
नई दिल्ली: (शाह टाइम्स) भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संगठन में बड़ा बदलाव होने वाला है। पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 20 अप्रैल के बाद शुरू होने की संभावना है। इसको लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर हुई महत्वपूर्ण बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, संगठन महासचिव बीएल संतोष समेत अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए।
सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में पार्टी संगठन के आगामी बदलाव और जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी को लेकर गंभीर मंथन हुआ। मौजूदा अध्यक्ष नड्डा का कार्यकाल जून 2024 में पूरा हो चुका है, और अब नए चेहरे की तलाश शुरू हो गई है।
पांच प्रमुख चेहरे रेस में
पार्टी के एक विश्वस्त सूत्र ने नवभारत टाइम्स डॉट कॉम को जानकारी दी है कि पांच नामों पर गंभीरता से विचार हो रहा है। इनमें से अधिकतर नेता कर्नाटक से हैं, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार भाजपा दक्षिण भारत को महत्व दे सकती है।
- प्रह्लाद जोशी (केंद्रीय मंत्री)
धारवाड़ लोकसभा से सांसद हैं।
वर्तमान में उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय संभाल रहे हैं।
आरएसएस से जुड़े, और पार्टी के भीतर अच्छी पकड़।
सबसे आगे माने जा रहे हैं।
- बीएल संतोष (संगठन महासचिव)
लंबे समय से आरएसएस प्रचारक रहे हैं।
भाजपा संगठन और संघ के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी।
अगर अध्यक्ष बनते हैं, तो सुनील बंसल को संगठन महासचिव बनाए जाने की संभावना।
- सीटी रवि (पूर्व राष्ट्रीय महासचिव)
कर्नाटक के चिकमगलूर से चार बार विधायक रह चुके हैं।
आरएसएस से दीर्घकालिक जुड़ाव।
अपनी आक्रामक राजनीति और संगठन क्षमता के लिए जाने जाते हैं।
- धर्मेंद्र प्रधान (केंद्रीय शिक्षा मंत्री)
ओडिशा से सांसद और मजबूत संगठन कौशल के लिए जाने जाते हैं।
आरएसएस की पृष्ठभूमि और चुनावी रणनीति में माहिर।
- भूपेंद्र यादव (केंद्रीय पर्यावरण मंत्री)
राजस्थान की अलवर सीट से सांसद।
पार्टी के रणनीतिकारों में प्रमुख नाम।
संघ से नजदीकी और संगठकीय दक्षता उनकी सबसे बड़ी ताकत।
सबसे चौंकाने वाला नाम: मनोज सिन्हा
भाजपा सूत्रों ने एक छठा नाम भी बताया है, जो अब तक इस दौड़ से बाहर माने जा रहे थे — जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा। प्रधानमंत्री मोदी के अचानक फैसलों को देखते हुए सूत्रों का मानना है कि मनोज सिन्हा जैसे चेहरों को भी शीर्ष पद पर लाया जा सकता है।
क्या दोबारा अध्यक्ष बन सकते हैं नड्डा?
जेपी नड्डा जनवरी 2020 से अध्यक्ष हैं। उनका कार्यकाल पहले 2023 तक, फिर लोकसभा चुनाव तक जून 2024 तक बढ़ाया गया था। हालांकि, पार्टी में दो कार्यकाल से अधिक अध्यक्ष बनने की परंपरा नहीं है। चूंकि नड्डा ने अभी एक ही पूर्ण कार्यकाल पूरा किया है, ऐसे में उनकी पुनर्नियुक्ति की संभावना भी पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता, लेकिन वर्तमान संकेत नई नियुक्ति की ओर इशारा कर रहे हैं।
20 अप्रैल के बाद तस्वीर और साफ
बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर नई सियासी हलचल तेज हो गई है। जहां एक तरफ कर्नाटक के नेताओं का दबदबा दिख रहा है, वहीं मनोज सिन्हा का नाम उभरना इस दौड़ को और दिलचस्प बना रहा है। 20 अप्रैल के बाद तस्वीर और साफ हो सकती है कि नड्डा की जगह पार्टी की बागडोर किसे सौंपी जाएगी।