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उत्तरप्रदेश की 25 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर माइनॉरिटी वोटरों का असर है और यह भी सच है माइनॉरिटी वोटरों में कांग्रेस को लेकर रुझान बेहतर हुआ है।
नई दिल्ली,(Shah Times) । उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस एलायंस के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है समाजवादी पार्टी का कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने और उसके कोटे की सीटें बढ़ाने के पीछे दो अहम वजह मानी जा रही हैं।
पहली राष्ट्रीय लोक दल के जाने के बाद समाजवादी पार्टी के पास उसके कोटे की सात सीटें खाली थीं। कांग्रेस को पहले ही 11 सीट का वादा किया जा चुका था इसमें रायबरेली-अमेठी शामिल नहीं थी इनको मिला लें तो 13 सीटों पर समाजवादी पार्टी पहले ही तैयार थी।
समाजवादी पार्टी को राष्ट्रीय लोक दल के जाने के बाद मुलामियत दिखाना आसान हो गया और यह भी सच है माइनॉरिटी वोटरों में कांग्रेस को लेकर रुझान बेहतर हुआ है। उत्तर प्रदेश की 25 से ज्यादा लोकसभा सीटों पर माइनॉरिटी वोटरों का असर है। ऐसे में कांग्रेस के अलग लड़ने से इन वोटरों के बंटवारे का भी खतरा था, जिसका सीधा नुकसान समाजवादी को हो सकता था।
हाल में राज्यसभा के टिकट सहित अन्य मसलों को लेकर भी समाजवादी में मुस्लिमों की भागीदारी को लेकर सवाल उठे थे। इसलिए भी समाजवादी ने वोटरों में एका का पैग़ाम देने का दांव खेला है।
हालांकि, सीटों के बंटवारे में उसके कोर वोटरों को किसी और के पाले में खिसकने का खतरा न हो, इस पर समाजवादी ने खास ध्यान दिया है। कांग्रेस को मिली सीटों में अमरोहा और सहारनपुर ही ऐसी है, जहां माइनॉरिटी वोटर चुनाव का रुख बदलने की सलाहियत रखता हैं।
उत्तर प्रदेश के चुनावी मैदान में कांग्रेस भले 21 फ़ीसदी सीटों पर उतरेगी, समाजवादी की हिमायत के चलते यह कांग्रेस के लिए फायदे का सौदा है।
हालांकि, 2019 में समाजवादी व और बहुजन समाज पार्टी जैसे दो बड़े जातीय दलों के साथ रहने के बाद भी बीजेपी एलायंस ने उत्तर प्रदेश में 64 सीटें जीत ली थीं। इसलिए, समाजवादी-कांग्रेस को लोकसभा 20 24 में फतेह के लिए जमीन पर और पसीना बहाना पड़ेगा।