात की जाए। यह बिंदु निम्न प्रकार हैं:
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का विचार भारतीय संविधान (Indian Constitution) के अनुच्छेद 44 में निहित है। इसमें कहा गया है कि राज्य अपने नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने का प्रयास करेगा। हालाँकि, भारत में धार्मिक और जातीय प्रथाओं और मान्यताओं की विविधता के कारण समान नागरिक संहिता लागू करना शुरू से ही एक बेहद विवादास्पद मुद्दा रहा है।
हमें यूसीसी (UCC) के मसौदे के साझा होने का इंतजार करना चाहिए। क्राफ्ट सामने आने के बाद ही अपनी चिंताओं को उठाना चाहिए। इसमे खुली चर्चा और व्यावहारिक तरीका एजेंडे में शामिल होना चाहिए। इस मुद्दे पर एक एकीकृत दृष्टिकोण और विभिन्न समूहों और संगठनों के साथ बैठकें आयोजित करने की सलाह दी जाती है। अन्य समुदाय और जातीय समूह भी इसे लेकर समान रूप से चिंतित हैं।
यूसीसी के इर्द-गिर्द होने वाली चर्चाएं समुदाय के सदस्यों के बीच चिंताओं और गलतफहमियों को जन्म दे सकती हैं। मसौदे में प्रावधानों का निष्पक्ष रूप से विश्लेषण करना, इन चिंताओं को उत्तरोत्तर संबोधित करना, स्पष्टीकरण मांगना और खुली बातचीत करना और सटीक जानकारी का प्रसार करना महत्वपूर्ण है।
गलत सूचना फैलाने और खुद इनका इस्तेमाल करने तथा इसके प्रति संवेदनशील होने से बचें। अनुसंधान करें, पुनः पुष्टि करें और फिर उस पर अपनी राय दें। यह संभव